पाठ 6 स्त्री-शिक्षा के विरोधी कुतर्कों का खंडन -महावीरप्रसाद द्विवेदी – निबन्ध for mp board

पाठ 6 स्त्री-शिक्षा के विरोधी कुतर्कों का खंडन -महावीरप्रसाद द्विवेदी – निबन्ध

अभ्यास प्रश्न

प्रश्न 1. कुछ पुरातन पंथी लोग स्त्रियों की शिक्षा के विरोधी थे। द्विवेदी जी ने क्या-क्या तर्क देकर स्त्री शिक्षा का समर्थन किया ?
उत्तर-कुछ पुरातन पंथी लोग स्त्रियों की शिक्षा के विरोधी थे। द्विवेदी जी ने निम्नलिखित तर्क देकर स्त्री-शिक्षा का समर्थन किया-
(1) माना प्राचीनकाल में किसी कारणवश स्त्रियों को पढ़ाया नहीं जाता था। संस्कृत भाषा के कवियों ने भी अपनी रचनाओं में स्त्रियों व अपढ़ों की भाषा में बातें कराई हैं। यह बात ठीक नहीं है क्योंकि नाटकों में स्त्रियों की भाषा प्राकृत (अशुद्ध संस्कृत। भाषा) होना उनके अनपढ़ होने का प्रमाण नहीं है।
(2) कुछ लोगों का मानना है कि स्त्रियों को पढ़ाने से अनर्थ होते हैं। राजा दुष्यन्त की पत्नी शकुन्तला भी पढ़ी-लिखी नहीं। थी। इसका उत्तर देते हुए लेखक कहते हैं कि इस शकुन्तला ने | 7 राजा दुष्यन्त को सस्कृत-श्लोक की भाषा में जो कटु वाक्य कहे। हैं वे उसकी पढ़ाई का ही परिणाम थे। की भाषा थी। अतः नागरिकों की भाषा की बात तो
(3) जिस भाषा में शकुन्तला ने श्लोक रचा था वह अपढ़ा। दूर रही अपढ़ गँवारों की भाषा पढ़ाना स्त्रियों को बर्बाद करना है। इस तर्क का उत्तर देते हुए लेखक कहते हैं कि हमारे देश में अत्रि, गार्गी, अपाला, जैसी विदुषी नारियाँ रही हैं जिन्होंने शंकराचार्य । जैसे विद्वानों को व्याख्यान में पराजित कर दिया था। अत: स्त्रियों को अवश्य पढ़ाना चाहिए।

प्रश्न 2. ‘स्त्रियों को पढ़ाने से अनर्थ होते हैं-कुतर्क | वादियों की इस दलील का खण्डन द्विवेदी जी ने कैसे किया है? अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर-‘स्त्रियों को पढ़ाने से अनर्थ होते हैं’- कुतर्कवादियों की इस दलील का खण्डन करते हुए द्विवेदी जी कहते हैं कि स्त्रियों का किया हुआ अनर्थ यदि पढ़ाने का ही परिणाम है तो पुरुषों का किया हुआ अनर्थ भी उसकी विद्या और शिक्षा का ही परिणाम समझना चाहिए। बम के गोले फेंकना, नरहत्या करना, डाके डालना, चोरियों करना, घूस लेना। ये सब यदि पढ़ने-लिखने का ही परिणाम हो तो सारे कॉलेज, स्कल और पाठशालाएँ बन्द हो जानी चाहिए।

