pariksha adhyayan class 11th इतिहास – HISTORY अध्याय 4 भारतीय संविधान में अधिकार MP BOARD SOLUTION

अध्याय 4

भारतीय संविधान में अधिकार

अध्याय 4  भारतीय संविधान में अधिकार
अध्याय 4
भारतीय संविधान में अधिकार

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

बहु-विकल्पीय प्रश्न

1. व्यक्तित्व के उच्चतम विकास हेतु निम्नांकित में क्या परमावश्यक है ?
(i) कानून (ii) न्याय व्यवस्था
(ii) सम्पत्ति (iv) अधिकार।

2. “कुछ पाने की इच्छा सदैव से ही व्यक्ति की प्रेरणा स्रोत रही है।” उक्त कथन नागरिक के जिस अधिकार का मूल है, वह है-
(i) सम्पत्ति का अधिकार (ii) राजनीतिक अधिकार
(iii) शिक्षा का अधिकार (iv) रोजगार का अधिकार ।

3. वे अधिकार जिनका देश के संविधान में उल्लेख किया जाए तथा जिनका
अतिक्रमण अथवा हनन होने पर व्यक्ति न्यायपालिका की शरण ले सके, कहलाते
हैं-
(i) प्राकृतिक अधिकार (ii)मौलिक अधिकार
(ii) औपचारिक अधिकार (iv) कानूनी अधिकार।

4. किस मौलिक अधिकार को 44वें संवैधानिक संशोधन द्वारा मूलाधिकारों की सूची से हटाया गया-
(1) स्वतन्त्रता का अधिकार (ii) समानता का अधिकार
(iii) सम्पत्ति का अधिका (iv) शोषण के खिलाफ अधिकार।

5. निम्नांकित में कौन सा मौलिक अधिकार संविधान का हृदय तथा आत्मा कहलाता सो संवैधानिक उपचारों का अधिकार
(I) संवैधानिक उपचारों का अधिकार
(ii) सम्पत्ति का अधिकार
(iii) स्वतन्त्रता का अधिकार
(iv) समानता का अधिकार ।

6. सर्वोच्च न्यायालय अधीनस्थ न्यायालयों को अपने कार्य क्षेत्र से बाहर कार्यवाही करने से रोकने हेतु निम्नांकित में कौन-सा आदेश देता है ?
(i) परमादेश (ii) निषेध आदेश
(iii) उत्प्रेषण (iv) अधिकार पृच्छा।

7. निदेशक सिद्धान्तों का वर्णन संविधान के किस अनुच्छेद के अन्तर्गत किया गया है?
(i) अनुच्छेद 14 से 18
(ii) अनुच्छेद 25 से 28
(iii) अनुच्छेद 14 से 32
(iv) अनुच्छेद 36 से 51.

8. नीति निदेशक सिद्धान्तों की प्रमुख कमी है-
(I)कानूनी शक्ति का अभाव
(ii) निर्देश मात्र
(iii) आदर्शों का घोषणा पत्र
(iv) व्यवहार में कठिनाई।

उत्तर-1. (iv), 2. (i), 3. (ii), 4. (iii), 5. (i), 6. (ii), 7. (iv), 8. (i).

रिक्त स्थान पूर्ति

1. मोती लाल नेहरू ने ……….. में अंग्रेजों से भारतीयों के लिए अधिकारों के एक घोषणा पत्र की माँग की, जिसे नेहरू समिति कहा गया।

2. दुनिया में सम्भवतया सबसे अधिक व्यापक अधिकार ………… के नागरिकों को मिले हैं।

3. किसी व्यक्ति को इस आशंका के आधार पर गिरफ्तार करना कि वह कोई गैर कानूनीकार्य करने वाला है………..कहलाता है।

4. नीति निदेशक तत्व …………हैं क्योंकि राज्य इन्हें लागू करने हेतु संवैधानिक रूप से बाध्य नहीं है।

