Pariksha Adhyayan Class 9 Social Science अध्याय 18 संसाधन के रूप में लोग

अध्याय 18
संसाधन के रूप में लोग

अध्याय 18 संसाधन के रूप में लोग
अध्याय 18
संसाधन के रूप में लोग

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

• बहु-विकल्पीय प्रश्न
1. 2011 की जनगणना के अनुसार भारत में कितने प्रतिशत साक्षरता है ?
(i) 80 प्रतिशत
(ii) 78 प्रतिशत
(iii) 74 प्रतिशत
(iv) 70 प्रतिशत।

2. सेवा क्षेत्र रोजगार प्रदान करता है-
(i) प्रत्यक्ष रूप से
(ii) अप्रत्यक्ष रूप से
(iv) उपर्युक्त सभी।
(ii) मकान निर्माण

 

3. मानवीय पूँजी निर्माण के सम्बन्ध में हमारी नीति है-
(i) शिक्षा
(ii) कार्य प्रशिक्षण
(it) स्वास्थ्य

4. प्राथमिक क्षेत्र की गतिविधि है-
(1) गन्ने से शक्कर बनाना
(iv) मछली पकड़ना।
(iii) प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष दोनों रूप से
(iv) उपरोक्त में से कोई नहीं ।

5 भारतीय अर्थव्यवस्था के किस क्षेत्र में सर्वाधिक बेरोजगारी पाई जाती है?
(1) कृषि
(ii) उद्योग
(ii) सेवाएँ

6. 2016 में शिशु मृत्यु दर थी-
(1) 60 प्रति हजार
(ii) 34 प्रति हजार
(ii) 48 प्रति हजार
(iv) 25 प्रति हजार।

उत्तर-1. (iii), 2. (iii), 3. (iv), 4. (iv), 5. (i), 6. (ii).

रिक्त स्थानों की पूर्ति

1. भारत में विशाल जनसंख्या को एक परिसम्पत्ति की अपेक्षा एक माना जाता रहा है।
2. वास्तव में………………..कौशल और उनमें निहित उत्पादन के ज्ञान का स्टॉक है।
3. जापान जैसे देशों ने मानव संसाधन पर ……. किया है।।
4. ऐतिहासिक और सांस्कृतिक कारणों से परिवार में महिलाओं और पुरुषों के बीच श्रम का…………….है।
5. गैर-बाजार क्रियाओं से अभिप्राय ……. के लिए उत्पादन है।
उत्तर-1. दायित्व, 2. मानव पूँजी, 3. निवेश, 4. विभाजन, 5. स्व-उपभोग।

सत्य/असत्य

1. मानवीय पूँजी से उत्पादकता में वृद्धि नहीं होती है।
2. जनसंख्या की गुणवत्ता अंतत: देश की सम्वृद्धि दर निर्धारित करती है।
3. बेरोजगारी में वृद्धि मंदीग्रस्त अर्थव्यवस्था का सूचक है।
4. मौसमी बेरोजगारी द्वितीयक क्षेत्र में पायी जाती है।
5. भारत में पुरुषों की साक्षरता दर अधिक है।
उत्तर-1. असत्य, 2. सत्य, 3. सत्य, 4. असत्य, 5. सत्य।

.जोड़ी बनाइए

1. सबसे अधिक साक्षरता (क) मौसमी बेरोजगारी
2. सबसे कम साक्षरता ख) शिक्षित बेरोजगारी
3. ग्रामीण क्षेत्रों में (ग) तृतीयक क्षेत्र
4. शहरी क्षेत्र में (घ) बिहार
5. जैव-प्रौद्योगिकी (ङ) केरल
उत्तर-1.→ (ङ),2.→ (घ),3. → (क),4.→ (ख).5,→ (ग)।

एक शब्द/वाक्य में उत्तर
1. अदृश्य बेरोजगारी का दूसरा नाम है।
2. पहली पंचवर्षीय योजना में शिक्षा पर परिव्यय क्या था ?
3. मानव पूँजी का एक महत्व बताइए।
4. उद्योगों को अर्थव्यवस्था के कौन-से क्षेत्र में रखा जाता है ?
5. सूचना प्रौद्योगिकी को अर्थव्यवस्था के किस क्षेत्र में रखा जाता है ?
उत्तर-1. छिपी हुई बेरोजगारी, 2.₹ 151 करोड़,3. आर्थिक विकास, 4. द्वितीयक क्षेत्र, 5.तृतीयक

