pariksha adhyayan class 11th इतिहास – HISTORY अध्याय 14 सामाजिक न्याय MP BOARD SOLUTION

अध्याय 14
सामाजिक न्याय

अध्याय 14 सामाजिक न्याय
अध्याय 14
सामाजिक न्याय

वस्तुनिष्ठ प्रश्न
बहु-विकल्पीय प्रश्न

1. सामाजिक न्याय की स्थापना हेतु भारतीय संविधान के किस अनुच्छेद में छुआछूत को अपराध घोषित किया गया है
(i) अनुच्छेद 14 में
(ii) अनुच्छेद 17 में
(iii) अनुच्छेद 32 में
(iv) अनुच्छेद 38 में।

2. ‘द एलीमेण्ट्स ऑफ सोशल जस्टिस’ के लेखक का नाम है-
(i) एल. टी. हॉबहाउस (ii) बोल्डिंग
(iii) डॉ. आम्बेदकर (iv) पण्डित जवाहरलाल नेहरू।

3. “न्याय वह गुण है जो अन्य गुणों के मध्य सामंजस्य स्थापित करता है।” उक्त परिभाषा किसकी है?
(i) अरस्तू (ii) प्लेटो
(iii) लॉक (iv) लॉस्की।

4. निम्नांकित में न्याय का तत्व है-
(i) असत्य (ii) विशेषाधिकार
(iii) सत्य (iv) बेईमानी।

5. सामाजिक न्याय के लिए निम्नांकित में कौन-सी व्यवस्था नहीं होनी चाहिए-
(i) लोकतान्त्रिक प्रणाली
(ii) कानून के समक्ष समानता
(iii) जाति प्रथा का अन्त
(iv) उच्च जाति के लोगों हेतु विशेषाधिकार ।

उत्तर-1. (ii), 2. (i), 3. (11),4.(iii), 5. (iv).

रिक्त स्थान पूर्ति

1. प्राचीन भारतीय समाज में न्याय धर्म के साथ जुड़ा था तथा न्यायोचित सामाजिक व्यवस्था बनाए रखना………..का कर्त्तव्य था।
2. सामाजिक न्याय की स्थापना के लिए का योगदान सर्वोपरि है।
3. सामाजिक न्याय अधिकारों तथा अधिकारों………..का सामंजस्य है।
4..सामाजिक न्याय सामाजिक ………..जातिवाद तथा रंगभेद इत्यादि को समाप्त करने का प्रबल पक्षधर है।
5. आजादी के पश्चात् भारत सरकार ने सामाजिक न्याय की स्थापना हेतु ……… प्रथा को समाप्त करके काश्तकारों का भूमि पर स्वामित्व स्थापित कराया।

उत्तर-1. राजा, 2. डॉ. बी. आर. आम्बेदकर,
3. व्यक्तिगत; सामाजिक, 4. कुरीतियों, 5. जींदारी।
एक जोड़ी मिलाइए

एक शब्द/वाक्य में उत्तर

1. न्याय के कितने प्रकार हैं?
उत्तर- दो।
2. समाज की किस विसंगति ने सामाजिक न्याय की अवधारणा को जन्म दिया।
उत्तर-सामाजिक असमानता।
3. भारतीय संविधान में सामाजिक न्याय का उन्लेख कहाँ किया गया है?
उत्तर-प्रस्तावना में।
4. ‘द रिपब्लिक’ के लेखक का नाम लिखिए।
उत्तर-प्लेटो।
5. न्यूनतम आवश्यकताओं की अवधारणा किस पंचवर्षीय योजना में लाई गई ?
उत्तर-5वीं योजना (1974-1979),

सत्य/असत्य

1. समानता ही सामाजिक न्याय का प्राणतत्त्व है।
अथवा
स्वतन्त्रता ही सामाजिक न्याय का मुख्य तत्त्व है।

2. समाज में आर्थिक एवं सामाजिक विषमता विद्यमान होने पर अमीर-गरीब का तथा उच्च वर्ग-निम्न वर्ग का शोषण करते हैं।
3. सामाजिक असमानताओं को समाप्त करके सामाजिक क्षेत्र में प्रत्येक व्यक्ति को समान अवसर प्रदान कराना ही सामाजिक न्याय है।
4. सरकारी नौकरियों में आरक्षण के प्रस्ताव के विरोध में फूटे आन्दोलन का नाम मण्डल कमीशन विरोधी आन्दोलन 1990 था।
5. समानता तथा सामाजिक न्याय परस्पर विरोधी हैं।