5. ……..” उस व्यक्ति के खिलाफ जारी होता है जिसने गलत तरीके से पद हासिल किया हो।

उत्तर-1. 1928, 2. दक्षिण अफ्रीका, 3. निवारक नजरबंदी, 4. नैतिक घोषणाएँ, 5. अधिकार पृच्छा।

एक शब्द/वाक्य में उत्तर

1. कौन-से अधिकार व्यक्ति के बौद्धिक, नैतिक एवं आध्यात्मिक विकास में सहायक होते हैं?
उत्तर-मौलिक (मूल) अधिकार।
2. भारतीय संविधान का कौन-सा अनुच्छेद कहता है कि आरक्षण जैसी नीति को समानता के अधिकार के उल्लंघन के रूप में नहीं देखा जा सकता।
उत्तर-अनुच्छेद 16(4).
3. न्यूनतम पारिश्रमिक से कम मजदूरी देना अथवा इच्छा के विपरीत कार्य लेना क्या कहलाता है?
उत्तर-बेगार अथवा बंधुआ मजदूरी।
4. बेगार अथवा बंधुआ मजदूरी प्रथा को किस संवैधानिक अधिकार द्वारा दण्डनीय अपराध माना गया है?
उत्तर-शोषण के विरुद्ध अधिकार।
5. संविधान द्वारा नागरिकों को प्रदान किए गए संरक्षित अधिकारों की सूची को क्या कहा जाता है?
उत्तर-अधिकारों का घोषणा-पत्र।
6. मौलिक अधिकारों को लागू करवाने हेतु न्यायालय में जाने के अधिकार को क्या कहा जाता है?
उत्तर-संवैधानिक उपचारों का अधिकार।
7. निवारक नजरबन्दी की अधिकतम अवधि क्या है ?
उत्तर-तीन माह।
8. भारतीय संविधान के किस अनुच्छेद के अनुसार निदेशक सिद्धान्त न्याय संगत नहीं हैं?
उत्तर-अनुच्छेद 37.
9. किसके सुझावों पर राज्य के नीति निदेशक तत्वों को भारतीय संविधान में सम्मिलित किया गया ?
उत्तर-बी. एन. राव।
10. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का गठन किस वर्ष किया गया ?
उत्तर-1993.

सत्य/असत्य

1. शिक्षा के अधिकार का उल्लेख भारतीय संविधान के भाग-III में किया गया है।
2. स्वतन्त्रता के अधिकार के संवैधानिक प्रावधान के अनुसार किसी भी व्यक्ति को बिना कारण बताए गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है।
3. वर्तमान में भारतीय नागरिकों को सात मौलिक अधिकार प्राप्त हैं।
4. संविधान के भाग-IV-A तथा अनुच्छेद 51-A में ग्यारह मौलिक अधिकारों का उल्लेख किया गया है।
5. मौलिक अधिकार न्याय संगत नहीं हैं जबकि निदेशक सिद्धान्त न्याय संगत है।

उत्तर-1. सत्य, 2. सत्य, 3. असत्य, 4. सत्य, 5, असत्य।

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. मौलिक अधिकारों के महत्व के कोई दो बिन्दु लिखिए।
उत्तर-(1) मौलिक अधिकार नागरिकों के चहुंमुखी विकास हेतु परमावश्यक है तथा (2) मूलाधिकार भारतीय लोकतन्त्र के आधार स्तम्भ हैं।

प्रश्न 2. किन्हीं दो परिस्थितियों का उल्लेख कीजिए जिनमें मौलिक अधिकारों को सीमित किया जा सकता है।
उत्तर-(1) युद्ध तथा विदेशी आक्रमण के दौरान घोषित राष्ट्रीय आपातकाल के दौरान भारतीय राष्ट्रपति मूलाधिकारों को सीमित कर सकता है तथा (2) सशस्त्र विद्रोह तथा आन्तरिक गड़बड़ी की वजह से घोषित आपातकाल में मूलाधिकारों को स्थगित किया जा सकता है।