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. मानव पूंजी निर्माण से क्या आशय है ?
उत्तर-मानव पूँजी निर्माण या कौशल निर्माण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके अन्तर्गत जन शक्ति (Man के विकास हेतु भारी मात्रा में पूँजी निवेश किया जाता है। ऐसा पूँजी निवेश जो जन शक्ति की शिक्षा, शक्षण, स्वास्थ्य तथा जीवन-स्तर में वृद्धि करता हो, मानव पूँजी निर्माण कहलाएगा।

प्रश्न 2. मानव संसाधन उत्पादन की मात्रा को किस प्रकार प्रभावित करता है?
उत्तर-उत्पादन की मात्रा तथा प्रक्रिया पर देश में उपलब्ध मानव संसाधन का भी प्रभाव पड़ता है। जिस में श्रमिक स्वस्थ, प्रशिक्षित तथा अधिक कार्यक्षमता वाला होगा, उस देश के उत्पादन का स्तर ऊँचा होगा।

प्रश्न 3. उत्पादन के साधनों से क्या आशय है ?
उत्तर-उत्पादन के साधनों से आशय उन सभी उत्पादक संसाधनों से है, जो उत्पादन के लिये आवश्यक तथा जिनके बिना उत्पादन सम्भव नहीं है।

प्रश्न 4. शिशु मृत्यु दर से क्या अभिप्राय है ? यह 1951 व 2016 में कितनी थी ?
उत्तर-शिशु मृत्यु दर से आशय एक वर्ष से कम आयु के शिशु की मृत्यु से है। शिशु मृत्यु दर 195 1 147 से घटकर 2016 में 37 पर आ गई है।

प्रश्न 5. प्रत्याशित आयु क्या है ? यह वर्तमान में कितनी है ?
उत्तर-प्रत्याशित आयु से अर्थ जीवित रहने की आयु से है जिसे देश के निवासी जन्म के समय आशा करते हैं। 2014 में 68.3 वर्ष हो गई है।

प्रश्न 6. डॉक्टर, शिक्षक, नाई, धोबी, वकील आदि की सेवाएँ किस प्रकार के कार्यक्षेत्र में नाती हैं?
उत्तर-डॉक्टर, शिक्षक, नाई, धोबी, वकील आदि की सेवाएँ तृतीयक क्षेत्र के अन्तर्गत आती हैं।

प्रश्न 7.सेवा क्षेत्र क्या है ?
उत्तर-तृतीयक क्षेत्र की गतिविधियों से वस्तुओं के स्थान पर सेवाओं का सृजन होता है। अत: इसे नवा क्षेत्र भी कहा जाता है।

प्रश्न 8. अर्थव्यवस्था के उस क्षेत्र का नाम बताइए जो कृषि एवं उद्योग के संचालन में सहायता महुंचाता है।
उत्तर-तृतीयक क्षेत्र कृषि एवं उद्योग के संचालन में सहायता पहुँचाता है।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. ‘संसाधन के रूप में लोग’ से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर-‘संसाधन के रूप में लोग’ वर्तमान उत्पादन कौशल और क्षमताओं के सन्दर्भ में किसी राष्ट्र के कार्यरत् लोगों का वर्णन करने का एक तरीका है। किसी भी देश का सबसे महत्वपूर्ण संसाधन उसके निवासी ही होते हैं। यहाँ यह एक महत्वपूर्ण तथ्य है कि केवल योग्य, शिक्षित, कार्यकुशल एवं तकनीकी मैं निपुण लोग
ही देश के संसाधन हो सकते हैं। मानव संसाधनों के बिना किसी देश के प्राकृतिक संसाधन महत्वहीन होते हैं।