प्रश्न 3. द्विवेदी जी ने स्त्री-शिक्षा विरोधी कुतों का खण्डन करने के लिए व्यंग्य का सहारा लिया है-जैसे ‘यह सब पापी पढ़ने का अपराध है। न वे पढ़ती, न वे पूजनीय पुरुषों का मुकाबला करतीं।’ आप ऐसे अन्य अंशों को निबन्ध में से छाँटकर समझिए और लिखिए।
उत्तर-द्विवेदी जी ने स्त्री-शिक्षा विरोधी कुतर्कों का खण्डन करने के लिए व्यंग्य का सहारा लिया है; जैसे-‘यह सब पापी पढ़ने का अपराध है। न वे पढ़ती न वे पूजनीय पुरुषों का मुकाबला करती।’ प्रस्तुत निबन्ध में आए ऐसे अन्य अंश इस प्रकार हैं-
(1) शकुन्तला ने जो कटु वाक्य दुष्यन्त को कहे, वह इस पढ़ाई का ही दुष्परिणाम था। (2) प्राकृत यदि उस समय की प्रचलित भाषा न होती तो बौद्धों तथा जैनों के हजारों ग्रन्थ उसमें क्यों लिखे जाते। (3) सभी प्राक्कालीन स्त्रियाँ अपढ़ होती तो उसकी बात पर विश्वास करने की जरूरत नहीं।

प्रश्न 4. पुराने समय में स्त्रियों द्वारा प्राकृत भाषा में बोलना क्या उनके अपढ़ होने का सबूत है-पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-पुराने समय में स्त्रियों द्वारा प्राकृत भाषा में बोलना उनके अपढ़ होने का सबूत नहीं है। संस्कृत नाटकों में स्त्रियों का प्राकृत बोलना उनके अपढ़ होने का प्रमाण नहीं है। अधिक से अधिक इतना ही कहा जा सकता है कि वे संस्कृत नहीं बोल सकती थीं। संस्कृत न बोल सकना न उनके अपढ़ होने का सबूत है और न गँवार होने का।

प्रश्न 5. परम्परा के उन्हीं पक्षों को स्वीकार किया जाना चाहिए जो स्त्री-पुरुष समानता को बढ़ाते हों-तर्क सहित उत्तर दीजिए।
उत्तर-परम्परा के उन्हीं पक्षों को सदैव स्वीकार किया जाना चाहिए जो स्त्री-पुरुष समानता को बढ़ाते हों। स्त्री तथा पुरुष एक-दूसरे के पूरक हैं। स्त्री के बिना पुरुष तथा पुरुष के बिना स्त्री अधूरे माने जाते हैं। सृष्टि का निर्माण भी दोनों के सहयोग ही हुआ है। दोनों ही एक गाड़ी के दो पहियों के समान हैं। वर्तमान में भी स्त्री की समानता पर बल दिया जा रहा है। आज हर क्षेत्र में स्त्रियाँ पुरुष के कन्धे है।

प्रश्न 6. तब की शिक्षा प्रणाली और अब की शिक्षा- प्रणाली में क्या अन्तर है ? स्पष्ट करें। कन्धा मिलाकर चल रही
उत्तर-तब की अर्थात् प्राचीनकाल की शिक्षा प्रणाली और वर्तमान शिक्षा प्रणाली में बहुत असमानता हो गई है। वैदिक काल के गुरुकुलों में शिक्षा द्वारा व्यक्ति का सर्वांगीण विकास किया जाता था तथा शिक्षा पर कोई शुल्क नहीं देना पड़ता था। गुरु की सेवादि के द्वारा ही गुरुदक्षिणा प्रदान कर दी जाती थी परन्तु आज के समय में शिक्षा बेची जा रही है। विद्यालय एवं महाविद्यालय विद्यार्थी का आर्थिक एवं मानसिक हनन करने में संलग्न हैं। प्राचीन शिक्षा वेद मन्त्रों पर आधारित थी परन्तु वर्तमान शिक्षा विज्ञान पर आधारित है। रचना और अभिव्यक्ति