प्रश्न 3.शोषण के विरुद्ध अधिकार के अन्तर्गत कौन-कौन से दो प्रावधान हैं ?
उत्तर-(1) अनुच्छेद 23 के द्वारा राज्य पर सकारात्मक उत्तरदायित्व डाला गया है कि वह व्यक्तियों के व्यापार, बेगारी तथा बन्धुआ मजदूरी पर प्रतिबन्ध लगाए तथा (2) अनुच्छेद
14 द्वारा राज्य 14 वर्ष से कम आयु वर्ग के बालकों को खदानों, कारखानों एवं खतरनाक कार्य कराए जाने पर रोक लगाए।

प्रश्न 4. भारत में बाल-कल्याण से सम्बन्धित दो निदेशक तत्व लिखिए।
उत्तर-(1) राज्य संविधान लागू होने के दस वर्ष के भीतर 14 वर्ष से कम आयु के बालकों हेतु निःशुल्क तथा अनिवार्य शिक्षा का प्रबन्ध करेगा तथा (2) राज्य बालकों को शोषण
से बचाएगा तथा उनको स्वास्थ्य विकास के अवसर प्रदान करेगा।

प्रश्न 5. महिलाओं के कल्याण से सम्बन्धित दो निदेशक सिद्धान्त लिखिए।
उत्तर-(1) महिला एवं पुरुषों को एक समान पारिश्रमिक (वेतन) मिले तथा (2) महिलाओं के स्वास्थ्य एवं शक्ति का दुरुपयोग न हो और वे अपनी आर्थिक जरूरतों से बात
होकर कोई ऐसा कार्य करने पर मजबूर न हों जो उनकी आयु एवं शक्ति के अनुकूल न हो।

प्रश्न 6. 42वें संवैधानिक संशोधन द्वारा जोड़े गए राज्य के दो नीति निदेशक तत्व लिखिए।
उत्तर-(1) राज्य उचित कानून अथवा किसी अन्य विधि से इस उद्देश्य हेतु प्रयास करेगा कि किसी भी उद्योग से सम्बन्धित कारोबार के प्रबन्ध में या अन्य संस्थाओं में श्रमिक
को हिस्सेदारी के अवसर प्राप्त हों तथा (2) राज्य वातावरण की सुरक्षा एवं सुधार हेतु देश के वनों एवं वन्य जीवन की सुरक्षा के प्रयास करेगा।

प्रशन 7.मौलिक अधिकार एवं नीति निदेशक तत्वों में कोई दो अन्तर लिखिए।
उत्तर-(1) जहाँ मौलिक अधिकार न्याय संगत हैं, वहीं नीति निदेशक तत्व न्याय संगत नहीं हैं, तथा (2) मौलिक अधिकारों का स्वरूप निषेधकारी है, जबकि नीति निदेशक तत्वों का
स्वरूप सकारात्मक है।

प्रश्न 8. राज्य के नीति निदेशक तत्वों के महत्व के कोई दो बिन्दु लिखिए।
उत्तर-(1) राज्य के नीति निदेशक तत्व सत्तारूढ़ दल के लिए एक मार्गदर्शक का कार्य करते हैं तथा (2) इनके द्वारा कल्याणकारी राज्य के आदर्श की घोषणा की गई है जिसकी
स्थापना हेतु जो बातें अपनाना जरूरी है वे सभी निदेशक तत्वों में विद्यमान हैं।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.मूल अधिकार क्या हैं ? भारतीय नागरिकों को कितने मूल अधिकार
उत्तर-मूल अधिकारों का आशय उन अधिकारों से है जो व्यक्ति के विकास में सहायक होते हैं तथा जिनके अभाव में व्यक्ति का जीवन असम्भव है। विश्व के विभिन्न देशों के संविधानों में इनकी व्यवस्था की गई है। भारतीय नागरिकों को वर्तमान में छ: मूल अधिकार प्राप्त हैं। इनमें स्वतन्त्र अधिकार, समानता का अधिकार, धार्मिक स्वतन्त्रता का अधिकार, शिक्षा एवं संस्कृति का अधिकार, शोषण के विरुद्ध अधिकार तथा संवैधानिक उपचारों का अधिकार सम्मिलित हैं। इन मौलिक अधिकारों की सुरक्षा का दायित्व भारतीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्वहित किया जाता है।

