अध्याय 8
न्यायपालिका
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
बहु-विकल्पीय प्रश्न
1. कानूनों की व्याख्या करने वाला सरकार का अंग है-
(i) व्यवस्थापिका (ii) कार्यपालिका
(iii) न्यायपालिका का (iv) नौकरशाही।
2. निम्नांकित में न्यायपालिका का कार्य नहीं है-
(i) न्यायिक पुनरावलोकन (ii) मौलिक अधिकारों की रक्षा
(iii) संविधान की रक्षा (iv)कानूनों का क्रियान्वयन।
3. सर्वोच्च न्यायालय में मुख्य न्यायाधीश सहित कुल कितने न्यायाधीश हैं ?
(1)20 (ii) 24
(iii) 26 (iv) 31
4. उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश का प्रतिमाह वेतन है-
(i) ₹30 हजार, (ii) ₹ लाख
(iii) ₹33 हजार (iv)₹2 लाख 80 हजार ।
5. भारत का उच्चतम न्यायालय स्थित है-
(i) मुम्बई में (ii)दिल्ली में
(iii) लखनऊ में (iv) कोलकाता में।
उत्तर-1(iii), 2. (iv), 3. (iv). 4. (iv), 5. (ii).
रिक्त स्थान पूर्ति
1. वर्तमान में भारत के मुख्य न्यायाधीश ……….हैं।
2. उच्चतम न्यायालय मूलाधिकारों की रक्षार्थ ……..जारी कर सकता है।
3. उच्चतम न्यायालय ……….को परामर्श देता है।
4……….उच्च न्यायालय का अधिकार क्षेत्र सात राज्यों तक विस्तृत है।
5. मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की खंडपीठ…………में है।
उत्तर-1.न्यायमूर्ति शरद अरविन्द बोबड़े, 2. विभिन्न लेख,
3. राष्ट्रपति, 4. गुवाहाटी, 5. ग्वालियर एवं इन्दौर।
एक शब्द/वाक्य में उत्तर
स. 1. किस देश का उच्चतम न्यायालय ही वहाँ का संविधान है ?
उत्तर-अमेरिका।
2. उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के अवकाश ग्रहण करने की आयु बताइए।
उत्तर-62 वर्ष।
3. उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति कौन करता है ?
उत्तर-राष्ट्रपति।
4. किस न्यायालय द्वारा दिए निर्णय के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में अपील नहीं की जा सकती है?
उत्तर-सैनिक न्यायालय।
5. किस देश द्वारा अपने संविधान में जनहित याचिका को सम्मिलित किया गया ?
उत्तर-दक्षिण अफ्रीका।
6. भारत के मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति वरिष्ठता के आधार पर परम्परा को कब तोड़ा गया?
उत्तर-1973 तथा 1977 में।
7. भारत के सबसे प्राचीन मुंबई, कोलकाता तथा चेन्नई उच्च न्यायालय कब स्थापित हुए थे?
उत्तर-सन् 1862 में।
8. उच्च न्यायालय मुख्य न्यायाधीश को कितना वेतन मिलता है ?
उत्तर-₹2 लाख 50 हजार।
9. म. प्र.का उच्च न्यायालय कहाँ स्थित है ?
उत्तर-जबलपुर।
सत्य/असत्य
1. न्यायमूर्ति वी. रामास्वामी पर सिद्ध कदाचार की प्रक्रिया शुरू की गयी थी, लेकिन उनके त्यागपत्र दे दिए जाने के कारण वह बीच में ही समाप्त हो गयी।
2. उच्च न्यायालय को अभिलेख न्यायालय की संज्ञा नहीं दी जा सकती है।
3. न्यायाधीशों के फैसलों की आलोचना नहीं की जा सकती है।
4. भारत में न्यायाधीशों को पर्याप्त वेतन एवं भत्ते नहीं दिए जाते हैं।
5. 1970 में न्यायमूर्ति पी. एन. भगवती तथा बी. के. कृष्ण अय्यर द्वारा जनहित याचिका शुरू की गई।
उत्तर-1. सत्य, 2. असत्य, 3. सत्य, 4. असत्य, 5. सत्य।
अति लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. न्यायपालिका से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर-न्यायपालिका शासन का वह अंग है जो कानूनों की व्याख्या करते हुए उनका उल्लंघन करने वालों को उचित दंड देता है।
प्रश्न 2. न्यायपालिका मुख्य रूप से क्या कार्य करती है?
