अध्याय 12
स्वतन्त्रता
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
बहू-विकल्पीय प्रश्न
1.लैटिन भाषी ‘लिबर’ शब्द का आशय होता है-
(I)स्वच्छन्दता (ii) बन्धन
(iii) बन्धनों का अभाव (iv) सभ्यता।
2. Liberty’ शब्द की उत्पत्ति किस भाषा के शब्द से हुई है ?
(I) रोमनयूनान (ii) लैटिन
(iii) यूनानी (iv) फ्रांसीसी।
3.”जहाँ नियन्त्रण होते हैं, वहीं स्वतन्त्रता का अस्तित्व होता है।”
(i) सीले का (ii) विलोबी का
(ii) डी. टाकविल का (iv) जे. एस. मिल का।
4. स्वतन्त्रता को नकारात्मक रूप में परिभाषित किया था-
(i) सीले ने (ii) जीन जैक्स रूसो ने
(iii) मैकेन्जी ने (iv) उक्त सभी विद्वानों ने।
5. स्वतन्त्रता को सकारात्मक अथवा वास्तविक रूप में परिभाषित करने वाला विद्वान् था-
(i) गैटिल एवं लॉस्की (ii) कौल एवं बार्कर
(iii) ग्रीन तथा मिल (iv) उक्त सभी।
6. किस विद्वान् का अभिमत था कि राज्य को जहाँ तक सम्भव हो, व्यक्ति के मामले में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए?
(i) स्पेन्सर एवं मिल (ii) सीले
(iii) लॉस्की (iv) जे. एस. मिल।
7. स्वतन्त्रता के सकारात्मक स्वरूप की सर्वप्रथम विधिवत् व्याख्या की थी-
(i) लॉस्की ने (ii) सीले
(iii) टी. एच. ग्रीन ने (iv) बार्कर ने।
8. मनुष्य की जन्मजात स्वतन्त्रता है-
(i) प्राकृतिक (ii) नागरिक
(iii) राजनीतिक (iv) आर्थिक।
9. नैतिक स्वतन्त्रता के मूल में है-
(i) एक नैतिक राज्य (ii) एक नैतिक समाज
(iii) एक नैतिक मनुष्य (iv) एक नैतिक सरकार।
10. निम्नांकित में स्वतन्त्रता से सम्बन्धित हानि सिद्धान्त के प्रतिपादक हैं?
(i) वाल्टेयर (ii) जॉन स्टुअर्ट मिल
(ii) महात्मा गाँधी (iv) रूसो।
उत्तर-1. (ii), 2. (ii), 3. (1), 4. (iv), 5. (iv), 6. (I)
7. (iii), 8. (i) ,9.(i). 10. (11).
रिक्त स्थान पूर्ति
1. राज्य के कार्यों में सक्रिय भाग लेने की शक्ति ही ………स्वतन्त्रता है।
2. ………स्वतन्त्रता का आशय राज्य की आन्तरिक तथा बाह्य स्वाधीनता से है।
3. बिना किसी को हानि पहुँचाए किसी भी कार्य को करने की ———- को स्वतन्त्रता कहते हैं।
4. ऑग सान सू की के लिए ………सम्बन्धी विचार प्रेरणा स्रोत रहे हैं।
5. ………ने दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद नीति का आजीवन विरोध किया था।
उत्तर-1. राजनीतिक, 2. राष्ट्रीय,3. क्षमता अथवा अधिकार, 4. गाँधीजी के अहिंसा, 5. नेल्सन मण्डेला।
जोड़ी मिलाइए
एक शब्द/वाक्य में उत्तर
1. “मानव स्वतन्त्र जन्मा है परन्तु वह सर्वत्र जंजीरों से जकड़ा है।” यह कान किसका है?
‘मनुष्य स्वतन्त्र पैदा हुआ है”, यह कथन किसका है?
उत्तर-जीन जैक्स रूसो का।
2 “स्वतंत्रता अतिशासन का विलोम है।” किसने कहा ?
उत्तर-सीले।
3. व्यक्तिगत स्वतन्त्रता का सबसे प्रमुख समर्थक कौन था ?
उत्तर-जे. एस. मिल।
4. प्लेटो, अरस्तू तथा ग्रीन ने स्वतन्त्रता के किस प्रकार का समर्थन किया था ?
उत्तर-नैतिक स्वतन्त्रता का।
5. “आर्थिक समानता के बिना राजनीतिक स्वतन्त्रता एक भ्रम है।” यह कथन किस विद्वान का है?
उत्तर- प्रो. जोड का।
6. मतदाता सूची में आपका नाम होते हुए भी यदि किसी कारण निर्वाचन अधिकारी आपको मतदान न करने दे तो आप अपनी किस प्रकार की स्वतन्त्रता से वंचित
हो जायेंगे?