प्रश्न 2. स्वतन्त्रता के अधिकार पर किन परिस्थितियों में प्रतिबन्ध लगाए जा सकते हैं?
उत्तर- भारतीय संविधान द्वारा प्रदत्त स्वतन्त्रता के मौलिक अधिकार को निम्नलिखित परिस्थितियों में प्रतिबन्धित किया जा सकता है-
(1) यदि भारतीय स्वतन्त्रता के लिए कोई खतरा उत्पन्न हो जाए तो स्वतन्त्रता केअधिकार को स्थगित किया जा सकता है।
(2) अपराधी तथा आतंकवादी प्रवृत्तियों पर प्रभावी अंकुश लगाने हेतु स्वतन्त्रता के मूलाधिकार पर उचित प्रतिबन्ध लगाए जा सकते हैं।
(3) सार्वजनिक रूप से जुड़े हुए मामलों में इन मौलिक अधिकारों पर प्रतिबन्ध लगाया जा सकता है।

प्रश्न 3, भारतीय संविधान में अभियुक्तों के अधिकारों के सम्बन्ध में क्या प्रावधान
उत्तर-भारतीय संविधान द्वारा इस बात का भी प्रावधान किया गया है कि उन लोगों को भी पर्याप्त सुरक्षा मिले जिन पर विभिन्न अपराधों के आरोप लगाए गए हों। न्यायपालिका
का मानना है कि किसी भी अपराध के आरोपी को स्वयं को बचाने का पर्याप्त मौका दिया जाना चाहिए। संविधान द्वारा निष्पक्ष सुनवाई हेतु अभियुक्त के लिए निम्न तीन अधिकारों का प्रावधान किया गया है-
(1) किसी व्यक्ति को एक ही अपराध के लिए एक बार से अधिक दण्डित नहीं किया जा सकता है।
(2) कोई भी कानून किसी भी कार्य को पिछली तारीख से अपराध घोषित नहीं कर सकेगा।
(3) किसी भी व्यक्ति को स्वयं अपने खिलाफ साक्ष्य देने के लिए नहीं कहा जा सकेगा।

प्रश्न 4. मूलाधिकारों का उल्लेख भारतीय संविधान में क्यों किया गया है ?
उत्तर-भारतीय संविधान के भाग तीन में मौलिक अधिकार उल्लिखित हैं। संविधान सभा ने इनको निम्न कारणों की वजह से संविधान में सम्मिलित किया-
(1) देश की अत्यन्त पुरानी माँग मौलिक अधिकारों के सम्बन्ध में थी जिसे पूर्ण करना जरूरी था।
(2) भारतीय संविधान में मूलाधिकारों का उल्लेख इसलिए किया गया जिससे देश के सभी नागरिकों को किसी भी भेदभाव के बिना मौलिक अधिकार प्राप्त होने की गारण्टी मिल सके।
(3) अल्पसंख्यकों के अधिकारों एवं हितों की रक्षार्थ मौलिक अधिकारों को संविधान में सम्मिलित करने की जरूरत थी।
(4) छुआछूत प्रथा, बेगार तथा महिलाओं एवं बालकों के प्रति अन्याय इत्यादि सामाजिक दोषों को मिटाने के लिए संविधान में मूलाधिकारों का उल्लेख करना परमावश्यक था।