प्रश्न 2. मानव संसाधन भूमि और भौतिक पंजी जैसे अन्य संसाधनों से कैसे भिन्न है ?
उत्तर-मानव संसाधन भूमि और भौतिक पूँजी जैसे अन्य संसाधनों से निम्न प्रकार भिन्न हैं-
(1) मानव संसाधन का आर्थिक विकास की दृष्टि से दोहरा महत्व है। लोग विकास का साधन और साध्य दोनों हैं। एक ओर वे उत्पादन के साधन और दूसरी और ये अन्तिम उपभोगकर्ता भी स्वयं ही हैं।
(ii) वास्तव में, मानव पूँजी एक तरह से अन्य संसाधनों, जैसे-भूमि और भौतिक पूँजी से श्रेष्ठ है, क्योंकि मानव संसाधन भूमि और पूंजी का उपयोग कर सकता है। भूमि और पूँजी अपने आप उपयोगी नहीं
(iii) अन्य संसाधनों से भिन मानव संसाधन की एक विशेषता यह है कि शिक्षित और स्वस्थ लोगों के लाभ केवल उन तक ही सीमित नहीं है बल्कि उनका लाभ उन तक भी पहुँचता है जो अधिक शिश्नित और स्वस्थ भी नहीं है।

प्रश्न 3. किसी व्यक्ति के कामयाब जीवन में स्वास्थ्य की क्या भूमिका है ?
उत्तर-किसी व्यक्ति का स्वास्थ्य उसे अपनी क्षमता को प्राप्त करने और बीमारियों से लड़ने की ताकत देता है। ऐसा कोई भी अस्वस्थ व्यक्ति/संगठन के समग्र विकास में अपने योगदान को अधिकतम करने में सक्षम नहीं होगा। स्वास्थ्य का सम्बन्ध केवल रोग निवारण से नहीं अपितु इससे अधिक है। स्वास्थ्य का सम्बन्ध
शारीरिक एवं मानसिक सुख और कल्याण से है। स्वस्थ व्यक्ति शारीरिक दृष्टि से पूर्णतया कार्य करने योग्य होता है। वह रोगी पुरुष की अपेक्षा अच्छा कार्य कर सकता है और अधिक आय का अर्जन कर सकता है। वास्तव में, स्वास्थ्य अपना कल्याण करने का एक अपरिहार्य आधार है।

प्रश्न 4. आर्थिक और गैर-आर्थिक क्रियाओं में क्या अन्तर है?
उत्तर-
आर्थिक तथा गैर-आर्थिक क्रियाओं में अन्तर
आर्थिक क्रियाएँ
गैर-आर्थिक क्रियाएँ
1. मनुष्य की वे क्रियाएँ जिनका उद्देश्य धन कमाना 1. मनुष्य की वे सब क्रियाएँ जिनका सम्बन्ध धन है या जो मुद्रा रूपी मापदण्ड से मापी जा सकती से नहीं है या जिन्हें मुद्रा रूपी मापदण्ड से नहीं हैं, आर्थिक क्रियाएँ कहलाती हैं। मापा जा सकता, गैर-आर्थिक क्रियाएँ कहलाती
है।
2. एक श्रमिक का मजदूर पर खेत में कार्य करना 2. माँ द्वारा पुत्र की देखभाल करना गैर-आर्थिक आर्थिक क्रिया है।
क्रिया है।
3. शिक्षक का स्कूल में पढ़ाना।
3. शिक्षक द्वारा अपने पुत्र को घर पर पढ़ाना।
4. नर्स द्वारा अस्पताल में रोगियों की देखभाल
4. विद्यार्थियों द्वारा शाम को क्रिकेट खेलना।
करना।

प्रश्न 5. ‘बेरोजगारी’ शब्द की आप कैसे व्याख्या करेंगे?
उत्तर-बेरोजगारी का अर्थ-बेरोजगारी से आशय ऐसी स्थिति से है जिसमें व्यक्ति वर्तमान मजदूरी की दर पर काम करने को तैयार होता है परन्तु उसे कार्य नहीं मिलता। बेरोजगारी की स्थिति में श्रम शक्ति और रोजगार के अवसरों की असमानता बढ़ती जाती है। इससे श्रमिकों की माँग की अपेक्षा पूर्ति अधिक होती है। ऐसी
स्थिति में बहुत से व्यक्ति कार्य करने योग्य तो हैं परन्तु उन्हें कार्य नहीं मिल पाता है। इसे ही बेरोजगारी कहते है। अर्थात् सामान्यतया बेरोजगारी से आशय रोजगार के अवसरों की तुलना में मानव शक्ति के आधिक्य की स्थिति से लगाया जाता है।

