pariksha adhyayan class 11th इतिहास – HISTORY अध्याय 7 विधायिका MP BOARD SOLUTION

अध्याय 7
विधायिका

अध्याय 7 विधायिका
अध्याय 7
विधायिका

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

बहु-विकल्पीय प्रश्न

1. सरकार के अंगों की संख्या कितनी है ?
(1) एक (ii) दो
(iii) तीन (iv) चार।

2. निम्नांकित में सरकार का अंग नहीं है-
(i) व्यवस्थापिका (ii) कार्यपालिका
(iii) लोकमत (iv) न्यायपालिका।

3. व्यवस्थापिका का कार्य है-
(i) न्याय करना (ii) कानून बनाना
(iii) प्रशासन चलाना (iv) इनमें से कोई नहीं।

4. प्रत्यायोजित (प्रदत्त) विधान किया जाता है-
संसद द्वारा
(ii) कार्यपालिका द्वारा (ii) कार्यपालिका द्वारा
(ii) लोक आयुक्त द्वारा (iv) न्यायपालिका द्वारा।

5. “यदि द्वितीय सदन प्रथम सदन का विरोध करता है तो दुष्ट है तथा यदि उससे सहमत हो जाता है तो व्यर्थ है।” उक्त कथन है-
(i) लॉस्की का (ii) गार्नर का
(ii) ऐलन बाल का (iv) एब्बेसीज का।

6. राज्यसभा के सदस्यों का कार्यकाल कितने वर्ष होता है ?
(i) 5 वर्ष (ii) 7 वर्ष
(ii)4 वर्ष (iv) 6 वर्ष।

7. राष्ट्रपति, राज्यसभा में कितने सदस्यों को मनोनीत करता है ?
(i) 10 (ii)12
(iii) 15 (iv) 20.

उत्तर-1. (iii), 2. (iii), 3. (ii), 4. (i), 5. (iv), 6. (iv),
7. (ii).

रिक्त स्थान पूर्ति

1. भारतीय संसद में………सदन हैं।
2. सामान्यतया लोकसभा का कार्यकाल………वर्ष है।
3. लोकसभा में मध्य प्रदेश से…….सदस्य निर्वाचित होते हैं।
4. लोकसभा के दो अधिवेशनों के बीच …….. से अधिक का समय नहीं होगा चाहिए।
5. वर्तमान में सभी पूर्व सांसदों को ……. रुपये मासिक पेंशन मिलती है। .
6. विधानसभा के निर्वाचित सदस्य ……… के सदस्यों के चुनाव में हिस्सा लेते हैं।
7. विधानसभा सदस्य ……..को तथा विधान परिषद् सदस्य को कहते हैं।
8. वर्तमान में नए राज्य……..में द्विसदनात्मक विधायिका है।

उत्तर-1. दो, 2. पाँच, 3. 29, 4. छ: माह, 5. बीस हजार,
6. राज्यसभा, 7. एम. एल. ए., एम. एल. सी., 8. तेलंगाना।

एक शब्द/वाक्य में उत्तर

1. सरकार के कानून बनाने वाले अंग को क्या कहते हैं ?
उत्तर-व्यवस्थापिका।

2. भारत की केन्द्रीय व्यवस्थापिका को क्या कहा जाता है ?
उत्तर-भारतीय संसद।

3. भारतीय संसद में कितने सदन हैं?
उत्तर-दो।

4. संसद की किन्हीं दो समितियों के नाम लिखिए।
उत्तर-(1) लोक लेखा समिति तथा (2) प्राकलन समिति।

5. संसद के दोनों सदनों में कौन-सा सदन शक्तिशाली है?
उत्तर-लोकसभा।

6. लोकसभा में बहुमत दल का नेता क्या कहलाता है ?
उत्तर-प्रधानमन्त्री।

7. वर्तमान में मध्यप्रदेश में विधानसभा में सदस्यों की संख्या कितनी है ?
उत्तर-230,

8. वर्तमान में राज्यसभा के सभापति तथा उपसभापति पद पर कौन आसीन है ?
उत्तर-वेंकैया नायडू तथा हरिवंश नारायण सिंह ।