‘प्रश्न 5. मौलिक अधिकारों की कोई चार विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर-मौलिक अधिकारों की चार प्रमुख विशेषताएँ अग्र प्रकार हैं-
(1) प्रत्येक भारतीय नागरिक को छ: प्रकार के मौलिक अधिकार दिए गए हैं तथा प्रत्येक अधिकार की संविधान में विस्तृत व्याख्या की गई है।
(2) मौलिक अधिकार सभी भारतीयों को जाति, धर्म, रंग तथा लिंग इत्यादि के भेदभाव के बिना प्रदत्त किए गए हैं।
(3) भारतीय संविधान में उल्लिखित मौलिक अधिकार असीमित नहीं हैं तथा उनका संवैधानिक प्रावधानों के अन्तर्गत कुछ प्रतिबन्ध भी लगाए गए हैं।
(4) मौलिक अधिकार न्याय योग्य हैं अर्थात् इनके पीछे कानूनी शक्ति है। यदि किसी नागरिक के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन किया जाता है तो वह नागरिक न्यायपालिका को
शरण ले सकता है।

प्रश्न 6. राज्य के निदेशक सिद्धान्तों के कोई तीन मुख्य उद्देश्य लिखिए।
उत्तर-राज्य के निदेशक सिद्धान्तों के प्रमुख उद्देश्य निम्न प्रकार हैं-
(1) निदेशक सिद्धान्त कल्याणकारी राज्य तथा गाँधीवादी सिद्धान्तों से सम्बन्धित कुछ आदर्शों पर बल देता है, जिन्हें लागू करने से राष्ट्र का कल्याण हो सकता है।
(2) निदेशक तत्व विधानमण्डलों तथा कार्यपालिकाओं के पथ-प्रदर्शक हैं जो उन्हें समय-समय पर इस बात का आभास कराते हैं कि उन्हें अपने अधिकार का प्रयोग किस तरह
से करना चाहिए।
(3) राज्य के नीति निदेशक सिद्धान्त नागरिकों के कुछ ऐसे अधिकारों की तरफ भी संकेत करते हैं जिन्हें साधनों की कमी के कारण तुरन्त लागू नहीं किया जा सकता था। उदाहरणार्थ शिक्षा का अधिकार, लेकिन इन्हें लागू करने का प्रयास राज्य अवश्य करेगा जिससे ये अधिकार भी आने वाले समय में लोगों को हासिल हो सके।

प्रश्न 7. राज्य के नीति निदेशक तत्वों की चार प्रमुख विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर-संविधान के भाग 4 में अनुच्छेद 36 से 51 में राज्य के नीति निदेशक तत्व उल्लिखित हैं, जिनकी प्रमुख विशेषताएँ निम्न प्रकार हैं-
(1) नीति निदेशक तत्वों में उन नियमों का वर्णन किया गया है, जिनको लागू करके सामाजिक एवं आर्थिक लोकतन्त्र की स्थापना की जा सकती है।
(2) अत्यन्त व्यापक क्षेत्र वाले निदेशक सिद्धान्तों का सम्बन्ध राष्ट्रीय जीवन के सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक एवं प्रशासनिक क्षेत्र से है। इसके अतिरिक्त, ये सिद्धान्त
अन्तर्राष्ट्रीय शान्ति एवं सुरक्षा से भी सम्बन्धित हैं।
(3) राज्य के नीति निदेशक सिद्धान्त किसी विशेष राजनीतिक विचारधारा पर आधारित नहीं हैं। इनका सम्बन्ध समाजवादी, गाँधीवादी तथा उदारवादी विचारधारा से है।
(4) इन तत्वों की सर्वाधिक महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि ये सिद्धान्त न्याय योग्य नहीं हैं। भारतीय संविधान में अनुच्छेद 37 में स्पष्ट रूप से उल्लिखित है कि राज्य के नीति निदेशक
सिद्धान्तों को न्यायपालिका का संरक्षण हासिल नहीं है।
भारतीय संविधान में अधिकार