प्रश्न 6. प्रच्छन्न और मौसमी बेरोजगारी में क्या अन्तर है?
उत्तर-प्रच्छन्न बेरोजगारी-जब किसी व्यवसाय में आवश्यकता से अधिक श्रमिक लगे हों, तो बाहर से तो सभी श्रमिक कार्य में लगे प्रतीत होते हैं, लेकिन इनमें से काफी श्रमिक बेरोजगारी की अवस्था में होते संसाधन के रूप में लोग देखने को मिलती है।
हैं। यदि इनमें से कुछ श्रमिकों को व्यवसाय से हटा लिया जाए तो कुल उत्पादन में कोई कमी नहीं आती। बेरोजगारी की इस स्थिति को प्रच्छन्न या अदृश्य बेरोजगारी कहते हैं। यह प्रमुख रूप से कृषि व्यवसाय में उदाहरण के लिए खेत में तीन व्यक्तियों की आवश्यकता है, परन्तु घर के सभी 5 व्यक्ति उस कार्य में लग जाते हैं, फिर भी उत्पादन में कोई अन्तर नहीं आता तो इस प्रकार 2 व्यक्ति इस कार्य में अधिक लगे हैं। यही अदृश्य या छिपी बेरोजगारी है। कुछ व्यस्त मौसम होते हैं जब बुआई, कटाई, निराई और गहाई होती है। कुछ विशेष महीनों में कृषि पर आश्रित मौसमी बेरोजगारी- मौसमी बेरोजगारी तब पाई जाती है, जब लोग वर्ष के कुछ महीनों में रोजगार प्राप्त नहीं कर पाते हैं। कृषि पर आश्रित लोग आमतौर पर इस प्रकार की समस्या का सामना करते हैं। वर्ष में लोगों को अधिक कार्य नहीं मिल पाता। इसे मौसमी बेरोजगारी कहते हैं।

प्रश्न 7. आप के विचार से भारत किस क्षेत्रक में रोजगार के सर्वाधिक अवसर सृजित कर सकता है?
उत्तर-भारत सेवा क्षेत्रक में रोजगार के सर्वाधिक अवसर सृजित कर सकता है, क्योंकि आर्थिक विकास के साथ-साथ ही सेवा क्षेत्र का महत्व भी बढ़ गया है। सेवा क्षेत्र लोगों को प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष दोनों रूपों में रोजगार प्रदान करता है। उदाहरण के लिए, “भारतीय रेलवे में कुल 15-5 लाख कर्मचारी नियोजित हैं। यह संख्या देश में किसी भी अन्य उपक्रम की तुलना में अधिक है। रोजगार के अवसर जुटाने में जैव प्रौद्योगिकी, सूचना प्रौद्योगिकी, परिवहन, बैंक, शैक्षणिक संस्थाएँ, स्वास्थ्य सेवाएँ, पर्यटन एवं होटल व्यवसाय का योगदान बहुत अधिक है। इस प्रकार सेवा क्षेत्र बेरोजगारी दूर करने एवं लोगों की आय बढ़ाने में सहायक होता है।

प्रश्न 8. क्या आप शिक्षा प्रणाली में शिक्षित बेरोजगारों की समस्या दूर करने के लिए कुछ उपाय सुझा सकते हैं ?
उत्तर-शिक्षा प्रणाली में शिक्षित बेरोजगारों की समस्या दूर करने के लिए कुछ उपाय सुझाए जा सकते
(1) शिक्षा का व्यावहारिक रूप-देश में शिक्षा को व्यावहारिक रूप देने की आवश्यकता है अर्थात् हाईस्कूल की शिक्षा के पश्चात् विद्यार्थियों को उनकी योग्यता व रुचि के अनुरूप व्यावहारिक शिक्षा पर जोर दिया जाये।
(2) शिक्षा प्रणाली में परिवर्तन-भारत की वर्तमान शिक्षा प्रणाली अंग्रेजों द्वारा लगभग 200 वर्ष पूर्व अपनायी गयी थी और यह आज भी उसी रूप में है। अतः सुझाव दिया जाता है कि इसमें व्यापक परिवर्तन किये जाने चाहिए जिससे कि सैद्धान्तिक बातों के साथ-साथ व्यावहारिक बातों का भी ज्ञान हो सके।
(3) मनोवृत्ति में परिवर्तन-शिक्षित व्यक्तियों में बेरोजगारी कम करने के लिए उनकी मनोवृत्ति में परिवर्तन होना चाहिए जिसके लिए आवश्यक सामाजिक वातावरण बनाया जाना चाहिए।
(4) प्रशिक्षण संस्थाओं में वृद्धि-यहाँ प्रशिक्षण सुविधाएँ बढ़ाने के लिए प्रशिक्षण संस्थाओं का विस्तार किया जाना चाहिए जिससे कि शिक्षित व्यक्ति प्रशिक्षण प्राप्त करके अपना व्यवसाय आरम्भ कर सकें।