9. राज्यसभा संसद का कौन-सा सदन है?
उत्तर-उच्च सदन।

सत्य/असत्य
1. वर्तमान लोकसभा अध्यक्ष पद पर ओम बिरला आसीन हैं।
2. अखिल भारतीय सेवाएँ प्रारम्भ करने का अधिकार सिर्फ राज्यसभा को ही प्राप्त है।
3. राज्यसभा का कार्यकाल 5 वर्ष है।
4. मध्यप्रदेश में राज्यसभा के लिए 10 स्थान हैं।
5. विधानसभा के अधिवेशनों हेतु कुल सदस्य संख्या का दसवाँ भाग उपस्थित होना जरूरी नहीं है।
6. राज्य विधानसभा सदस्यों का चुनाव प्रत्यक्ष रूप से वयस्क मताधिकार के आधार पर गुप्त मतदान द्वारा नहीं किया जाता।
7. विधान परिषद् वित्त विधेयक को अधिकतम 14 दिन तक ही रोक सकती है।

उत्तर-1. सत्य, 2. सत्य, 3. असत्य,4. असत्य, 5. असत्य,
6. असत्य, 7. सत्य।

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. व्यवस्थापिका का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-व्यवस्थापिका सरकार का वह हिस्सा है जो राज्य की इच्छा को संविधान, विधि (कानून) तथा नीति सम्बन्धी प्रस्तावों इत्यादि के रूप में व्यक्त करती है।

प्रश्न 2. व्यवस्थापिका कौन-से कार्य करती है ?
उत्तर-सरकार के महत्त्वपूर्ण अंग व्यवस्थापिका द्वारा कानून बनाने के अलावा प्रशासन, न्याय, वित्त, संवैधानिक संशोधन तथा निर्वाचन इत्यादि के क्षेत्र में विविध कार्य किए जाते हैं।

प्रश्न 3. हमारे देश भारत में कितने सदनों वाली व्यवस्थापिका है ?
उत्तर- भारत में दो सदनों वाली व्यवस्थापिका है, जिसके राज्यसभा तथा लोकसभा सदन हैं।

प्रश्न 4. राज्य विधानमण्डल के सदनों के नाम लिखते हुए बताइए कि किन भारतीय राज्यों में द्विसदनीय व्यवस्थापिका हैं ?
उत्तर-भारतीय संघ की इकाई राज्य विधान मण्डलों के दो सदन विधान सभा तथा विधान परिषद् हैं तथा बिहार, कनोटक, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश एवं तेलंगाना में द्विसदनीय
व्यवस्थापिका है।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. लोकसभा का कार्यकाल समझाइए।
उत्तर – हालांकि लोकसभा का कार्यकाल पाँच वर्ष है लेकिन देश का राष्ट्रपति प्रधानमन्त्री की सिफारिश पर इस समयावधि से पूर्व भी लोकसभा को भंग कर सकता है। संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार आपातकालीन परिस्थितियों में इसकी समयावधि को एक वर्ष तक और बढ़ाया जा सकता है। आपातकाल की घोषणा की समाप्ति के बाद छः माह
की समयावधि के अन्दर नई लोकसभा का गठन होना परमावश्यक है। अत: परिस्थितियों के अनुसार लोकसभा का कार्यकाल कम या ज्यादा किया जा सकता है। शासक के अल्पमत में आ जाने पर भी लोकसभा के भंग होने की आशंका रहती है।

प्रश्न 2. लोकसभा के सदस्यों के लिए योग्यताएँ लिखिए।
उत्तर-लोकसभा के सदस्यों के लिए संविधान द्वारा निम्नलिखित योग्यताओं का प्रावधान किया गया है-
(1) वह व्यक्ति भारत की नागरिकता हासिल किए हुए हो।
(2) वह व्यक्ति कम-से-कम 25 वर्ष की आयु प्राप्त कर चुका हो।
(3) भारत सरकार अथवा किसी राज्य सरकार के अन्तर्गत वह कोई लाभ का पद धारण न किए हो।
(4) वह किसी न्यायालय द्वारा पागल अथवा दिवालिया न घोषित किया गया हो।
(5) वह संसद द्वारा पारित एवं समय-समय पर संशोधित ‘जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951’ द्वारा निर्धारित अन्य योग्यताएँ रखता हो।

प्रश्न 3. राज्यसभा के सदस्यों के लिए योग्यताएँ लिखिए।
उत्तर-[इस प्रश्न के उत्तर हेतु लघु उत्तरीय प्रश्न 2 का उत्तर देखें। इसमें क्रमाक
(2) पर अंकित बिन्दु में 25 वर्ष के स्थान पर 30 वर्ष कर दें।

