अध्याय 11
राजनीतिक सिद्धान्त : एक परिचय
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
बहु-विकल्पीय प्रश्न
1. निम्नांकित में से किसमें राजनीतिक सिद्धान्त की जड़ें निहित हैं-
(i) राज्यों में (ii) राजनीति में
(iii) मानव अस्मिता के पहलुओं में (iv) राजनीति विज्ञान में।
2. निम्नांकित में ‘पॉलिटिकल थ्योरी’ के लेखक कौन हैं ?
(i) प्लेटो (ii) एंड्रयू हेकर
(iii) लॉस्की (iv) अरस्तू।
3. ‘थ्योरी’ शब्द की उत्पत्ति ‘थ्योरिया’ शब्द से हुई, जो है-
(i) संस्कृत भाषी (ii) लैटिन भाषी
(iii) फ्रेंच भाषी (iv) यूनानी भाषी
4. राजनीतिक सिद्धान्त को आदर्शोन्मुख बनाने का प्रयास किया-
(I)लियो स्ट्रास (ii) मैकियावली
(iii) अरस्तू (iv) जे. एस. मिल।
5. “राजनीति ने हमें साँप की कुण्डली की तरह जकड़ रखा है।” उक्त कथन निम्नांकित में से किसका है ?
(i) आचार्य विनोबा भावे का (ii) कौटिल्य का
(i) महात्मा गाँधी का (iv) एम. एन. राय का।
उत्तर-1.(iii), 2. (ii), 3. (iv), 4.(i), 5. (iii).
रिक्त स्थान पूर्ति
1. राजनीतिक सिद्धान्त को दो भागों-परम्परागत तथा ………
में विभक्त किया जा सकता है।
2. ग्रीक शब्द थ्योरिया का अभिप्रायः ……… चिन्तन है।
3. अरस्तू ने ………देशों के संविधानों का अध्ययन किया।
4. व्यवहारपरक राजनीतिक सिद्धान्त ……….की उपज है।
5.लेनिन, स्टालिन तथा काले माक्स का सम्बन्ध ……..राजनीतिक सिद्धान्त से है।
उत्तर-1. आधुनिक, 2. भावपूर्ण. 3.158, 4.20वीं शताब्दी,
5. मावर्सवादी।
एक शब्द/वाक्य में उत्तर
1. “जब मैं ऐसे परीक्षा प्रश्नों के समूह को देखता हूँ जिनका शीर्षक राजनीति विज्ञान होता है, तो मुझे प्रश्नों पर नहीं बल्कि शीर्षक पर खेद होता है।” उक्त कथन किस विद्वान का है?
उत्तर-मैटलैण्ड।
2. आधुनिक विश्व में इण्टरनेट का उपयोग करने वालों को अंग्रेजी भाषा में क्या कहा जाता है?
उत्तर-नेटिजन।
3. सेफलस की दृष्टि में सत्य बोलना तथा अपना ऋण चुकाना क्या है ?
उत्तर-न्याय।
4. मूल्य रहित अध्ययन पर किसने बल दिया ?
उत्तर-व्यवहारवादियों ने।
5. प्रथम राजनीतिक वैज्ञानिक किस विद्वान को माना जाता है
उत्तर-अरस्तू।
सत्य/असत्य
1. राजनीतिक सिद्धान्त से राजनीतिक वास्तविकताओं को समझने में मदद मिलती है।
2. आगमन विधि तथा व्यावहारिक दृष्टिकोण आधुनिक राजनीतिक सिद्धान्त को ही विशेषता है।
3. राजनीतिक सिद्धान्त का प्रमुख उद्देश्य नागरिकों को राजनीतिक प्रश्नों के विषय में अतार्किक विश्लेषण कर अनुचित आंकलन का प्रशिक्षण देना है।
4. राजनीतिक सिमाना सतन्त्रता, समानता, न्याय, लोकतन्त्र तथा धर्मनिरपेक्षता इत्यादि अवधारणाओं का आशय स्पष्ट करते हैं।
5. राजनीतिक सिद्धान्तकार शिक्षा, रोजगार तथा श्रम इत्यादि नीतियों के निर्माण में मार्गदर्शन प्रदान करते हैं।
उत्तर-1.सत्य, 2. सत्य, 3. असत्य, 4. सत्य, 5. सत्य।
उत्तरीय प्रश्न अति लघु
प्रशम । राजनीतिक सिद्धान्त क्या है ?