प्रश्न 9. क्या आप कुछ ऐसे गाँवों की कल्पना कर सकते हैं जहाँ पहले रोजगार का कोई अवसर नहीं था, लेकिन बाद में बहुतायत में हो गया ?
उत्तर-हाँ ऐसे गाँव के बारे में मैंने अपनी पाठ्य-पुस्तक में एक कहानी पढ़ी थी जिसमें अनेक परिवार रहते थे। प्रत्येक परिवार इतना उत्पादन कर लेता था कि उससे उसके सदस्य खा-पी सकें। इनमें से एक परिवार ने अपने एक लड़के को कृषि विश्वविद्यालय में भेजने का निर्णय लिया। कुछ समय पश्चात् वह कृषि-इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त कर गाँव वापस लौट आया। उसने एक उन्नत किस्म के हल का नमूना तैयार किया जिससे गेहूँ के उत्पादन में वृद्धि हो गई। इस प्रकार गाँव में ऐग्रो इंजीनियरिंग का एक नया कार्य सृजित हुआ और वहीं उसकी पूर्ति हुई। इस सफलता से प्रेरित होकर कुछ समय पश्चात् गाँव के लोगों ने पंचायत से गाँव में एक स्कूल खोलने का अनुरोध किया। पंचायत ने सरकार की मदद से एक स्कूल खोल दिया। कुछ समय पश्चात्, गाँव के एक परिवार ने अपनी एक लड़की को सिलाई का प्रशिक्षण दिलाया। इस प्रकार, दजी क्यों? का एक नया कार्य सृजित हुआ। समय के साथ वह गाँव, जहाँ प्रारम्भ में किसी नए कार्य का औपचारिक रूप से कोई अवसर नहीं था-शिक्षक, दर्जी, एग्रो-इंजीनियर और अन्य तरह के लोगों से परिपूर्ण हो गया।

प्रश्न 10. किस पूँजी को आप सबसे अच्छा मानते हैं-भूमि, श्रम, भौतिक पूँजी और मानव पूंजी ?
उत्तर-हम मानव पूँजी को सबसे अच्छा मानते हैं, क्योंकि इसी पूँजी द्वारा दूसरे संसाधन; जैसे- भूमि, श्रम व भौतिक पूँजी उपयोगी बनते हैं। मानव पूँजी का निवेश ही अन्य साधनों का उचित उपभोग करवाता है। जापान जैसे देश ने मानव संसाधन पर निवेश किया है। उनके पास कोई प्राकृतिक संसाधन नहीं था। आज यह विकसित धनी देश है।

प्रश्न 11. आर्थिक विकास में मानवीय पूँजी की भूमिका बताइए।
अथवा
मानव संसाधन के महत्व को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-किसी राष्ट्र के लिए मानव संसाधन का आशय है-स्वस्थ एवं शिक्षित श्रम का उपलब्ध होना। सम्पूर्ण स्वस्थ एवं पूर्ण शिक्षित श्रम या कार्यशील जनसंख्या को मानव पूँजी (Human capital) की भी संज्ञा दी जाती है जो राष्ट्र के उत्पादन व आय के स्तर को पूँजी (मानवकृत पूँजी) के संयोग से बढ़ाता है। इसके अतिरिक्त मानव पूँजी (कुशल श्रम) तथा मानवकृत पूँजी (द्रव्य, मशीन आदि के रूप में पूँजी) किसी राष्ट्र के आर्थिक विकास के सम्पूर्ण संसाधन हैं जिनमें मानवीय-पूँजी को आर्थिक नियोजन के सभी विकास प्रयासों का केन्द्र-बिन्दु माना जाता है। मानव पूँजी मानव विकास को उत्प्रेरित करती है और मानव विकास आर्थिक विकास को। अत: यह भी कहा जा सकता है कि केवल शिक्षित और स्वस्थ मनुष्य ही आर्थिक विकास में योगदान कर सकते हैं।