प्रश्न 4. लोकसभा सदस्यों का निर्वाचन किस प्रकार किया जाता है ?
उत्तर-लोकसभा के 543 सदस्यों का निर्वाचन प्रत्यक्ष रूप से गुप्त मतदान द्वारा वयस्क मताधिकार के आधार पर किया जाता है। भारत में प्रत्येक 18 वर्ष के महिला एवं पुरुष
मतदाताओं को लोकसभा के सदस्यों को चुनने का अधिकार है। सम्पूर्ण देश को पृथक्-पृथक निर्वाचन क्षेत्रों में विभक्त करके इस प्रकार बनाया जाता है, कि सभी की जनसंख्या प्राय: समान हो। प्रत्येक निर्धारित क्षेत्र में जिस उम्मीदवार को सर्वाधिक वोट मिलते हैं, वह लोकसभा का सदस्य बन जाता है। निर्वाचित सदस्यों में आंग्ल भारतीय सदस्यों का प्रतिधिनित्व न होने पर भारत के राष्ट्रपति को इस समुदाय से दो सदस्य मनोनीत करने का अधिकार है।

प्रश्न 5. लोकसभा सदस्यों के विशेषाधिकार लिखिए।
अथवा
संसद सदस्यों के कोई तीन विशेषाधिकार लिखिए।
विशेषाधिकार हासिल हैं-
उत्तर-लोकसभा सदस्यों को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 105 द्वारा निम्नलिखित
(1) प्रत्येक लोकसभा सदस्य, सदन के विचार विमर्श में स्वतन्त्रतापूर्वक हिस्सा ले दी जा सकती है। सकता है तथा सदन में उसके द्वारा दिए गए वक्तव्य को किसी भी न्यायालय में चुनौती नहीं
(2) अधिवेशन के दौरान तथा उसके 40 दिन पहले तथा 40 दिन बाद तक दीवानी मामलों में लोकसभा सदस्य को बन्दी नहीं बनाया जा सकता है।
(3) फौजदारी मामलों में किसी भी लोकसभा सदस्य की गिरफ्तारी लोकसभा अध्यक्ष
(स्पीकर) से पूर्व अनुमति लेकर ही की जा सकती है।

प्रश्न 6. लोकसभा की कौन-कौनसी शक्तियाँ हैं ?
उत्तर- भारतीय संसद के निम्न सदन अर्थात लोकसभा की शक्तियों में कानूनों का निर्माण करना, राज्य के वित्त पर अंकुश लगाकर आम तथा रेल बजट पारित कराना, मन्त्रिपरिषद् पर नियन्त्रण रखना, संविधान संशोधन करना, राष्ट्रपति एवं उपराष्ट्रपति के निर्वाचन में मताधिकार का प्रयोग करना, राष्ट्रपति पर महाभियोग चलाना, न्यायाधीश एवं अन्य उच्चाधिकारियों को पद से हटाने सम्बन्धी प्रस्ताव पारित. कराना इत्यादि उल्लेखनीय हैं। उक्त शक्तियों के अतिरिक्त,
लोकसभा राष्ट्रपति द्वारा जारी आपातकालीन उद्घोषणा को स्वीकृति प्रदान करती है।
प्रश्न 7. स्पीकर की नियुक्ति कैसे होती है तथा उसकी क्या शक्तियाँ हैं ?
उत्तर-लोकसभा के सबसे बड़े पदाधिकारी स्पीकर की नियुक्ति सदन के सदस्यों द्वारा बहुमत के आधार पर की जाती है।
[लोकसभा अध्यक्ष की शक्तियों के लिए दीर्घ उत्तरीय प्रश्न संख्या 3 का उत्तर देखें।]
प्रश्न 8. “लोकसभा राज्यसभा से श्रेष्ठ है।” स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-लोकसभा विभिन्न दृष्टिकोणों से राज्यसभा से श्रेष्ठ अथवा शक्तिशाली है। कार्यपालिका लोकसभा के प्रति उत्तरदायी होती है, न कि राज्यसभा के प्रति। यदि लोकसभा
चाहे तो मन्त्रिपरिषद् के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पारित कराके उसे अपदस्थ कर सकती है, परन्तु राज्यसभा को यह शक्ति हासिल नहीं होती है। साधारण विधेयक के सम्बन्ध में हालांकि लोकसभा एवं राज्यसभा की शक्तियाँ बराबर हैं, लेकिन फिर भी राज्य सभा साधारण विधेयक को अधिकतम छ: माह की समयावधि तक रोक सकती है। धन विधेयक सिर्फ लोकसभा में ही प्रस्तुत किया जा सकता है। वित्तीय मामलों पर सिर्फ लोकसभा का ही नियन्त्रण है, राज्यसभा
का नहीं। उक्त विवरण से स्पष्ट हो जाता है कि लोकसभा राज्यसभा की अपेक्षाकृत श्रेष्ठ है।