उत्तर-राजनीतिक स्वतन्त्रता से।
7. ‘ऑन लिबर्टी’ पुस्तक के लेखक कौन हैं ?
उत्तर-जॉन स्टुअर्ट मिल।
8. क्या आपके विचार में स्वतन्त्रता एवं समानता परस्पर विरोधी धारणाएँ हैं?
उत्तर-नहीं, दोनों परस्पर पूरक हैं।
9. सलमान रशदी की कौन-सी पुस्तक पर प्रतिबन्ध लगाया गया था ?
उत्तर-द सेटानिक वर्सेस।
सत्य/असत्य
1. लिबर्टी शब्द लैटिन भाषी में ‘लिबर’ शब्द से बना है।
2. स्वतन्त्रता अधिकारों का ऐसे मर्यादित ढंग से उपयोग करने का नाम है, जिससे समाज, राज्य तथा दूसरों के अधिकारों का अतिक्रमण हो।
3. नैतिक स्वतन्त्रता के मूल में एक नैतिक समाज है।
4. अधिक प्रतिबन्ध लगाने की आदत स्वतन्त्रता को खतरे में डाल देती है।
5. गाँधीजी ने ‘हिन्द स्वराज’ 1909 में लिखी थी।
उत्तर-1.सत्य, 2. असत्य, 3. असत्य, 4.सत्य, 5.सत्य।
अति लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. स्वतन्त्रता को परिभाषित कीजिए।
उत्तर-बिना किसी बाधा के अपने व्यक्तित्व को प्रकट करने के अधिकार का नाम स्वतन्त्रता है।
प्रश्न 2. स्वतन्त्रता कितने प्रकार की होती है ?
अथवा
स्वतन्त्रता के कोई दो प्रकार लिखिए।
उत्तर- स्वतन्त्रता के विविध प्रकारों में प्राकृतिक स्वतन्त्रता, नागरिक स्वतन्त्रता, राजनीतिक स्वतन्त्रता, आर्थिक स्वतन्त्रता, धार्मिक स्वतन्त्रता, सामाजिक स्वतन्त्रता, नैतिक
स्वतन्त्रता तथा व्यक्तिगत स्वतन्त्रता उल्लेखनीय हैं।
प्रश्न 3. स्वतन्त्रता के किन्हीं दो प्रकारों का वर्णन कीजिए।
उत्तर-(1) नागरिक स्वतन्त्रता इस प्रकार की स्वतन्त्रता का तात्पर्य व्यक्ति की उस स्वतन्त्रता से है जो उसे राज्य के सदस्य के रूप में हासिल होती है।
(2) राजनीतिक स्वतन्त्रता स्वतन्त्रता के इस प्रकार का तात्पर्य राज्य के राजनीतिक जीवन में सहभागिता है।
प्रश्न 4. व्यक्ति हेतु राजनीतिक स्वतन्त्रता का
महत्त्व है?
उत्तर-राजनीतिक स्वतन्त्रता के बिना नागरिक स्वतन्त्रता का कोई मूल्य नहीं रह जाता क्योंकि इसके उपयोग से ही ऐसे समाज का अस्तित्व सम्भव होता है जिसमें नागरिक स्वतन्त्रता
अक्षुण्ण रह सके।
प्रश्न 5. नैतिक स्वतन्त्रता क्या है ?
उत्तर-समाज में प्रत्येक व्यक्ति के साथ सहयोग, सद्भाव तथा विनम्रतापूर्वक व्यवहार करना ही नैतिक स्वतन्त्रता है।
प्रश्न 6. समस्त स्वतन्त्रताओं एवं अधिकारों की आधारशिला क्या है ?