उत्तर-न्यायपालिका व्यवस्थापिका के संकल्पों तथा इच्छाओं के अनुरूप न्याय करने का कार्य करती है।
प्रश्न 3. न्यायाधीशों की नियुक्ति की कौन-कौन-सी विधियाँ हैं?
उत्तर-न्यायाधीशों की नियुक्ति की विधियों ( तरीकों) में जनसाधारण द्वारा निर्वाचन व्यवस्थापिका द्वारा निर्वाचन तथा कार्यपालिका द्वारा नियुक्ति सम्मिलित हैं।
प्रश्न 4. किस देश की न्यायपालिका निर्वाचित होती है ?
उत्तर-स्विट्जरलैण्ड के कुछ कैण्टनों की न्यायपालिका निर्वाचित होती है।
प्रश्न 5. जनहित याचिका में क्या परिवर्तन किया गया है ?
उत्तर-अब प्रिण्ट मीडिया (अखबार) में प्रकाशित समाचार तथा डाक द्वारा ग्राप्त शिकायत को भी जनहित याचिका माना जाने लगा है।
प्रश्न 6. जनहित याचिका के दो दोष लिखिए।
अथवा
जनहित याचिका का नकारात्मक पहलू क्या है ?
उत्तर-(1) जनहित याचिकाओं से न्यायपालिका पर कार्य का बोझ बढ़ता है तथा
(2) विधायिका के कार्यों को न्यायपालिका द्वारा किया जाता है।
प्रश्न 7. न्यायिक पुनरावलोकन तथा रिट में क्या अन्तर है ?
उत्तर-न्यायपालिका विधायिका द्वारा पारित कानूनों की तथा संविधान की व्याख्या कर सकती है, जबकि मौलिक अधिकारों की रक्षा हेतु सर्वोच्च न्यायालय एवं उच्च न्यायालय जो आदेश जारी करते हैं, वे रिट कहलाते है।
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. उच्चतम न्यायालय का प्रारम्भिक क्षेत्राधिकार लिखिए।
उत्तर-दीर्घ उत्तरीय प्रश्न 2 के उत्तर में (1) प्रारम्भिक क्षेत्राधिकार शीर्षक देखें।
प्रश्न 2. उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश की योग्यताएँ लिखिए।
उत्तर-दीर्घ उत्तरीय प्रश्न 1 के उत्तर में (3) न्यायाधीशों की योग्यताएं शीर्षक देखें।
प्रश्न 3. सर्वोच्च न्यायालय के अपीलीय क्षेत्राधिकार का वर्णन कीजिए।
उत्तर-दीर्घ उत्तरीय प्रश्न संख्या 2 के उत्तर में (2) अपीलीय क्षेत्राधिकार शीर्षक देखें।
प्रश्न 4. उच्च न्यायालय का गठन किस प्रकार होता है ?