प्रश्न 9. राज्यसभा के गठन की प्रक्रिया लिखिए।
उत्तर-भारतीय संसद के उच्च सदन, अर्थात् राज्यसभा में अधिकतम 250 सदस्य हो सकते हैं, जिनमें 12 सदस्यों को राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत किया जाता है। भारत के राष्ट्रपति
द्वारा मनोनीत ये 12 सदस्य साहित्य, विज्ञान, कला अथवा समाजसेवा के क्षेत्र में विशेष योगदान देने वाले व्यक्ति होते हैं। शेष सदस्य विभिन्न राज्यों के प्रतिनिधि होते हैं, जिनका चयन इकाई राज्यों की विधान सभाओं के सदस्यों द्वारा समानुपाती प्रतिनिधित्व प्रणाली के अनुसार एकल संक्रमणीय मत द्वारा किया जाता है। वर्तमान राज्यसभा में कुल 245 सदस्य हैं, जिनमें 233 निर्वाचित तथा 12 राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत हैं।

प्रश्न 10. संसद की चार शक्तियाँ लिखिए।
उत्तर-संसद की चार शक्तियाँ निम्नवत् हैं-
(1) मूलरूप से संसद एक विधायी संस्था है अतः इसके द्वारा कानून बनाने का कार्य किया जाता है।
(2) संसद को वित्तीय क्षेत्र में यह अधिकार प्राप्त है कि उसकी अनुमति के बिना न तो कोई नया कर लगाया जा सकता है और न ही कोई धनराशि व्यय की जा सकती है।
(3) देश के संविधान में किसी भी तरह का संशोधन करने की शक्ति संसद को ही हासिल होती है।
(4) संसदीय शासन प्रणाली में संसद कार्यपालिका पर प्रभावी रूप से नियन्त्रण रखने का अधिकार भी रखती है।

प्रश्न 11. राज्य विधानमण्डल की विधायी शक्तियाँ लिखिए।
उत्तर-राज्य विधानमण्डल की विधायी शक्तियाँ सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण हैं। राज्य विधानमण्डल अपनी विधायी शक्ति का प्रयोग करके जहाँ राज्य के पुराने कानूनों में जरूरतों
एवं बदली हुई परिस्थितियों के अनुरूप संशोधन करता है, वहीं गैर-जरूरी कानूनों के स्थान पर नये कानूनों को बनाता है। राज्य विधानमण्डल को राज्य सूची तथा समवर्ती सूची में वर्णित विषयों पर कानून बनाने का अधिकार हासिल है, लेकिन समवर्ती सूची में जिस विषय पर संसद कानून बना देती है, उस पर राज्य विधानमण्डल कानून नहीं बना सकता है।

प्रश्न 12. राज्य विधानमण्डल में प्रस्तुत किसी विधेयक पर विवाद की स्थिति में क्या प्रक्रिया अपनायी जाती है ?
उत्तर-जिस प्रकार केन्द्रीय व्यवस्थापिका, अर्थात् संसद में किसी विधेयक के बारे में विवाद की स्थिति पैदा होने पर संसद के दोनों सदनों के संयुक्त अधिवेशन बुलाने की परम्परा
है, ठीक उसी प्रकार, राज्य विधानमण्डल में ऐसा कोई नियम अथवा शिष्टाचार नहीं है। यदि विधान परिषद् किसी विधेयक पर तीन माह तक कोई फैसला नहीं लेती है अथवा विधानसभा से सहमत नहीं होती है, तो संयुक्त अधिवेशन का प्रावधान न होने की वजह से बहुमत निर्णय के रूप से पारित माना जाता है। अनुसार विधानसभा का संख्या बल अधिक होने पर उसी का संशोधन अथवा प्रस्ताव अन्तिम

प्रश्न 13. विधानसभा का सदस्य निर्वाचित होने के लिए किसी व्यक्ति में किन योग्यताओं का होना जरूरी है?
उत्तर-विधानसभा का सदस्य निर्वाचित होने के लिए किसी व्यक्ति में निम्नलिखित योग्यताएँ होना जरूरी है-
(1) प्रत्याशी को भारत का नागरिक होना चाहिए।
(2) प्रत्याशी की आयु 25 वर्ष से कम न हो।
(3) प्रत्याशी संसदीय कानूनों द्वारा मस्त पदों को छोड़कर भारन अथवा किसी राज्य सरकार के अधन लाभ के पद पर न हो।
(4) प्रत्यासी दिवालिया, पागल, कोढ़ी तथा ऐसे अपराध में दोषी न हो जिसके कारण उसे मताधिकार से वंचित कर दिया गया हो। पूर्ति करता हो।
(5) प्रत्याशी रामय समय पर राज्य विधानमण्डल द्वारा निर्धारित अन्य योग्यताओं की