उत्तर-राष्ट्रीय स्वतन्त्रता सभी प्रकार की स्वतन्त्रताओं तथा अधिकारों की
प्रश्न 7. स्वतन्त्रता के लिए प्रतिबन्धों की आवश्यकता क्यों है
उत्तर- यदि स्वतन्त्रता पर प्रतिबन्ध नहीं होंगे, तो समाज अव्यवस्था के गर्त में पहुँच जाएगा और लोगों के बीच टकराव की स्थिति पैदा होने लगेगी।
प्रश्न 8. फिल्म निर्माता दीपा मेहता को काशी (प्रयागराज) में विधवाओं पर फिल्म बनाने से किस आधार पर रोका गया? यह किस स्वतन्त्रता का उल्लंघन था।
उत्तर- विधवाओं पर फिल्म बनाने से रोकने का आधार भारतीय दशा का खराब चित्रण होना, विदेशियों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ना तथा काशी नगरी की बदनामी होना था। यह अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता का उल्लंघन था।
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 2. स्वतन्त्रता की कोई एक परिभाषा देते हुए इसके प्रकारों को लिखिए।
उत्तर-स्वतन्त्रता की परिभाषा स्वतन्त्रता को परिभाषित करते हुए टी एच, तीन ने लिखा है कि, “स्वतन्त्रता उन कार्यों को करने तथा जन सुखों को भोगने की सकारात्मक शकि
है जो किए जाने और भोगे जाने योग्य हैं।” स्वतन्त्रता के प्रकार-स्वतन्त्रता को विविध प्रकारों के अन्तर्गत पाकृतिक स्वतनता, नागरिक स्वतन्त्रता, वैयक्तिक स्वतन्त्रता, सामाजिक स्वतन्त्रता, धार्मिक स्वतन्त्रता, राजनीतिक स्वतन्त्रता, आर्थिक स्वतन्त्रता तथा नैतिक स्वतच्चता विशेष रूप से उल्लेखनीय है।
प्रश्न 3.राजनीतिक स्वतन्त्रता को अति संक्षेप में समझाइए।
अथवा
राजनीतिक स्वतंत्रता के अन्तर्गत व्यक्ति को कौन कौनसे अधिकार प्राप्त होते
उत्तर-राजनीतिक स्वतन्त्रता का भाशय है कि व्यक्ति को शासन के संचालन किय भाग लेने का अधिकार होना चाहिए। राजनीतिक स्वतन्त्रता के अन्तर्गत व्यक्ति को निम्नलिखित
अधिकार प्राप्त होते हैं-
(1) आधुनिक लोकतान्त्रिक देशों में प्रत्येक नागरिक को मतदान द्वारा अपने पतिविधि निर्वाचित करने का अधिकार होता है, लेकिन यह अधिकार सिफ वचक नागरिकों को ही
दिया जाता है।
(2) जिस नागरिक को मतदान करने का अधिकार, सेवा निर्वाचन प्रत्याशी
(3) प्रत्येक लोकताकि देश में किसी भी नागरिक को अपनी योग्यता के अनुसार
(4) राजनीतिक स्वतन्त्रता के अन्तर्गत प्रत्येक नागरिक को सरकार की दोषपूर्ण नीतियों की आलोचना करने का अधिकार प्राप्त रहता है।
प्रश्न 4. स्वतन्त्रता के कोई तीन लक्षण लिखिए।
उत्तर- स्वतन्त्रता के तीन लक्षण निम्न प्रकार हैं-
(1) इसमें आत्म उपलब्धि का सकारात्मक तथा समान अवसर मिलता है।
(2) इसमें उन कार्यों को करने तथा उन सुखों को भोगने की सकारात्मक शक्ति होती है जो किए जाने और भोगे जाने योग्य हैं।
(3) इसमें व्यक्ति को व्यक्तित्व विकास के समुचित अवसर लगातार उपलब्ध होते हैं।
प्रश्न 5. स्वतन्त्रता का महत्त्व चार बिन्दुओं में लिखिए।
उत्तर- स्वतन्त्रता के महत्त्व के चार बिन्दु निम्न प्रकार हैं-
(1) स्वतन्त्रता व्यक्ति का जन्मसिद्ध अधिकार है।
(2) स्वतन्त्रता व्यक्ति की गरिमा के अनुरूप है।
(3) स्वतन्त्रता व्यक्ति के व्यक्तित्व के विकास हेतु परमावश्यक है।
(4) किसी भी व्यक्ति को श्रेष्ठ बनाने हेतु स्वतन्त्रता बहुत ही जरूरी होती है।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. स्वतन्त्रता के प्रकारों का वर्णन कीजिए।
उत्तर- स्वतन्त्रता के प्रकार
स्वतन्त्रता के प्रकार अथवा रूपों अथवा भेदों को संक्षेप में निम्न प्रकार स्पष्ट किया जा सकता है-
(1) प्राकृतिक स्वतन्त्रता-इस तरह की स्वतन्त्रता का उपयोग समाज एवं राज्य के निर्माण से पूर्व व्यक्ति द्वारा प्राकृतिक अवस्था में किया जाता था। वर्तमान में स्वतन्त्रता के इस