प्रश्न 8. नीति निदेशक तत्वों तथा मौलिक अधिकारों के मध्य सम्बन्धों को संक्षेप में स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-नीति निदेशक तत्व तथा मौलिक अधिकार परस्पर एक-दूसरे के पूरक हैं। जहाँ मौलिक अधिकार शासन के कुछ कार्यों को प्रतिबन्धित करते हैं वहीं नीति निदेशक तत्व सरकार
को कुछ कार्यों को करने की प्रेरणा देते हैं। मौलिक अधिकार विशेषतया व्यक्ति के अधिकारों को संरक्षित करते हैं परन्तु नीति निदेशक सिद्धान्त सम्पूर्ण सामाजिक हित के प्रबल हिमायती हैं। कभी-कभी नीति निदेशक तत्व नागरिक के मौलिक अधिकारों से टकरा भी सकते हैं।
हम अपने उक्त कथन को जमींदारी उन्मूलन कानून के उदाहरण द्वारा स्पष्ट कर सकते हैं। इस कानून का विरोध इस आधार पर किया गया कि इससे सम्पत्ति के मौलिक अधिकार का हनन होता है। इसे लागू करने हेतु शासन ने यह आधार माना कि सामाजिक जरूरतें व्यक्तिगत हितों से कहीं ऊपर हैं तथा नीति निदेशक तत्वों को लागू करने के लिए संविधान का संशोधन किया गया। सरकार का स्पष्ट रूप से यह मानना था कि नीति निदेशक तत्वों को लागू करने के लिए मौलिक अधिकारों को प्रतिबन्धित किया जा सकता है। वहीं इस बारे में न्यायपालिका का अभिमत था कि मौलिक अधिकार इतने महत्वपूर्ण हैं कि नीति निदेशक तत्वों को लागू करने
के लिए उनको प्रतिबन्धित नहीं किया जा सकता है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. भारतीय संविधान में वर्णित मौलिक अधिकारों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर-मौलिक अधिकार
भारतीय संविधान में वर्णित नागरिकों के छ: मूल (मौलिक) अधिकार निम्न प्रकार हैं-
(1) समानता का अधिकार (अनुच्छेद 14 से 18 तक)-इस मौलिक अधिकार का उद्देश्य सामाजिक समता की स्थापना करना है। समानता के अधिकार के अन्तर्गत कानून के
समक्ष समानता, सामाजिक समानता, शासकीय नौकरियों हेतु अवसर की समानता, अस्पृश्यता का अन्त तथा उपाधियों का अन्त जैसे संवैधानिक प्रावधान है।
(2) स्वतन्त्रता का अधिकार (अनुच्छेद 19 से 22 ए तक)-इस मौलिक अधिकार के अन्तर्गत विचार एवं अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता, नि:शस्त्र एवं शान्तिपूर्ण सम्मेलन की स्वतन्त्रता, समुदाय एवं संघ निर्माण की स्वतन्त्रता, भ्रमण एवं निवास तथा व्यवसाय की स्वतन्त्रता, अपराध
दोष सिद्धि के विषय में संरक्षण, व्यक्तिगत स्वतन्त्रता एवं जीवन की सुरक्षा, बन्दीकरण को अवस्था में संरक्षण तथा प्राथमिक शिक्षा का अधिकार का उल्लेख किया गया है।
(3) शोषण के विरुद्ध अधिकार (अनुच्छेद 23 एवं 24)-यह मौलिक अधिकार बन्धुआ मजदूरी पर रोक तथा जोखिम के कार्यों में बाल श्रम का निषेध करता है।
(4) धार्मिक स्वतन्त्रता का अधिकार (अनुच्छेद 25 से 28 तक)-यह अधिकार सभी नागरिकों को धार्मिक स्वतन्त्रताएँ प्रदान करता है। इस अधिकार के अन्तर्गत अन्त:करण की
के भुगतान की छूट तथा राजकीय शिक्षण संस्थाओं में धार्मिक शिक्षा का निषेध जसे सवैधानिक स्वतन्त्रता, धार्मिक मामलों का प्रबन्ध करने की स्वतन्त्रता, धार्मिक व्यय हेतु निश्चित धन का
(5) संस्कृति तथा शिक्षा सम्बन्धी अधिकार (अनुच्छेद 29 एवं 30)- भारतीय संविधान में उल्लिखित इस मौलिक अधिकार द्वारा भाषा, लिपि एवं संस्कृति की सुरक्षा और
(6) संवैधानिक उपचारों का अधिकार (अनुच्छेद 32)- भारतीय संविधान : यदि किसी नागरिक में मौलिक अधिकारों का हनन होता है तब वह उच्च न्यायालय अथवा सर्वमा
नागरिकों के मौलिक अधिकारों को सुरक्षित रखने हेतु इस अधिकार का प्रावधान किया गया है। न्यायालय की शरण ले सकता है। नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा हेतु न्यायपालिका बन्दी प्रत्यक्षीकरण लेख, परमादेश, प्रतिषेध, उत्प्रेक्षा तथा अधिकार पृच्छा जारी कर सकती है।
अल्पसंख्यकों के हितों की सुरक्षा जैसे महत्वपूर्ण प्रावधान किए गए हैं।