प्रश्न 14, विधानसभा मन्त्रिपरिषद पर किस प्रकार नियन्त्रण रखती है ?
उत्तर-संसदात्मक सरकार में मन्त्रिपरिषद् अपने समस्त कार्यों एवं प्रशासनिक उत्तरदायित्वों हेतु प्रत्यक्ष रूप से विधानसभा के प्रति उत्तरदायी होने के साथ-साथ अप्रत्यक्ष रूप से जनसाधारण के प्रति भी उत्तरदायी होती है। इसी उत्तरदायित्व की वजह से विधानसभा मन्त्रिपरिषद् पर अपना प्रभावशाली नियन्त्रण स्थापित करती है। विधानसभा मन्त्रियों से उनके विभाग सम्बन्धी प्रश्न तथा पूरक प्रश्न पूछकर उनके खिलाफ निन्दा प्रस्ताव, आलोचना सम्बन्धी प्रस्ताव, काम रोको प्रस्ताव तथा अविश्वास प्रस्ताव द्वारा अपना नियन्त्रण रखती है।

प्रश्न 15. विधानसभा अध्यक्ष की शक्तियाँ लिखिए।
उत्तर-विधानसभा अध्यक्ष के प्रमुख कार्य (शक्तियाँ) निम्नांकित है-
(1) यह विधानसभा की बैठकों की अध्यक्षता करके सदन की कार्यवाही संचालित करता है। सदन में शान्ति एवं व्यवस्था बनाने हेतु उसे समस्त जरूरी कार्यवाही करने की शक्ति
हासिल है।
(2) कोई विधेयक धन विधेयक है अथवा नहीं; इसका फैसला विधानसभा अध्यक्ष द्वारा ही किया जाता है।
(3) सामान्यतया स्पीकर सदन में मतदान में हिस्सा नहीं लेता, लेकिन यदि किसी प्रश्न पर मत विभाजन के दौरान पक्ष एवं विपक्ष में बराबर मत आये तो वह अपने निर्णायक मत का
प्रयोग कर सकता है।
(4) वह सदन के सदस्यों के अधिकारों की रक्षा करता है तथा सदन एवं राज्यपाल के बीच समस्त पत्र व्यवहार उसी के द्वारा किये जाते हैं।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. संसद की शक्तियाँ लिखते हुए किसी एक को समझाइए।
उत्तर-संसद की शक्तियाँ-संसद की शक्तियों में मुख्यतया विधायी अथवा कानून निर्माण सम्बन्धी शक्ति, वित्तीय शक्ति, कार्यपालिका पर नियन्त्रण की शक्ति, संविधान संशोधन
की शक्ति तथा विविध शक्तियाँ इत्यादि हैं। संसद की विविध शक्तियाँ-संसद को निम्नलिखित विविध शक्तियाँ प्राप्त हैं-
(1) राष्ट्रपति तथा उपराष्ट्रपति का चुनाव करना संसद के अधिकार क्षेत्र में आता है।
(2) राष्ट्रपति पर महाभियोग लगाना संसद की ही शक्तियों में है।
(3) सर्वोच्च ( उच्चतम) तथा उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों को उनके पद से अपदस्थ करना भी संसद की शक्ति है।
(4) आपातकाल की स्थिति की घोषणा का अनुमोदन भी संसद द्वारा ही होता है।
(5) विभिन्न स्वायत्तशासी संस्थाओं जैसे-संघ लोक सेवा आयोग, अल्पसंख्यक आयोग, वित्त आयोग तथा सम्प्रेषक एवं महालेखा परीक्षक इत्यादि के वार्षिक प्रतिवेदन पर विचार संसद के अधिकार क्षेत्र में ही आता है।