उत्तर-भारतीय संविधान के अनुच्छेद 217 के अनुसार, राष्ट्रपति उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति भारत के मुख्य न्यायाधीश तथा सम्बन्धित राज्य के राज्यपाल
के परामर्शानुसार करता है। वह अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति भारत के मुख्य न्यायाधीश, सम्बन्धित राज्य के राज्यपाल एवं राज्य उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की सलाह से करता
है, लेकिन व्यवहार में राज्य का मुख्यमन्त्री उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के परामर्शानुसार नियुक्तियों हेतु नामों के पेनल की सूची तैयार कराके राज्यपाल को सौंपता है। राज्यपाल इस सूची को राष्ट्रपति के पास भेज देता है, जिस पर वे अपनी स्वीकृति प्रदान कर देते हैं। संविधान के अनुच्छेद 217 (1) द्वारा उच्च न्यायालय का प्रत्येक न्यायाधीश (अतिरिक्त एवं कार्यवाहक न्यायाधीश को छोड़कर) 62 वर्ष की आयु पूर्ण करने तक अपने पद पर बना रह सकता है। इससे पूर्व स्वेच्छा से वह त्यागपत्र द्वारा अपना पद छोड़ सकता है। वर्तमान में, उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश कोर 2 लाख 50 हजार तथा अन्य न्यायाधीशों को₹2
लाख 25 हजार प्रतिमाह वेतन एवं अनेक भत्ते मिलते हैं।
प्रश्न 5. भारत में न्यायिक स्वतन्त्रता की कोई तीन शर्ते लिखिए।
उत्तर-दीर्घ उत्तरीय प्रश्न संख्या 7 के उत्तर में कोई तीन बिन्दु देखें।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. उच्चतम (सर्वोच्च न्यायालय का गठन कैसे होता है ?
अथवा
उच्चतम न्यायालय की रचना किस प्रकार होती है ? व्याख्या कीजिए।
उत्तर- उच्चतम (सर्वोच्च न्यायालय का गठन
उच्चतम (सर्वोच्च न्यायालय के गठन को निम्न प्रकार स्पष्ट किया जा सकता है-
(1) न्यायाधीशों की नियुक्ति-भारत की सर्वोच्च अदालत उच्चतम न्यायालय के प्रत्येक न्यायाधीश की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा अपने हस्ताक्षर तथा मुद्रा सहित अधिपत्र द्वारा की
जाती है। मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति से पूर्व राष्ट्रपति उच्चतम न्यायालय तथा राज्यों के उच्च न्यायालयों के ऐसे न्यायाधीशों से सलाह लेता है, जिनसे परामर्श करना वह जरूरी समझता है। अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति राष्ट्रपति मुख्य न्यायाधीश के परामर्श से करता है।
(2) न्यायाधीशों की संख्या-संविधान के अनुच्छेद 124 द्वारा न्यायाधीशों की संख्या निर्धारित करने का अधिकार संसद को है। संसद ने इस अनुच्छेद का प्रयोग करके समय-समय
पर न्यायाधीशों की संख्या निर्धारित की है। उच्चतम न्यायालय न्यायाधीश संख्या विधेयक, 2008 द्वारा उच्चतम न्यायालय में एक मुख्य न्यायाधीश तथा 30 अन्य न्यायाधीशों का प्रावधान
किया गया है। वर्तमान में यही व्यवस्था है।
(3) न्यायाधीशों की योग्यताएँ-65 वर्ष से कम आयु का भारतीय नागरिक जो न्यूनतम 5 वर्ष तक किसी उच्च न्यायालय का न्यायाधीश अथवा 10 वर्ष तक अधिवक्ता रह