विचार को इस कारण नहीं स्वीकारा जाता क्योंकि यह स्वतन्त्रता का प्रकार न होकर आज्ञापत्र है।
(2) राष्ट्रीय स्वतन्त्रता-प्रत्येक राष्ट्र की आन्तरिक एवं बाह्य विषयों के प्रबन्ध में पूर्ण स्वतन्त्रता ही राष्ट्रीय स्वतन्त्रता है लेकिन यहाँ यह उल्लेखनीय है कि अन्तर्राष्ट्रीय कानूनों एवं
नियमों के अधीन प्रत्येक राष्ट्र की स्वतन्त्रता पर कुछ प्रतिबन्ध रहते हैं।
(3) वैयक्तिक स्वतन्त्रता-व्यक्ति द्वारा अपने जीवन के बारे में स्वयं फैसला लेने की स्वतन्त्रता ही वैयक्तिक स्वतन्त्रता कहलाती है। व्यक्तिगत स्वतन्त्रता के अन्तर्गत भोजन, वस्त्र,
धर्म तथा पारिवारिक जीवन को सम्मिलित किया जाता है।
(4) नागरिक स्वतन्त्रता-नागरिकों को इस प्रकार की स्वतन्त्रता राज्य की तरफ से मिलती है तथा राज्य ही इसकी रक्षा का दायित्व भी सम्भालता है। चूँकि नागरिक स्वतन्त्रता की
उद्देश्य प्रत्येक व्यक्ति को समान अवसर तथा अधिकार प्रदान करना होता है, अत: स्वाभाविक रूप से नागरिक स्वतन्त्रता असीमित अथवा निरंकुश होती है।
(5) आर्थिक स्वतन्त्रता प्रत्येक व्यक्ति को रोजगार के पूर्ण अवसर प्राप्त होना ही आर्थिक स्वतन्त्रता है। यह व्यक्ति की ऐसी स्थिति है जिसमें वह अपने आर्थिक प्रयासों का
लाभ स्वयं प्राप्त कर सके तथा उसके श्रम का किसी दूसरे के द्वारा शोषण न किया जा सके।
(6) सामाजिक स्वतन्त्रता-सभी व्यक्तियों को समाज में अपना विकास करने की सुविधा प्राप्त होना ही सामाजिक स्वतन्त्रता है।
(7) राजनीतिक स्वतन्त्रता-राज्य के मामलों में सक्रिय रूप से हिस्सा लेने को राजनीतिक स्वतन्त्रता कहा जाता है। राजनीतिक स्वतन्त्रता को संवैधानिक संरक्षण हासिल होने
के बावजूद यह असीमित अथवा अबाध नहीं होती तथा राज्य द्वारा राष्ट्र हित में राजनीतिक स्वतन्त्रता पर प्रतिबन्ध लगाए जा सकते हैं।
प्रश्न 2. स्वतन्त्रता का महत्त्व लिखिए।
उत्तर- स्वतन्त्रता का महत्त्व
स्वतन्त्रता के महत्त्व को संक्षेप में निम्न बिन्दुओं द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है-
(1) व्यक्तित्व के चहुंमुखी विकास में सहायक-मानव जीवन स्वतन्त्रता के बिना नीरस हो जाता है तथा उसके व्यक्तित्व का विकास अवरुद्ध होकर उसमें दब्बूपन जैसा अवगुण
अथवा दोष समाविष्ट हो जाता है। स्वतन्त्रता व्यक्ति के व्यक्तित्व का चहुँमुखी विकास सम्भव करती है।
(2) क्रान्तियों में सहायक-स्वतन्त्रता की अभिलाषा ने शोषण, सामन्ती अत्याचारों तथा विदेशी गुलामी के खिलाफ स्वतन्त्रता सेनानियों को संघर्ष करने की प्रेरणा दी जिसके
फलस्वरूप विश्व में अनेक क्रान्तियाँ हुई। फ्रांसीसी क्रान्ति, संयुक्त राज्य अमेरिका की क्रान्ति, सोवियत क्रान्ति तथा चीनी क्रान्ति इत्यादि इसके श्रेष्ठ एवं ज्वलन्त उदाहरण कहे जा सकते हैं।
(3) सभ्य समाज एवं राज्य की पहचान-स्वतन्त्रता किसी भी सभ्य समाज की पहचान होती है। यदि समाज में स्वतन्त्रता का अभाव है तो वह एक निर्जीव समाज होगा। ठीक
इसी प्रकार, जिस राज्य के नागरिकों को स्वतन्त्रता प्रदान नहीं की जाती, उसे सभ्य राज्य की उपमा नहीं दी जा सकती है।
(4) आर्थिक प्रगति में सहायक-किसी भी व्यक्ति की आर्थिक प्रगति में स्वतन्त्रता काफी उपयोगी भूमिका का निर्वहन करती है। स्वतन्त्रता की वजह से ही प्रत्येक व्यक्ति को अपनी दैनिक आजीविका अर्जित करने की सुरक्षा हासिल होती है।
(5) अधिकार दिलाने में सहायक-व्यक्ति के व्यक्तित्व के सम्पूर्ण विकास हेतु विभिन्न परिस्थितियाँ परमावश्यक होती हैं। ये समस्त परिस्थितियाँ ही वास्तव में अधिकार है,
जिन्हें स्वतन्त्रता द्वारा ही निर्मित किया जाता है।
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