प्रश्न 2. अधिकारों के महत्व की विवेचना कीजिए।
अधिकारों का महत्व
उत्तर-अधिकारों का महत्व
अधिकार को संक्षेप में निम्न बिन्दुओं द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है।
(1) व्यक्तित्व विकास में सहायक-व्यक्ति के व्यक्तित्व विकास हेतु अधिकारों की अत्यधिक आवश्यकता है। सामाजिक, आर्थिक तथा राजनीतिक क्षेत्र में व्यक्ति अधिकारों में प्राप्ति से ही अपना चहुमुंखी विकास कर सकता है।
(2) सामाजिक विकास के साधन-व्यक्ति समाज का अभिन्न हिस्सा है। अधिकार में जहाँ व्यक्तित्व का विकास होता है, वहीं सामाजिक विकास में भी ये मील का पत्थर सिद्ध होते
हैं। अधिकारों के अभाव में सामाजिक जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती। अधिकारों के बिना समाज में लड़ाई-झगड़े, अशान्ति एवं अव्यवस्था व्याप्त हो जाएगी तथा व्यक्ति के आपसी व्यवहार की सीमाएँ निश्चित नहीं हो पाएँगी। अत: स्पष्ट है कि अधिकार ही सुव्यवस्थित समाज की आधारशिला का निर्माण करते हैं।
(3) कल्याणकारी एवं लोकतान्त्रिक राज्य की स्थापना में सहायक-प्रत्येक राज्य की सुदृढ़ता एवं सफलता उसके आदर्श नागरिकों पर ही आश्रित होती है। जिस राज्य के नागरिक अधिकारों के प्रति सजग नहीं होंगे तथा अपने कर्तव्यों का परिपालन उचित प्रकार से नहीं करेंगे
उस राज्य की प्रायः सभी योजनाएँ असफल ही रहेंगी। अधिकार जहाँ कल्याणकारी राज्य का स्थापना में सहायक हैं, वहीं ये एक लोकतान्त्रिक समाज की स्थापना में भी मददगार सिद्ध होते हैं।
(4)शासन की निरंकुशता पर प्रतिबन्ध तथा कानून के शासन की स्थापना-अधिकार सरकार को नियन्त्रित करके रखते हैं तथा उसे निरंकुश नहीं बनने देते हैं। इसी प्रकार, कानून
(5) अल्पसंख्यक हितों की सुरक्षा-अधिकार के महत्व का एक बिन्दु यह भी है कि के शासन की स्थापना में भी अधिकारों की महती भूमिका से इनकार नहीं किया जा सकता है। इसके द्वारा ही अल्पसंख्यकों के हितों की समुचित रक्षा हो पाती है।

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