प्रश्न 2. लोकसभा की शक्तियों और कार्यों का वर्णन कीजिए।
उत्तर- लोकसभा की शक्तियाँ एवं कार्य
लोकसभा की प्रमुख शक्तियों को संक्षेप में निम्न प्रकार स्पष्ट किया जा सकता है-
(1) व्यवस्थापिका सम्बन्धी शक्तियाँ-लोकसभा संघ सूची में वर्णित विषयों पर कानून बनाती है। इसे समवर्ती सूची के विषयों पर भी कानून बनाने का अधिकार है। इसके
अलावा, लोकसभा विशेष परिस्थितियों में राज्य सूची में वर्णित विषयों पर भी कानून बनाने का कार्य कर सकती है। गैर-विधेयकों अथवा अवित्तीय विधेयकों के बारे में यदि संसद के दोनों सदनों में कोई मतभेद हो, तो संयुक्त अधिवेशन में लोकसभा की स्थिति काफी शक्तिशाली होती है तथा वह विधेयक को पारित कराने की स्थिति में होती है।
(2) कार्यपालिका सम्बन्धी शक्तियाँ-भारत की संसदात्मक सरकार में प्रधानमन्त्री एवं उसकी मन्त्रिपरिषद् वास्तविक रूप से लोकसभा के प्रति उत्तरदायी है। यदि लोकसभा मन्त्रिपरिषद् के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पारित कर दे, तो उसे पद त्याग करना पड़ता है। इसके अलावा, लोकसभा प्रश्नोत्तर, काम रोको, ध्यानाकर्षण, निन्दा, कटौती प्रस्ताव तथा संसदीय समितियों के माध्यम से मन्त्रिपरिषद् पर अंकुश लगाती है। .
(3) वित्तीय शक्तियाँ-वित्त के सन्दर्भ में लोकसभा की स्थिति काफी मजबूत है। कोई भी वित्त विधेयक सर्वप्रथम लोकसभा में ही पेश किया जाता है। लोकसभा द्वारा पारित होने के
बाद वित्त विधेयक राज्यसभा में जाता है जो कि उसे अधिकतम 14 दिन रोक सकती है। यदि जाता है। इस समयावधि में राज्यसभा उसे पारित न करे, तो भी वह अपने आप पारित हुआ मान लिया
(4) निर्वाचन सम्बन्धी शक्तियाँ-लोकसभा राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, अपने अध्यक्ष, अर्थात् स्पीकर तथा उपाध्यक्ष, अर्थात् डिप्टी स्पीकर का चुनाव करती है।
(5) अन्य शक्तियाँ-लोकसभा को उक्त शक्तियों के अलावा निम्न महत्त्वपूर्ण अधिकार भी प्राप्त होते हैं-
(i) उपराष्ट्रपति को पदच्युत करने सम्बन्धी राज्यसभा के प्रस्ताव पर लोकसभा की स्वीकृति जरूरी है।
(ii) भारतीय नागरिकता हासिल करने तथा समाप्त करने के बारे में लोकसभा कानून बनाती है।
(iii) यदि राष्ट्रपति क्षमादान देना चाहे, तो उसकी स्वीकृति संसद से लेनी जरूरी है।
(iv) लोकसभा जनसमस्याओं, शिकायतों, विचारों एवं जनसभाओं को सरकार तक पहुँचाने का महत्त्वपूर्ण कार्य भी करती है।

प्रश्न 3. लोकसभा अध्यक्ष की शक्तियां लिखिए।
अथवा
लोकसभा अध्यक्ष के कोई पांच कार्य लिखिए।
उत्तर- लोकसभा अध्यक्ष (स्पीकर) की शक्तियां (कार्य)
लोकसभा अध्यक्ष (स्पीकर) की शक्तियों अथवा कार्य निम्न प्रकार है-
(1) सदन की कार्यवाही का संचालन-वह सदन की बैठकों की अध्यक्षता करके समस्त कार्यवाही को संचालित करता है। लोकसभा अध्यक्ष सदन के सदस्यों द्वारा पूछे गए प्रश्नों को स्वीकार अथवा स्वीकार करता है।
(2) सदस्यों को चेतावनी देना-लोकसभा अध्यक्ष सदन में अनुशासनहीनता में लिप्त होने वाले सदस्यों को चेतावनी देता है और अपनी आज्ञाओं की अवहेलना किए जाने की परिस्थिति में ‘मार्शल’ की सहायता से ऐसे सदस्यों को सदन से बाहर निकलवा सकता है।
(3) विधेयक की श्रेणी का निर्धारण तथा मतदान करना-कोई विधेयक धन विधेयक है अथवा नहीं इसका फैसला लोकसभा अध्यक्ष द्वारा ही किया जाता है। स्पीकर ही प्रस्तावों तथा विधेयकों इत्यादि पर मतदान कराके उसका परिणाम भी घोषित करता है।
(4) सदन की कार्यवाही को स्थगित करना-लोकसभा अध्यक्ष सदन में अधिक गड़बड़ी (शोर-शराबा होने) पर सदन की कार्यवाही को कुछ समय के लिए अथवा अनिश्चित
काल के लिए स्थगित कर सकता है।
(5) प्रमुख समितियों का गठन-लोकसभा का अध्यक्ष सदन की प्रवर समितियों के अध्यक्षों की नियुक्ति करता है। वह नियम समिति तथा कार्यवाही समिति इत्यादि का स्वयं
पदेन अध्यक्ष भी होता है।
(6) निर्णायक मत देना-लोकसभा अध्यक्ष प्राय: मतदान में भाग नहीं लेता है लेकिन मत विभाजन के दौरान एक समान मत पड़ने की परिस्थिति में वह अपना निर्णायक मत दे
सकता है।