उत्तर-राजनीतिक सिद्धान्त उन विचारों एवं नीतियों के व्यवस्थित रूप को दशति है जिनसे हमारे सामाजिक जीवन, सरकार तथा संविधान ने आकार ग्रहण किया है।
प्रश्न 2. राजनीतिक सिद्धान्त के कोई दो क्षेत्र लिखिए।
उत्तर-(1)राजनीतिक सिद्धान्त का प्रमुख विषय क्षेत्र राज्य तथा सरकार है।
(2) राजनीतिक सिद्धान्तों के अन्तर्गत शक्ति एवं राजनीतिक विचारधाराओं का भी अध्ययन किया जाता है।
प्रश्न 3. एक श्रेष्ठ राजनीतिक सिद्धान्त के दो लक्षण लिखिए।
उत्तर-(1) एक श्रेष्ठ राजनीतिक सिद्धान्त की भाषा सरल एवं सुस्पष्ट होती है तथा
(2) एक अच्छे राजनीतिक सिद्धान्त में छोटी से छोटी बात को भी अपने में समाहित किया जाता है।
प्रश्न 4. राजनीतिक सिद्धान्त के कोई दो कार्य लिखिए।
उत्तर-(1) ये समाज के लिए प्रेरणात्मक स्रोत का कार्य करते हैं तथा
(2) राजनीतिक सिद्धान्त विभिन्न अवधारणाओं एवं समीकरणों को सूत्रबद्ध करते हैं।
प्रश्न 5. राजनीतिक सिद्धान्त निर्माण की दो समस्याएँ लिखिए।
उत्तर-(1) राजनीति विज्ञान के सभी सिद्धान्त अधूरे हैं, जिनमें कोई भी सम्पूर्ण व्यवस्था से सम्बन्ध नहीं रखता है।
(2) अभी तक ऐसा कोई वैज्ञानिक सिद्धान्त विकसित नहीं हुआ है जो व्यष्टि तथा समष्टि (समाज) स्तर पर उच्चतर व्याख्या शक्ति रखता हो।
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. संक्षेप में सिद्ध कीजिए कि राजनीतिक सिद्धान्त समानता एवं स्वतन्त्रता से सम्बन्धित प्रश्नों का समाधान करने में अत्यधिक प्रासंगिक हैं।
उत्तर-राजनीतिक सिद्धान्त स्वतन्त्रता एवं समानता से सम्बन्धित प्रश्नों के सरल एवं सहज उत्तर प्रस्तुत करता है। यह सम्पूर्ण मानव समाज के विकास एवं सभ्यता के सर्वश्रेष्ठ
उदाहरण प्रस्तुत करते हुए सभ्य मानव बनने का रास्ता दिखलाते हैं। राजनीतिक सिद्धान्त जनसाधारण को गलत रास्तों पर जाने के परिणामों से भी अवगत कराता है। राजनीतिक सिद्धान्त ही स्वतन्त्रता एवं समानता को अपने वाले राष्ट्रों की समृद्धि एवं सफलता की कहानी के माध्यम से सम्पूर्ण विश्व से दासता, अर्थात् गुलामी एवं असफलता को समाप्त करने का
पन 2. राजनीतिक सिद्धान्त की चार प्रमुख विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर-राजनीतिक सिद्धान्त की चार प्रमुख विशेषताएँ निम्न प्रकार है-
(1)राजनीतिक सिद्धान्त में तथ्यात्मक, विवरणात्मक, नैतिक तथा सामान्यीकरण जैसे
(2) राजनीतिक सिद्धान्त राज्य एवं सरकार के भूतकाल, वर्तमान तथा भविष्य के चारों तरफ परिक्रमा करते हैं और इनकी सर्वाधिक महत्वपूर्ण विषय सामग्री भी राज्य एवं सरकार
(3) राजनीति सिद्धान्त अन्तर अनुशासनात्मक अध्ययन है।
(4) विशेष रूप से आधुनिक राजनीतिक सिद्धान्त अनुभवों पर आधारित एवं व्यावहारिक शोध प्रणाली को अपनाए जाने पर जोर देते हैं।
प्रश्न 3. परम्परागत तथा आधुनिक राजनीतिक सिद्धान्तों के मध्य चार भेद का अध्ययन ही है। (अन्तर) लिखिए।
उत्तर-परम्परागत तथा आधुनिक राजनीतिक सिद्धान्तों में निम्नलिखित अन्तर हैं-
(1) जहाँ परम्परागत राजनीतिक सिद्धान्त औपचारिक एवं व्याख्यात्मक हैं, वहींnआधुनिक राजनीतिक सिद्धान्त अनौपचारिक एवं विश्लेषणात्मक हैं।