उत्तर-1.सत्य, 2. सत्य, 3. सत्य,4.सत्य,5.असत्य।

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. सामाजिक न्याय की महत्त्वपूर्ण विशेषता लिखिए।
उत्तर-सामाजिक न्याय की महत्त्वपूर्ण विशेषता यह है कि इसमें व्यक्ति द्वारा व्यक्ति के शोषण का अन्त कर दिया जाता है।

प्रश्न 2. सामाजिक न्याय के कोई दो प्रकार लिखिए।
उत्तर-(1) कानून के प्रति समानता, तथा (2) विशेषाधिकारों की समाप्ति।

प्रश्न 3. सामाजिक न्याय की अवधारणा विशेषतया कब से प्रचलित हुई ?
उत्तर-सामाजिक न्याय की अवधारणा विशेषतया 20वीं शताब्दी में प्रचलित हुई।

प्रश्न 4. सामाजिक न्याय के क्रियान्वयन में भारतीय संविधान की क्या भूमिका
उत्तर- भारतीय संविधान के भाग 3 तथा भाग 4 सामाजिक न्याय में ही सम्बन्धित है।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. सामाजिक न्याय का अर्थ लिखिए।
उत्तर- सामाजिक न्याय समानता पर आधारित है। इसमें इस बात पर विशेष बल दिया जाता है, कि समाज में रहने वाले सभी व्यक्तियों के साथ एक समान व्यवहार होना चाहिए।
धर्म, जाति, भाषा तथा सम्प्रदाय इत्यादि के आधार पर किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए। सामाजिक न्याय की मान्यता है कि जन्म स्थान, सम्पत्ति, धर्म, जाति तथा लिंग इत्यादि के आधार पर कोई भेदभाव न किया जाए तथा न ही किसी धर्म विशेष को समाज में कोई विशेष स्थान अथवा सुविधा दी जाए। सामाजिक न्याय का लक्ष्य वर्ग-विहीन समतावादी समाज का निर्माण करना है।

प्रश्न 2. सामाजिक न्याय के क्रियान्वयन में संविधान की क्या भूमिका है?
उत्तर-भारतीय संविधान शिल्पियों ने आर्थिक, सामाजिक तथा राजनीतिक न्याय की स्थापना को देश के संविधान की प्रस्तावना में सम्मिलित करते हुए इसे शासन का मुख्य लक्ष्य
घोषित किया। संविधान के अध्याय 4 में राज्य के नीति निदेशक सिद्धान्तों का उल्लेख आर्थिक एवं सामाजिक न्याय की स्थापना की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
अनुच्छेद 38 में उल्लिखित है कि, “राज्य ऐसी सामाजिक व्यवस्था की, जिसमें आर्थिक, सामाजिक तथा राजनीतिक न्याय राष्ट्रीय जीवन की समस्त संस्थाओं को अनुप्रमाणित करें, भरसक प्रभावी रूप में स्थापना और संरक्षण करके लोककल्याण की अभिवृद्धि का प्रयल करेगा।”
42वें तथा 44वें संवैधानिक संशोधनों द्वारा अनुच्छेद 39,41, 42 तथा 43 में जोड़े गए नीति निदेशक तत्त्व भी प्रत्यक्ष रूप से सामाजिक न्याय की स्थापना हेतु प्रतिबद्ध हैं।

प्रश्न 3. भारत सरकार ने सामाजिक न्याय की स्थापना हेतु कौन-कौन-से कदम उठाए हैं?
उत्तर- भारत सरकार ने सामाजिक न्याय की स्थापना हेतु निम्नलिखित कदम उठाए हैं-
(1) भारत सरकार ने जींदारी एवं जागीरदारी प्रथा को समाप्त कर दिया, जिससे काश्तकारों को भूमि पर उनका स्वामित्व मिल सका।
(2) सरकार ने कृषि एवं उद्योगों की प्रगति, शिक्षा एवं स्वास्थ्य सुविधाओं का प्रसार. रोजगार व कार्य के अवसरों में वृद्धि तथा राष्ट्रीय आय एवं लोगों के जीवन स्तर को ऊँचा उठाने
की विभिन्न योजनाएं लागू की हैं।
(3) सामाजिक न्याय की स्थापना हेतु बालश्रम पर रोक लगाने सम्बन्धी कानून पारित किया गया तथा श्रमिक वर्ग के कल्याणार्थ बीमारी एवं दुर्घटना बीमा योजना लागू की गई।
(4) सरकार द्वारा अस्पृश्यता का अन्त करके अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों तथा पिछड़े वर्ग के चालक एवं बालिकाओं को छात्रवृत्तियाँ तथा अन्य विभिन्न सुविधाएँ प्रदान करके उन्हें शिक्षित करने का हरसम्भव प्रयास किया जा रहा है।
प्रश्न 4. सामाजिक न्याय की कोई तीन विशेषताएँ (घटक) लिखिए।

