MP board Class 10 Sanskrit अध्याय 15 वाच्य परिवर्तनम् solution NCERT Solutions for Class 10 Sanskrit व्याकरण तथा रचनात्मक कार्य

अध्याय 15

वाच्य परिवर्तनम्

स्वयं के मनोभावों के प्रकटीकरण या अभिव्यक्ति की विधा को वाच्य कहते हैं। इसे हम इस प्रकार से भी कह सकते हैंवाक्य-संरचना की रूपरेखा को वाच्य कहते हैं। संस्कृत भाषा में वाच्य तीन प्रकार के होते हैं

वाच्य

1. कर्तृवाच्य 2. कर्मवाच्य

3. भाववाच्य

1. कर्तृवाच्य-कर्तृवाच्य में क्रिया द्वारा प्रधान रूप से कर्ता वाच्य होता है तथा कर्ता और क्रिया का पुरुष और वचन समान होते हैं। अकर्मक तथा सकर्मक सभी धातुओं के दसों गणों में, दसों लकारों के रूप कर्तृवाच्य में होते हैं। अकर्मक क्रिया के होने पर कर्ता में प्रथमा विभक्ति होती है। जैसे-र -रामः हसति (अकर्मक), रामः पुस्तकं पठति (सकर्मक), छात्राः हसन्ति (बहुवचन), यूयं ग्रामं गच्छथ (मध्यम पुरुष, बहुवचन), आवाम् याचावः (उत्तम पुरुष, द्विवचन), बालिका लज्जते (प्रथम पुरुष, एकवचन) इत्यादि वाक्यों में प्रयुक्त क्रियाओं के पुरुष और वचन कर्ता के अनुसार हैं। कर्ता में सब जगह प्रथमा विभक्ति तथा कर्म में द्वितीया विभक्ति का प्रयोग हुआ है। अतः इन क्रियाओं को कर्तृवाच्य की क्रिया कहते हैं।

अतः कर्तृवाच्य को हम निम्नलिखित रूप से समझ सकते हैं

क्रिया कर्ता के अनुसार कर्तृवाच्ये + कर्ता कर्म (प्रथमाविभक्तिः) (द्वितीयाविभक्तिः) (पुरुष और वचन) उदाहरणम्- बालकः गृहं गच्छति।

उपर्युक्त वाक्य में बालक’ कर्ता और ‘गृह’ कर्म है। इसकी

क्रिया गच्छति कर्ता बालकः’ के अनुरूप है। 2.कर्मवाच्य-कर्मवाच्य में क्रिया द्वारा प्रधान रूप से कर्म ही वाच्य होता है। यहाँ वाक्य में कर्म में प्रथमा विभक्ति का प्रयोग होता है, कर्ता में तृतीया विभक्ति होती है तथा क्रिया का पुरुष और वचन कर्म के अनुसार होता है । यह वाच्य केवल सकर्मक धातुओं का ही होता है। जैसे-बालकेन पुस्तकं पठ्यते, छात्रेण वृक्षाः दृश्यन्ते, युष्माभिः वयं ताड्यामहे, पशुना पक्षिणौ दृश्येते इत्यादि वाक्यों में बालकेन, छात्रेण, युष्माभिः तथा पशुना आदि कर्ताओं में तृतीया विभक्ति है। पुस्तकं, वृक्षाः, वयं, पक्षिणौ आदि कर्म में प्रथमा विभक्ति है तथा इन्हीं के अनुसार पठ्यते, दृश्यन्ते, ताड्यामहे तथा दृष्येते आदि क्रियाओं में पुरुष और वचन का प्रयोग हुआ है। कर्मवाच्य की क्रियाओं में क्रिया का रूप आत्मनेपद में चलता है।

अतः कर्मवाच्य को हम इस प्रकार से भी समझ सकते हैं

कर्मवाच्ये

+ कर्म कर्म

(तृतीया विभक्तिः) (प्रथमा विभक्तिः) (पुरुष और वचन आत्मने पद में) क्रिया कर्म के अनुसार