(2) परम्परागत राजनीतिक सिद्धान्त व्यक्तिपरक हैं, इसके ठीक विपरीत, आधुनिक राजनीतिक सिद्धान्त वस्तुपरक हैं।
(3) परम्परागत राजनीतिक सिद्धान्त निगमनात्मक प्रणाली पर आधारित होते हैं, जबकि आधुनिक सिद्धान्तों में आगमनात्मक पद्धति प्रयुक्त होती है।
(4) जहाँ परम्परागत राजनीतिक सिद्धान्त अधि-अनुशासनात्मक होते हैं, वहीं आधुनिक राजनीतिक सिद्धान्त अन्तर-अनुशासनात्मक हैं।
प्रश्न 4. राजनीतिक सिद्धान्तों के प्रमुख उद्देश्यों को संक्षेप में लिखिए।
उत्तर-राजनीतिक सिद्धान्तों के प्रमुख उद्देश्यों को निम्न प्रकार स्पष्ट किया जा सकता है-
(1) राजनीतिक सिद्धान्तों का प्रमुख उद्देश्य समाज, सरकार, राज्य, कानून तथा अधिकार इत्यादि सम्बन्धी विविध प्रश्नों की जाँच-पड़ताल करना है। उदाहरणार्थ समाज को किस प्रकार संगठित होना चाहिए तथा नागरिकों के प्रति राज्य सत्ता के क्या उत्तरदायित्व
(2) राजनीतिक सिद्धान्तों का दूसरा प्रमुख उद्देश्य प्राचीन (परम्परागत) तथा वर्तमान (आधुनिक) के प्रमुख राजनीतिक विचारकों के विचारों के आधार पर विभिन्न अवधारणाओं
का अर्थ एवं परिभाषाएँ स्पष्ट करना है।
(3) राजनीतिक सिद्धान्तों का एक अन्य महत्वपूर्ण उद्देश्य देश के नागरिकों में राजनीतिक प्रश्नों के सम्बन्ध में तार्किक रूप से चिन्तन करने एवं समसामयिक घटनाचक्र का उचित प्रकार
से विश्लेषण करना भी है।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. हमें राजनीतिक सिद्धान्तों का अध्ययन क्यों करना चाहिए ?
अथवा
राजनीतिक सिद्धान्तों के महत्व (उपयोगिता) की विवेचना कीजिए।
उत्तर- राजनीतिक सिद्धान्तों का महत्व (उपयोगिता)
हमें निम्नलिखित कारणों की वजह से राजनीतिक सिद्धान्तों का अध्ययन करना चाहिए-
(1) राजनीतिक सिद्धान्त वास्तविकताओं को समझाने में मददगार सिद्ध होते हैं। इनकी सहायता से ही बाहरी घटनाओं, सम्बन्धों, प्रतीकों इत्यादि के अव्यवस्थित स्वरूप को व्यवस्थित किया जा सकता है
(2) राजनीतिक सिद्धान्त ज्ञान का सरलीकरण करते हैं, अतः हमें इनका अध्ययन आवश्यक रूप से करना चाहिए।
(3) राजनीतिक सिद्धान्तों की एक उपयोगिता यह भी है कि यह शासन प्रणालियों के लिए वैधता भी प्रदान करते हैं। उल्लेखनीय है कि विशिष्ट वर्ग अपना प्रभुता कायम करने हेतु
इनकी भरपूर मदद लेता है।
(4) राजनीतिक सिद्धान्त लोगों को अपने लक्ष्यों को पूर्ण करने हेतु उचित साधनों के प्रयोग के लिए सदैव प्रेरित करते हैं।
(5) राजनीतिक सिद्धान्त शान्ति की स्थापना एवं विकास सम्बन्धी समस्याओं के उचित समाधान प्रस्तुत करते हैं।
(6) राजनीतिक सिद्धान्त समाज अथवा अध्ययन करने वाले को काम में आने वाली निपुणताएँ, दक्षताएँ तथा तकनीकें इत्यादि सिखलाने का कार्य करते हैं।
(7) सामान्यतया राजनीतिक आन्दोलन किसी न किसी राजनीतिक सिद्धान्त अथवा विचारधारा से प्रेरित रहे हैं। इतिहास साक्षी है कि सभी क्रान्तिकारियों ने किसी-न-किसी आदर्श अथवा सिद्धान्त से प्रेरित होकर ही अपने जीवन का बलिदान किया।
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