प्रश्न 12. भौतिक पूँजी तथा मानवीय पूँजी में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
भौतिक पूँजी तथा मानवीय पूँजी में अन्तर
भौतिक पूँजी
मानवीय पूँजी
1. भौतिक पूँजी दृश्य है। इसकी आकृति होती है। मानवीय पूँजी अदृश्य है। इसकी कोई आकृति नहीं होती है।
2. इसे बाजार में सरलता से बेचा जा सकता है। 2. इसे बाजार में नहीं बेचा जा सकता है। केवल इसकी सेवाओं को बेचा जा सकता है।
3. इसकी विदेशों में गतिशीलता पर कृत्रिम 3. इसकी विदेशों में गतिशीलता पर राष्ट्रीयता व्यापारिक बाधाएँ आती हैं।
सम्बन्धी तथा सांस्कृतिक रुकावटें आती हैं।

प्रश्न 13. प्राकृतिक संसाधनों की कमी के बावजूद “जापान एक विकसित और धनी देश है।”
उपयुक्त उदाहरण द्वारा इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-(1) जापान ने मानव संसाधन पर निवेश किया है। उसके पास कोई प्राकृतिक संसाधन नहीं था।
(2) जापान अपने देश के लिए आवश्यक प्राकृतिक संसाधनों का आयात करता है। इस राष्ट्र ने विशेष रूप से शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में निवेश किया।
(3) जापान ने भूमि और पूँजी जैसे अन्य संसाधनों का कुशल उपयोग किया है। इन लोगों ने जो कुशलता और प्रौद्योगिकी विकसित की उसी से यह राष्ट्र धनी और विकसित बना है।

प्रश्न 14. सरकार द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में उठाये गये कदमों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर-सरकार द्वारा 6 से 14 वर्ष आयु वर्ग के सभी स्कूली बच्चों को वर्ष 2010 तक प्राथमिक शिक्षा प्रदान करने की दिशा में ‘सर्वशिक्षा अभियान’ एक महत्वपूर्ण कदम है। राज्यों, स्थानीय सरकारों और प्राथमिक शिक्षा सार्वभौमिक लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए समुदाय की सहभागिता के साथ केन्द्रीय सरकार की यह एक
समयबद्ध पहल है। इसके साथ ही, प्राथमिक शिक्षा में नामांकन बढ़ाने के लिए ‘सेतु-पाठ्यक्रम’ और ‘स्कूल
1. पोषण स्थिति में सुधार के लिए दोपहर के भोजन की योजना कार्यान्वित की जा रही है। लौटो शिविर’ प्रारम्भ किए गए हैं। कक्षा में बच्चों की उपस्थिति को बढ़ावा देने, बच्चों के पारण और लकी

प्रश्न 15. सेवा क्षेत्र का कृषि एवं राष्ट्रीय आय में योगदान की विवेचना कीजिए।
उत्तर-सेवा क्षेत्रका कृषि में योगदान-किसानों की प्राकृतिक आपदाओस गाने का कार्य भी सेवा क्षेत्र द्वारा किया जाता है। वर्षा बीमा योजना, फसल बीमा योजना, कृषि आय बीमा योजना नया राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना आदि के द्वारा कृषि उपज की अनिश्चितता एवं जोखिम को दूर किया जाता है। साथ ही गला श्रेत्र सेवा क्षेत्र कृषि उत्पादकता को बढ़ाने में सहयोग करता है।
किसानों को उन्नत खाद, बीज आदि के क्रय हेतु पूजी प्रदान कर उत्पादन बढ़ाने में सहायक होता है। इस प्रकार, राष्ट्रीय आय में योगदान-आज शहरी क्षेत्र हो या ग्रामीण सभी में सेवा क्षेत्र का महत्वपूर्ण योगदान है। यही कारण है कि राष्ट्रीय आय का आधे से अधिक भाग अब सेवा क्षेत्र से प्राप्त हो रहा है। राष्ट्र के आर्थिक
विकास के साथ सेवा क्षेत्र की गतिविधियाँ तेजी से बढ़ रही हैं, इसलिए राष्ट्रीय आय में सेवा क्षेत्र का योगदान बढ़ रहा है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. मानव पूँजी निर्माण में शिक्षा की क्या भूमिका है ?
उत्तर-मानव पूँजी निर्माण में शिक्षा की अत्यन्त महत्वपूर्ण भूमिका है-
(1) शिक्षा राष्ट्रीय आय, सांस्कृतिक समृद्धि को बढ़ाती है और सामाजिक विकास में भी वृद्धि करती है।
(2) शिक्षा के माध्यम से देश के आर्थिक विकास में वृद्धि होती है।
(3) शिक्षा अच्छी नौकरी और वेतन के रूप में परिणाम देती है।
(4) शिक्षा मानव के व्यक्तित्व विकास में महत्वपूर्ण है।
(5) शिक्षा, अच्छे ज्ञान और उत्तम प्रशिक्षण से देश के संसाधनों का उत्तम प्रयोग करना सिखाती है।
(6) शिक्षा जीवन के नए मूल्य विकसित करती हैं।
(7 शिक्षा सभी व्यक्तियों की मानसिक क्षमता को बढ़ाती है।