उदाहरणम्-1. बालकेण गृहं गम्यते। उपर्युक्त वाक्य में ‘गृहम्’ कर्म है। यह एक वचन में है। अत: इस वाक्य की क्रिया भी एकवचन में है। 2. मया चलचित्रे दृश्यते। उपर्युक्त वाक्य में ‘चलचित्रे’ कर्म है। यह द्विवचन है। अत: इस वाक्य की क्रिया भी द्विवचन में है। अवधेयम् कर्तृवाच्ये कर्मवाच्ये 1. कर्तरि प्रथमाविभक्तिः भवति। 1. कर्तरि तृतीयाविभक्तिः भवति । 2. कर्मणि द्वितीयाविभक्तिः भवति। 2. कर्मणि प्रथमाविभक्तिः भवति। 3. क्रियापदं कर्तृपदानुरूपम् भवति, अर्थात् कर्तृपदं | 3. क्रिया च कर्मपदानुरूपा भवति, अर्थात् यादृश-पुरुष वचनयुक्तं भवति, क्रियापि तादृशकर्मपदे यः पुरुषः, यद् वचनम् च भवति, पुरुष-वचन युक्ता भवति, एवं कर्तृवाच्ये कर्तृपदं क्रियायामपि तदेव पुरुषः वचनं च भवति। प्रधानं भवति। एवं कर्मवाच्ये कर्म प्रधानं भवति।

3. भाववाच्य-जब अकर्मक क्रियाओं वाले वाक्य में कर्ता की प्रधानता न होकर भाव(क्रिया) की प्रधानता होती है तो वह भाववाच्य कहलाता है। यहाँ कर्ता में तृतीया विभक्ति होती है। भाववाच्य में क्रिया में सदा प्रथम पुरुष एकवचन का रूप रहता है। क्रिया में शेष परिवर्तन वैसे ही होते हैं, जैसे-कर्मवाच्य की क्रिया में होते हैं।

अतः भाववाच्य को हम इस प्रकार से भी समझ सकते हैं

भाववाच्य

क्रिया (तृतीयाविभक्तिः) प्रथम पुरुष, एकवचन,

कर्ता

आत्मनेपद)

अथवा

(‘क्त’ प्रत्यय युक्त नपुंसकलिंग प्रथमाविभक्तिः एकवचन) कर्मवाच्य या भाववाच्य में धातु-रूप के नियम

1. जिन धातुओं के अंत में दीर्घ ‘आ’ होता है (जैसे-दा, धा, पा, स्था, मा आदि) तथा गै, दे, धे आदि धातुओं के अंतिम स्वर के स्थान पर दीर्घ ‘ई’ हो जाता है। जैसे-दीयते, धीयते, पीयते, स्थीयते, मीयते, गीयते इत्यादि।

2. ऋकारान्त धातुओं (म, हृ, कृ, भू, धू, वृ, दृ आदि) के अंतिम ऋकार को ‘य’ परे होने पर ‘रि’ आदेश हो जाता है, जैसे-म्रियते, हियते, क्रियते, भ्रियते, ध्रियते, वियते, द्रियते आदि।

3. जिन धातुओं के अंत में हस्व इ तथा उ होते हैं, ‘य’ परे होने पर उनके हस्व इकार तथा उकार के स्थान पर दीर्घ स्वर (ई तथा ऊ) हो जाता है। जैसे-जि से जीयते, चि से चीयते, स्तु से स्तूयते, श्रु से श्रूयते, वे से हूयते, सु से सूयते इत्यादि।

4. । वद्, । वच्, । वस्, । वप् तथा वह | स्वप् आदि धातुओं के व को उ सम्प्रसारण हो जाता है। यथा-उद्यते, उच्यते, उष्यते, उह्यते, उष्यते, सुप्यते आदि।

5. । यज्, । व्यध् आदि धातुओं के य का सम्प्रसारण (इ) होकर इज्यते, विध्यते आदि रूप बनते हैं। 6. 1 प्रच्छ, । ग्रह आदि धातुओं के र् को सम्प्रसारण (ऋ) होने पर पृच्छ्यते, गृह्यते आदि रूप बनते हैं।
वाच्य परिवर्तनम् | 159