चुका हो अथवा राष्ट्रपति की नजर में कानून का विशिष्ट ज्ञाता हो, उच्चतम न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त होने की योग्यताएँ रखता है।
(4) कार्यकाल-उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों का कार्यकाल 65 वर्ष की आयु तक है। इससे पूर्व वे स्वयं त्यागपत्र देकर पदमुक्त हो सकते हैं। उनके खिलाफ कदाचार सिद्ध होने पर भी उन्हें पद त्याग करना पड़ता है।
(5) वेतन एवं भत्ते-वर्तमान में मुख्य न्यायाधीश को र दो लाख अस्सी हजार मासिक तथा अन्य न्यायाधीशों को ₹ 2 लाख 50 हजार मासिक वेतन के अलावा निःशुल्क आवास एवं
यात्रा भत्ता इत्यादि दिया जाता है।
प्रश्न 2. उच्चतम न्यायालय की शक्तियाँ एवं कार्य लिखिए।
अथवा
उत्तर-उच्चतम न्यायालय के क्षेत्राधिकार को संक्षेप में लिखिए।
उच्चतम न्यायालय के कार्य अथवा क्षेत्राधिकार
उच्चतम न्यायालय के कार्य काफी व्यापक हैं, जिन्हें संक्षेप में निम्न प्रकार स्पष्ट किया जा सकता है-
(1) प्रारम्भिक क्षेत्राधिकार-उच्चतम न्यायालय के इस क्षेत्राधिकार का तात्पर्य उन कार्यों से है जिसमें कोई भी विवाद सीधे इस न्यायालय में सुनवाई हेतु दाखिल किया जा सकता
है। इस प्रकार के क्षेत्राधिकार में संघ तथा राज्य से सम्बन्धित मामले तथा नागरिकों के मौलिक अधिकारों से सम्बन्धित मामले आते हैं।
(2) अपीलीय क्षेत्राधिकार-उच्चतम न्यायालय के इस क्षेत्राधिकार के अन्तर्गत उन विवादों की सुनवाई की जाती है जिनमें किसी राज्य के उच्च न्यायालय के फैसले से सन्तुष्ट
न होने पर उसके खिलाफ सुनवाई की अपील की जाती है। उच्चतम न्यायालय के अपीलीय क्षेत्राधिकार के अन्तर्गत संवैधानिक, दीवानी तथा फौजदारी अपीलों से सम्बन्धित मामले आते हैं।
(3) पुनर्विचार सम्बन्धी क्षेत्राधिकार-यदि उच्चतम न्यायालय को यह सन्देह हो कि उसके फैसले में किसी पक्ष के प्रति अन्याय हुआ है, तो वह स्वयं द्वारा सुनाए गए फैसले पर
पुनर्विचार करके उसमें जरूरी बदलाव कर सकता है।
(4) परामर्श सम्बन्धी क्षेत्राधिकार-यदि किसी समय राष्ट्रपति को लगे कि विधि अथवा तथ्य का कोई ऐसा प्रश्न पैदा हो गया है जो सार्वजनिक महत्त्व का है, तब उस प्रश्न पर वे उच्चतम न्यायालय का परामर्श माँगते हैं। ऐसी परिस्थिति में उच्चतम न्यायालय अपने परामर्श सम्बन्धी क्षेत्राधिकार का प्रयोग करके राष्ट्रपति को उचित सलाह देता है।
(5) अन्य क्षेत्राधिकार-भारत का उच्चतम न्यायालय एक अभिलेख न्यायालय है जिसके फैसले सुरक्षित रखे जाते हैं तथा समय पड़ने पर उन्हें साक्ष्य के रूप में स्वीकारा जाता
है। न्यायालय के कार्यों को सुचारू रूप से चलाने हेतु अधिकारियों तथा कर्मचारियों की नियुक्ति मुख्य न्यायाधीश अथवा उसके द्वारा मनोनीत अन्य न्यायाधीश द्वारा की जाती है।
प्रश्न 3. उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों की संख्या एवं योग्यताएँ लिखते हुए अपीलीय क्षेत्राधिकार का वर्णन कीजिए।
अथवा
उच्चतम न्यायालय का अपीलीय क्षेत्राधिकार लिखिए।
उत्तर- उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों की संख्या एवं योग्यताओं के लिए दीर्घ उत्तरीय प्रश्न संख्या 1 तथा दीर्घ उत्तरीय प्रश्न संख्या 2 के उत्तर में ‘अपीलीय क्षेत्राधिकार