प्रश्न 2. मानव पूँजी निर्माण में स्वास्थ्य की क्या भूमिका है ?
उत्तर-मानव पूँजी निर्माण में स्वास्थ्य की महत्वपूर्ण भूमिका है, जैसा कि निम्न तथ्यों से स्पष्ट है-
(1) स्वस्थ व्यक्ति में कार्य करने की अधिक ऊर्जा, सामर्थ्य और शक्ति होती है।
(2) स्वास्थ्य किसी व्यक्ति को रोगों से लड़ने की क्षमता प्रदान करता है। स्वस्थ मानव जीवन को समस्याओं से आसानी से लड़ सकता है।
(3) अच्छा स्वास्थ्य श्रमिकों को सीखने की योग्यता बढ़ाता है।
(4) स्वास्थ्य किसी व्यक्ति के कल्याण को मापने का अपरिहार्य आधार है।
(5) स्वास्थ्य और पोषण से मानव की शारीरिक क्षमताओं का विकास होता है। स्वस्थ व्यक्ति शारीरिक दृष्टि से पूर्णतया कार्य करने योग्य होता है।

प्रश्न 3. प्राथमिक, द्वितीयक और तृतीयक क्षेत्रकों में किस तरह की विभिन्न आर्थिक क्रियाएँ
संचालित की जाती हैं?
उत्तर-विभिन्न क्रियाकलापों को तीन प्रमुख क्षेत्रकों-प्राथमिक, द्वितीयक और तृतीयक में वर्गीकृत किया गया है-
(1) प्राथमिक क्षेत्र-प्राकृतिक संसाधनों पर प्रत्यक्ष रूप से आधारित गतिविधियों को प्राथमिक क्षेत्र कहा जाता है। उदाहरण के लिए, कृषि को लिया जा सकता है। फसलों के उत्पादन के लिए मुख्यतः प्राकृतिक कारकों; जैसे-मृदा, वर्षा,सूर्य का प्रकाश, वायु आदि पर निर्भर रहना पड़ता है। अत: कृषि उपज एक प्राकृतिक
उत्पाद है। इसी प्रकार वन, पशुपालन, खनिज आदि को भी प्राथमिक क्षेत्र के अन्तर्गत लिया जाता है।
(2) द्वितीयक क्षेत्र-इस क्षेत्र की गतिविधियों के अन्तर्गत प्राकृतिक उत्पादों को विनिर्माण प्रणाली के माध्यम से अन्य रूपों में परिवर्तित किया जाता है। उदाहरण के लिए, लोहे से मशीन बनाना या कपास से कपड़ा बनाना आदि यह प्राथमिक गतिविधियों के बाद अगला कदम है। इस क्षेत्र में वस्तुएँ सीधे प्रकृति से उत्पादित नहीं होती हैं, वरन् उन्हें मानवीय क्रियाओं के द्वारा निर्मित किया जाता है। ये क्रियाएँ किसी कारखाने या घर में हो सकती हैं। चूंकि यह क्षेत्र क्रमशः सम्बन्धित विभिन्न प्रकार के उद्योगों से जुड़ा हुआ है। इसलिए इसे औद्योगिक क्षेत्र भी कहा जाता है।
(3) तृतीयक या सेवा क्षेत्र-इस क्षेत्र की गतिविधियाँ प्राथमिक एवं द्वितीयक क्षेत्र से भिन्न होती हैं। तृतीयक क्षेत्र की गतिविधियाँ स्वत: वस्तुओं का उत्पादन नहीं करती, वरन् उत्पादन प्रक्रिया में सहयोग करती है। उदाहरण के लिए, प्राथमिक और द्वितीयक क्षेत्रों द्वारा उत्पादित वस्तुओं को थोक एवं फुटकर बाजारों में
बेचने के लिए रेत या ट्रक द्वारा परिवहन की आवश्यकता पड़ती है। प्राथमिक एवं द्वितीयक क्षेत्रों में उत्पादन करने के लिए बैंकों से ऋण लेने की आवश्यकता होती है। उत्पादन एवं व्यापार में सुविधा के लिए टेलीफोन, इण्टरनेट, पोस्ट ऑफिस, कोरियर आदि की आवश्यकता होती है। इस प्रकार परिवहन, भण्डारण, संचार, बैंक, व्यापार आदि से सम्बन्धित गतिविधियाँ तृतीयक क्षेत्र में आती हैं। चूँकि, तृतीयक क्षेत्र की गतिविधियों से वस्तुओं के स्थान पर सेवाओं का सृजन होता है, अत: इसे सेवा क्षेत्र भी कहा जाता है।