प्रश्न 4. ‘राज्यसभा’ की शक्तियों और कार्यों का वर्णन कीजिए।
उत्तर- राज्यसभा की शक्तियाँ एवं कार्य
राज्यसभा की शक्तियों को संक्षेप में निम्न प्रकार स्पष्ट किया जा सकता है-
(1) विधायी शक्तियाँ-राज्यसभा लोकसभा के साथ मिलकर देश के लिए कानूनों को बनाने का महत्त्वपूर्ण कार्य करती है। साधारण अथवा अवित्तीय विधेयक के बारे में इसे लोकसभा के समान शक्ति हासिल है। कोई भी साधारण विधेयक दोनों सदनों में से किसी भी सदन में प्रस्तावित किया जा सकता है। दोनों सदनों से प्रस्तावित होने के बाद राष्ट्रपति के हस्ताक्षर होने के पश्चात् यह कानून का रूप धारण कर लेता है।
(2) कार्यपालिका सम्बन्धी शक्तियाँ-हालांकि राज्यसभा का कार्यपालिका पर नियंत्रण नहीं रहता है तथा वह उसके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पारित नहीं कर सकती है,
लेकिन यह प्रश्नोत्तर, ध्यानाकर्षण, निन्दा तथा काम रोको प्रस्ताव एवं संसदीय समितियों के माध्यम से कार्यपालिका अर्थात् मन्त्रिपरिषद् पर अंकुश लगाती है।
(3) वित्तीय शक्तियाँ-वित्त के सम्बन्ध में राज्यसभा लोकसभा की अपेक्षाकृत काफी कमजोर स्थिति में है, क्योंकि वित्त विधेयक सबसे पहले राज्यसभा में नहीं रखे जा सकते हैं।
लोकसभा द्वारा पारित विधेयक को राज्यसभा द्वारा अधिकतम 14 दिनों की समय अवधिn? के भीतर
पारित करके भेजना होता है। यदि इस समय अवधि में वह इस विधेयक को वापस न करे तो भी यह पारित मान लिया जाता है।
(4) निर्वाचन सम्बन्धी शक्तियाँ-राज्यसभा के निर्वाचित सदस्य राष्ट्रपति के चुनाव में हिस्सा लेते हैं। उपराष्ट्रपति के चुनाव में इसके निर्वाचित एवं मनोनीत दोनों ही प्रकार के सदस्य
भाग लेते हैं तथा वह अपना उपसभापति भी स्वयं ही चयनित करते हैं।
(5) अन्य शक्तियाँ-उक्त शक्तियों के अलावा राज्यसभा को निम्नलिखित अधिकार भी हासिल हैं-
(1) राज्यसभा राज्य सूची में वर्णित किसी भी विषय को अपने दो-तिहाई बहुमत से राष्ट्रीय महच्च का घोषित कर सकती है।
(ii) राज्यसभा अपने उपस्थित तथा मत देने वाले सदस्यों के दो-तिहाई बहुमत से नई अखिल भारतीय सेवाएं शुरू करने का अधिकार केन्द्रीय सरकार को दे सकती है।
(iii) राज्यसभा लोकसभा के साथ मिलकर राष्ट्रपति एवं उपराष्ट्रपति पर महाभियोग का आरोप लगाने अथवा उसकी जाँच करने की शक्ति भी रखती है।