शीर्षक का अध्ययन करें।
प्रश्न 4. उच्चतम न्यायालय मौलिक अधिकारों का संरक्षक है। समझाइए।
उत्तर- उच्चतम न्यायालय संविधान के अभिभावक की भूमिका का निर्वहन करता है। संविधान द्वारा नागरिकों को अनेक मौलिक अधिकार दिए गए हैं। उच्चतम (सर्वोच्च)
न्यायालय नागरिकों के इन मौलिक अधिकारों का संरक्षक है।
देश की कोई भी सरकार नागरिकों को संविधान द्वारा दिए गए मौलिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं कर सकती है। यदि कभी किसी शासकीय आदेश अथवा कानून से नागरिकों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होता है तो कोई भी व्यक्ति देश के सर्वोच्च (उच्चतम) न्यायालय में सीधे याचिका दायर करके मौलिक अधिकारों की रक्षा की माँग कर सकता है।
उच्चतम न्यायालय बन्दी प्रत्यक्षीकरण, परमादेश, प्रतिषेध, उत्प्रेषण तथा अधिकार पृच्छा के आदेश जारी करके नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा करता है। इस प्रकार मौलिक अधिकारों की सुरक्षा के लिए यह संवैधानिक आश्वासन उच्चतम न्यायालय के माध्यम से पूरा किया जाता है। इससे स्पष्ट है कि उच्चतम न्यायालय मौलिक अधिकारों के संरक्षक के रूप में महत्वपूर्ण शक्ति रखता है।
प्रश्न 5. उच्च न्यायालय के प्रमुख कार्य अथवा क्षेत्राधिकार लिखिए।
उत्तर- उच्च न्यायालय के कार्य अथवा क्षेत्राधिकार
राज्यों के उच्च न्यायालयों के क्षेत्राधिकार को संक्षेप में निम्न प्रकार स्पष्ट किया जा सकता है-
(1) लेख क्षेत्राधिकार- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 226 के अनुसार, उच्च न्यायालय अपने अधिकार क्षेत्र में स्थित किसी भी व्यक्ति अथवा अधिकारी के प्रति निर्देश, आदेश अथवा लेख (रिट) जारी कर सकता है। इसके अन्तर्गत बन्दी प्रत्यक्षीकरण, परमादेश, प्रतिषेध, उत्प्रेषण तथा अधिकार पृच्छा लेख सम्मिलित हैं।
(2) अपीलीय क्षेत्राधिकार-उच्च न्यायालय अपने अधीनस्थ न्यायालयों द्वारा दिए गए फैसलों के खिलाफ विभिन्न दीवानी एवं फौजदारी मामलों की अपीलें सुन सकता है। अधीन
न्यायालय द्वारा किसी अभियुक्त को मृत्यु दण्ड दिए जाने की स्थिति में उस सजा की सम्पुष्टि उच्च न्यायालय द्वारा अनिवार्य रूप से होना जरूरी है।
(3) प्रशासनिक क्षेत्राधिकार-उच्च न्यायालय राज्य की न्यायपालिका का नेतृत्व करते हुए उसके प्रशासन का संचालन करता है। इस क्रम में वह अपने अधीनस्थ न्यायालयों
एवं अधिकरणों के क्रियाकलापों की देखभाल करता है।
(4) न्यायिक पुनरीक्षण की शक्ति-उच्च न्यायालय संविधान का उल्लंघन करने वाले संघ अथवा राज्य कार्यपालिका के कानून अथवा आदेश को असंवैधानिक घोषित कर सकता है।
(5) अभिलेख न्यायालय की शक्ति-प्रत्येक राज्य का उच्च न्यायालय एक अभिलेख न्यायालय है, अर्थात् इसके निर्णय नीचे के न्यायालयों द्वारा साक्ष्य के रूप में स्वीकारे जाते
हैं। इसके अलावा उच्च न्यायालय अपनी अवमानना करने वालों को दण्ड देने की शक्ति भी