उत्तर-दीर्घ उत्तरीय प्रश्न संख्या । के उत्तर से कोई तीन विन्दु देखें।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न । सामाजिक न्याय की प्रमुख विशेषताएँ (घटक तत्त्व) समझाइए।
उत्तर- सामाजिक न्याय की विशेषताएँ (घटक तत्त्व)
सामाजिक न्याय की प्रमुख विशेषताएँ निम्न प्रकार हैं-
(1) सामाजिक न्याय की यह विशेषता है कि किसी नागरिक के साथ धर्म, वंश, जाति, लिंग एवं जन्म स्थान के आधार पर कोई विभेद नहीं किया जाता तथा सभी को समान रूप से
आत्म विकास के अवसर उपलब्ध कराए जाते हैं।
(2) इसकी एक अन्य विशेषता यह भी है कि इसमें व्यक्ति द्वारा व्यक्ति के शोषण का अन्त किया जाता है।
(3) सामाजिक न्याय को साकार रूप प्रदान करने हेतु पिछड़े एवं कमजोर वर्गों का शैक्षणिक एवं आर्थिक विकास करने के लिए कुछ विशेष प्रावधान किये जाते हैं।
(4) अल्पसंख्यकों के हितों का संरक्षण करना सामाजिक न्याय का ही प्रमुख लक्षण है।
(5) सामाजिक न्याय की एक अन्य विशेषता कार्य की यथोचित एवं मानवोचित दशाएँ

प्रश्न 2. वर्तमान में भारत में सामाजिक न्याय की क्या स्थिति है ?
उत्तर-हालांकि भारत सरकार की ओर से देश में सामाजिक न्याय की स्थापना हेतु भरसक प्रयास किए गए हैं। लेकिन बड़े खेद का विषय है कि भारत जैसे विकासशील देश में
सामाजिक न्याय के लक्ष्य को अभी तक हासिल नहीं किया जा सका है। भारतीय जनमानस बेरोजगारी, अशिक्षा, गरीबी तथा शोषण से पीड़ित होने के साथ ही भ्रष्टाचार के दीमक से जूझ रही है। भ्रष्टाचार ने तो देश की जड़ों को खोखला कर दिया है। देश के एक बड़े हिस्से को भरपेट भोजन तक नहीं मिल पाता है। सच्चाई यह है कि सत्तारूढ़ वर्ग ने इस दिशा में कोई ठोस कार्य नहीं किए हैं तथा सिर्फ लुभावने नारों का ही अधिक सहारा लिया है। यदि इस दिशा में कोई ठोस एवं रचनात्मक कार्य नहीं किए गए तो भारत जैसे विकासशील देश में सामाजिक न्याय की स्थापना केवल एक कोरा
सपना मात्र ही बना रहेगा।

प्रश्न 3. सामाजिक न्याय का महत्त्व लिखिए।
उत्तर- सामाजिक न्याय के महत्त्व को निम्नलिखित बिन्दुओं द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है-
(1) समाज हित-किसी भी समाज को तभी स्थिरता मिलती है जब उसके समस्त घटक समान रूप से विकसित हों। इस दृष्टिकोण से सामाजिक न्याय पिछड़े लोगों को विशेष
प्रबन्ध करके मुख्य धारा से जोड़ता है।
(2) समतावादी ढांचे की स्थापना-सामाजिक न्याय की स्थापना से एक ऐसे समाज का निर्माण होता है जिसमें सभी लोगों को समान रूप से विकास के अवसरों का उपयोग करने
का अवसर मिलता है।
(3) लोक कल्याणकारी राज्य के अनुकूल-सामाजिक न्याय के अन्तर्गत राज्य द्वारा समाज के वंचित वर्ग के कल्याणार्थ राज्य के आदर्श के अनुकूल है।
(4) लोकतन्त्र का आधार-सामाजिक न्याय की अवधारणा लोकतान्त्रिक व्यवस्था का आधार है।
(5) विषमताओं का अन्त-सामाजिक न्याय समतावादी धारणा है अत: यह विषमताओं को जड़ से उखाड़ फेंकने हेतु सदैव प्रयत्नशील रहती है।

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