प्रश्न 5. राज्य विधानसभा की शक्तियों को समझाकर लिखिए।
उत्तर- राज्य विधानसभा की शक्तियाँ
राज्य विधानसभा की शक्तियों को संक्षेप में निम्न प्रकार स्पष्ट किया जा सकता है-
(1) विधायी शक्तियाँ-विधानसभा राज्य सूची तथा समवर्ती सूची में वर्णित विषयों पर कानून बनाने का अधिकार रखती है। यहाँ यह उल्लेखनीय है कि समवर्ती सूची के विषय
पर राज्य विधानमंडल द्वारा निर्मित कोई कानून यदि उसी विषय पर संसद द्वारा निर्मित कानून के खिलाफ हो तो राज्य विधानमंडल द्वारा बनाया गया कानून मान्य नहीं होगा। यदि विधान परिषद किसी विधेयक में संशोधन करती है तो विधानसभा ऊस संशोधन को रद्द करने का
अधिकार भी रखती है।
(2) प्रशासनिक शक्तियाँ-राज्य मंत्रिपरिषद अपनी नीतियों एवं कार्यों हेतु सामूहिक रूप से विधानसभा के प्रति उत्तरदायी है। विधानसभा सदस्य प्रश्नोत्तरी, काम रोको, ध्यानाकर्षण,
निंदा तथा कटौती प्रस्ताव द्वारा मंत्रिपरिषद पर नियंत्रण रखते हैं। वे मन्त्रिपरिषद् के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पारित करके उसे पदच्युत करने की शक्ति भी रखते हैं।
(3) वित्तीय शक्तियाँ-विधानसभा का राज्य के वित्त पर पूर्णरूपेण नियंत्रण होता है। आय-व्यय का वार्षिक लेखा-जोखा अर्थात बजट विधानसभा से स्वीकृत होने पर ही शासन द्वारा आय-व्यय से सम्बन्धित कोई भी कार्य किया जा सकता है। विधानसभा से विनियोग विधेयक पारित होने पर ही सरकार संचित निधि से व्यय हेतु धनराशि निकाल सकती है।
(4) निर्वाचन सम्बन्धी शक्तियाँ-राज्य विधानसभा के निर्वाचित सदस्य राष्ट्रपति के चुनाव में भाग लेते हैं तथा अपना अध्यक्ष (स्पीकर) भी स्वयं अपने ही सदस्यों में से जानते हैं।
राज्यसभा के सदस्यों का चयन भी विधानसभा सदस्यों द्वारा किया जाता है।
(5) संविधान संशोधन की शक्ति-संविधान के कुछ अनुच्छेदों में संशोधन हेतु संसद के साथ भारतीय संघ की न्यूनतम आधे राज्यों की विधानसभाओं की स्वीकृति जरूरी है। इस प्रकार, राज्य विधानसभा को संविधान संशोधन सम्बन्धी कार्यों में हिस्सा लेने की भी शक्ति हासिल है।

प्रश्न 6. धन विधेयक तथा साधारण विधेयक में अंतर बताइए।
उत्तर-धन विधेयक तथा साधारण विधेयक में अंतर
धन विधेयक तथा साधारण विधेयक में मुख्य रूप से निम्नलिखित अन्तर अथवा भेद
(1) विधेयक प्रस्तुतिकरण सम्बन्धी अन्तर-साधारण विधेयक संसद के किसी भी सदन में प्रस्तुत किया जा सकता है। यह सरकारी विधेयक भी होता है तथा गैर-सरकारी भी हो
सकता है। धन विधेयक लोकसभा में राष्ट्रपति की पूर्व स्वीकृति से ही सदन के पटल पर रखा जा सकता है। यहाँ यह उल्लेखनीय है कि धन विधेयक को वित्त मंत्री ही प्रस्तुत कर सकता है तथा साधारण सदस्य इसे प्रस्तुत नहीं कर सकते हैं।
(2) राज्याध्यक्ष की अनुमति सम्बन्धी अन्तर-धन विधेयक पर राज्याध्यक्ष का प्रथम बार में ही हस्ताक्षर करने पड़ते हैं, जबकि साधारण विधेयक पर वह एक बार अपनी असहमति
भी प्रकट कर सकता है।
(3) मतभेद के पश्चात् की प्रक्रिया सम्बन्धी अन्तर-साधारण विधेयक पर दोनों सदनों में मतभेद होने पर दोनों ही सदनों की एक संयुक्त बैठक आहूत की जाती है, जबकि धन विधेयक लोकसभा में पारित होने के उपरान्त राज्यसभा को भेज दिया जाता है, जो उसे अधिकतम 14 दिन तक रोक सकती है। इस समय अवधि के व्यतीत होने के बाद चाहे राज्यसभा इसे पारित करे अथवा नहीं, वह पारित मान लिया जाता है।

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