7. धातु के उपधा के अनुनासिक का लोप हो जाता है। जैसे- । भज्ज् से भज्यते, । रञ् से रज्यते, । गन्थ् से ग्रथ्यते, । स्तम्भ से स्तभ्यते ।

8. । खन्, । जन् और । तन् धातुओं के ‘न’ को विकल्प से आ हो जाता है। जैसे-जन् से जायते, तन् से तायते, तन्यते, खन् से खायते, खन्यते।

9. लृट् लकार में कर्तृवाच्य के समान रूप बनते हैं, केवल प्रत्यय आत्मनेपद के लगाए जाते हैं, जैसेभविष्यते, पठिष्यते आदि।

ज्ञा २ यज् विशेष-कर्मवाच्य तथा भाववाच्य के क्रिया रूपों में गणों के विकरण का प्रयोग नहीं होता। धातु कर्तृवाच्य लट्लकार कर्म/भाववाच्य लट्लकार – चि = चुनना चिनोति चीयते । स्तु = स्तुति करना स्तौति स्तूयते । हु = हवन करना जुहोति हूयते शी = सोना शेते शय्यते । मृ = मरना म्रियते म्रियते जानना जानाति ज्ञायते = यज्ञ करना यजति इज्यते । वद् = बोलना वदति उद्यते 1 वच् = बोलना वक्ति उच्यते 1 मन्थ् = मथना मथ्नाति मथ्यते । तन् = विस्तार करना तनोति तन्यते तायते । जन् = पैदा होना जायते जन्यते । खन् = खोदना खनति खन्यते खायते वपति उप्यते । स्वप् = सोना स्वपिति सुप्यते रुणाद्धि रुध्यते । अद् = खाना अत्ति अद्यते 1 ग्रह = पकड़ना गृह्णाति गृह्यते। अकर्मक धातुओं के लट् लकार में एक-एक रूप धातु लट् लकार धातु लट् लकार धातु लट् लकार हस् हस्यते भूयते जीव जीव्यते क्रीड् क्रीड्यते स्था स्थीयते आस् आस्यते नम् नम्यते दृश् दृश्यते लिख् लिख्यते पीयते गम् गम्यते सेव् सेव्यते लभ्यते पच् पच्यते नी नीयते श्रूयते श्रु दीयते स्मर्यते कृ क्रियते। । वप् = बोना । रुध् = रोकना कुछ पा

अभ्यास प्रश्नाः

कमला पायसम् पक्ववती। 2. त्वम् पुस्तकम् पठितवान् । (कर्मवाच्य) 1. उदाहरणमनुसृत्य यथानिर्दिष्टिं वाच्यपरिवर्तनं कुरुतयथा- रामः गृहं गच्छति। (कर्तृवाच्य) रामेण गृहं गम्यते। कमलया पायसम् पक्वम्। (कर्मवाच्य) छात्राः हसन्ति। (भाववाच्य) छात्रैः हस्यते। 1. अहं कार्यं कृतवान्। (कर्मवाच्य) 3. स: गायति । (भाववाच्य) 4. युवाभ्यां सुलेखः लिखितः। (कर्तृवाच्य) 5. ताः रुदन्ति । (भाववाच्य) 6. मोहन: कन्दुकम् क्रीडति। (कर्मवाच्य) 7. छात्रैः दुग्धं पीतम्। (कर्तृवाच्य) 8. छात्रः हसति। (भाववाच्य) 9. मम भ्राता उद्याने भ्रमति । (भाववाच्य) 10. सैनिक: युद्धक्षेत्र गच्छति (कर्मवाच्य) उत्तरम् 1. मया कार्यं कृतम्। 2. त्वया पुस्तकं पठितम्। 3. तेन गीयते। 4. युवां सुलेखं अलिखतम्। 5. ताभिः रुद्यते। 6. मोहनेन कन्दुकं क्रीड्यते। 7. छात्रा: दुग्धं पीतवन्तः। 8. छात्रेण हस्यते। 9. मम् भ्रात्रा उद्याने भ्रम्यते। 10. सैनिकेन युद्धक्षेत्रं गम्यते । –

Be the first to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published.


*