प्रश्न 7.महावीरप्रसाद द्विवेदी का निबन्ध उनकी दूरगामी और खुली सोच का परिचायक है; कैसे ?
उत्तर-महावीरप्रसाद द्विवेदी का निबन्ध उनकी दूरगामी और खुली सोच का परिचायक है क्योंकि इस निबन्ध में स्त्री-शिक्षा पर विशेष बल दिया गया है। स्त्री को बच्चे की प्रथम पाठशाला माना गया है। यदि बालक की प्रथम पाठशाला ही ठीक नहीं होगी तो उसका भविष्य कभी उज्ज्वल नहीं बन सकता है। वर्तमान में स्त्रियों को पढ़-लिखकर पुरुषों के साथ समान कार्यों में सहगामी बनना चाहिए।

प्रश्न 8. द्विवेदी जी की भाषा-शैली पर एक अनुच्छेद लिखिए।
उत्तर-आचार्य महावीरप्रसाद द्विवेदी को भाषा-व्याकरण का मर्मज्ञ माना जाता है। उन्होंने अपनी रचनाओं में तत्सम शब्दों से मिश्रित भाषा का प्रयोग किया है। कहीं-कहीं पर भावानुकूल अंग्रेजी एवं उर्दू शब्दों की भी प्रधानता देखी जाती है। आपकी भाषा सरल, सरस तथा भावानुकूल है। आपने अपनी कृतियों में व्यंग्यात्मक, व्यास, चित्रात्मक इत्यादि शैलियों का प्रयोग किया है। भाषा अध्ययन

प्रश्न 9. निम्नलिखित अनेकार्थी शब्दों को ऐसे वाक्यों में प्रयुक्त कीजिए जिनमें उनके एकाधिक अर्थ स्पष्ट हों- चाल, दल, पत्र, हरा, पर, फल, कुल
उत्तर-चाल (1) राम की चाल बहुत तेज है। (2) मैं उसकी चाल को समझ नहीं पाया था। दल (1) टिड्डियों के दल ने फसल को नष्ट कर दिया। (2) मैं राजनैतिक दल से दूर ही रहता हूँ। पत्र (1) वृक्ष से अनेक पत्र गिर रहे हैं। (2) मैंने अपने मित्र को कल पत्र लिखा था। हरा (1) पानी डालने से पेड़ हरा हो गया। (2) राम ने युद्ध में रावण को हरा दिया। (1) पक्षियों के पर रंग-बिरंगे होते हैं। (2) रमेश घर पर नहीं था। (1) आम का फल मधुर होता है। (2) जैसा करोगे वैसा फल पाओगे। कुल (1) पक्षियों का कुल बोल रहा है। (2) विवाह में कुल पचास व्यक्ति थे। पाठेतर सक्रियता

1. अपनी दादी, नानी और माँ से बातचीत कीजिए और (स्त्री-शिक्षा सम्बन्धी) उस समय की स्थितियों का पता लगाइए और अपनी स्थितियों से तुलना करते हुए निबन्ध लिखिए। चाहे तो उसके साथ तस्वीरें भी चिपकाइए।
उत्तर-विद्यार्थी अपने परिवारीजनों की सहायता से स्वयं लिखें।

2. लड़कियों की शिक्षा के प्रति परिवार और समाज में जागरूकता आए इसके लिए आप क्या-क्या करेंगे?
उत्तर- इसके लिए हम निम्नलिखित प्रयास करेंगे- (1) अपने माता-पिता को स्त्री जाति को पढ़ाने हेतु बतलाएँगे। (2) समाज में ‘बेटी पढ़ाओ’ की भावना विकसित करेंगे। (3) निरक्षर लड़कियों को साक्षर बनाएँगे। (4) स्त्री शिक्षा के प्रसारार्थ सरकार से भी अनुरोध करेंगे। (5) स्त्री-शिक्षा के हित में जो भी होगा सब करने का प्रयास करेंगे। 3. स्त्री-शिक्षा पर एक पोस्टर तैयार कीजिए। उत्तर-विद्यार्थी स्वयं करें। प्रस्तुत कीजिए। 4. स्त्री-शिक्षा पर एक नुक्कड़ नाटक तैयार कर उसे उत्तर-विद्यार्थी स्वयं करें।

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