प्रश्न 6. भारत में न्यायपालिका की स्वतन्त्रता हेतु किए गए उपाय लिखिए।
उत्तर -भारतीय न्यायपालिका की स्वतन्त्रता हेतु किए गए उपाय
भारत में न्यायपालिका की स्वतन्त्रता हेतु निम्नलिखित उपाय किए गए हैं-
(1) न्यायपालिका (सर्वोच्च न्यायालय एवं उच्च न्यायालयों) में न्यायाधीशों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा स्वेच्छा से न होकर अन्य न्यायाधीशों की सलाह से की जाती है। इन
नियुक्तियों में कार्यपालिका एवं व्यवस्थापिका की कोई भूमिका नहीं होती है।
(2) न्यायपालिका के सदस्य अर्थात् न्यायाधीश नियुक्ति के पश्चात् राष्ट्रपति पर निर्भर नहीं रहते। उनका कार्यकाल सुनिश्चित है तथा उन्हें एक निश्चित प्रक्रिया के पूर्ण होने पर ही
पदच्युत किए जाने का प्रावधान है।
(3) न्यायाधीशों को पर्याप्त वेतन भत्तों के साथ पेंशन की भी व्यवस्था की गई है। संचित निधि पर भारित होने के कारण न्यायाधीशों के कार्यकाल के दौरान उनकी वेतन राशि में कोई
कटौती नहीं की जा सकती है।
(4) न्यायपालिका द्वारा दिए गए निर्णयों को आलोचनाओं से मुक्त रखा गया है। अपने दायित्वों के निर्वहन में न्यायाधीशों द्वारा किए गए कृत्यों पर संसद विचार विमर्श नहीं कर
सकती है।
((5) न्यायाधीशों के सेवानिवृत्त हो जाने के पश्चात् उनके द्वारा वकालत किए जाने पर प्रतिबन्ध लागू किया गया है।
प्रश्न 7. न्यायिक स्वतन्त्रता की जरूरी शर्तों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर-न्यायिक स्वतन्त्रता की जरूरी शर्ते-न्यायिक स्वतन्त्रता की जरूरी शर्तों का उल्लेख निम्नांकित बिन्दुओं के अन्तर्गत किया जा सकता है-
(1) नियुक्ति-न्यायिक स्वतन्त्रता के लिए यह परमावश्यक होता है कि न्यायाधीशों की नियुक्ति योग्यता एवं वरिष्ठता को ध्यान में रखते हुए हो, जिससे वे पक्षपात रहित न्याय
कर सकें।
(2) पदावधि-न्यायपालिका के न्यायाधीशों का कार्यकाल (पदावधि) निश्चित होने के साथ-साथ उनको आसानी से पद से न हाया जा सके, जिससे वह निर्भय होकर अपने
न्यायिक उत्तरदायित्व का निर्वहन कर सकें।
(3) उचित वेतन एवं भत्ते-न्यायिक स्वतन्त्रता की यह जरूरी शर्त है कि न्यायाधीशों को पर्याप्त व उचित वेतन एवं भत्ते मिलें, जिससे वे भ्रष्टाचार में संलिप्त न होने पाएँ।
(4) व्यक्तिगत चरित्र एवं कार्य आलोचनाओं से दूर-न्यायिक स्वतन्त्रता हेतु यह परमावश्यक है कि न्यायाधीशों के कार्यकाल के दौरान उनके व्यक्तिगत चरित्र तथा कार्यों की
निन्दा नहीं की जाए और ऐसा करने वालों को कठोर दण्ड देने का प्रावधान किया जाए।
(5) सेवानिवृत्त होने पर वकालत करने पर रोक न्यायिक स्वतन्त्रता हेतु यह भी परमावश्यक है कि किसी भी न्यायाधीश के सेवाकाल पूर्ण करने के उपरान्त उसके वकालत
करने को प्रतिबन्धित कर दिया जाए।
(6) कार्य पद्धति के लिए नियम बनाने का अधिकार न्यायपालिका अपने कार्यों को निष्पक्ष तथा स्वतन्त्रतापूर्वक कर सके इसके लिए यह परमावश्यक है कि संविधान द्वारा
न्यायपालिका को यह अधिकार पदत्त किया जाए कि वह न्यायिक कार्य पद्धति सम्बन्धी नियम निर्मित कर सके।
Leave a Reply