प्रश्न 4. महिलाएं क्यों निम्न वेतन वाले कार्यों में नियोजित होती हैं ?
उत्तर-महिलाएँ निम्नलिखित कारणों से निम्न वेतन वाले कार्यों में नियोजित होती हैं-
(1) पुरुषों की अपेक्षा स्त्रियों को शारीरिक क्षमता कम होती है। वे बहुत से कठिन कार्य नहीं कर सकती हैं तथा कम वेतन प्राप्त करके ही सन्तोष कर लेती हैं।
(2) स्त्री श्रमिकों में संगठन का अभाव मिलता है। उनकी सेवाएँ तथा वेतन सेवायोजकों की इच्छा पर निर्भर करता है।
(3) कुछ गिने-चुने व्यवसायों में जहाँ शारीरिक शक्ति कम लगती है, स्त्री श्रमिकों को कार्य मिल पाता है और वे वहीं कार्य करना भी चाहती हैं। फलस्वरूप वे कम मजदूरी पर भी कार्य करना पसन्द करती हैं।
(4) प्राय: हमारे देश में सामाजिक व्यवस्था के कारण भी स्त्री श्रमिकों को कम मजदूरी मिलती है। उदाहरण के लिए, परिवार वाले अपनी लड़कियों को घर से दूर कार्य करने के लिये नहीं जाने देना चाहते हैं।
(5) अधिकतर महिलाएँ वहाँ कार्य करती हैं, जहाँ नौकरी की सुरक्षा नहीं होती तथा कानूनी सुरक्षा का अभाव है। अनियमित रोजगार और निम्न आय इस क्षेत्रक की विशेषताएँ हैं। इस क्षेत्रक में प्रसूति अवकाश, शिशु देखभाल और अन्य सामाजिक सुरक्षा तंत्र जैसी सुविधाएँ उपलब्ध नहीं होती।

प्रश्न 5. शिक्षित बेरोज़गारी भारत के लिए एक विशेष समस्या क्यों है ?
उत्तर-शिक्षित बेरोजगारी का आशय उस बेरोजगारी से है जिसमें रोजगार चाहने वाला व्यक्ति शिक्षित है, लेकिन उसको रोजगार नहीं मिल रहा है। भारत में शिक्षित बेरोजगारी समस्या बन गई है, जिसके प्रमुख कारण निम्न प्रकार हैं-
(1) शिक्षित बेरोजगारी एक सामान्य परिघटना बन गई है। मैट्रिक, स्नातक और स्नातकोत्तर डिग्रीधारी अनेक युवक रोजगार पाने में असमर्थ हैं।
(2) एक अध्ययन में यह बात सामने आई है कि मैट्रिक की तुलना में स्नातक और स्नातकोत्तर युवकों में बेरोजगारी अधिक तेजी से बढ़ी है।
(3) एक विरोधाभासी जनशक्ति-स्थिति सामने आई है कुछ विशेष श्रेणियों में जनशक्ति के आधिक्य के साथ ही कुछ अन्य श्रेणियों में जनशक्ति की कमी विद्यमान है।
(4) एक ओर तकनीकी अर्हता प्राप्त लोगों के बीच बेरोजगारी है, तो दूसरी ओर आर्थिक संवृद्धि के लिए आवश्यक तकनीकी कौशल की कमी भी है। है। लोगों के पास अपने परिवार का भरण-पोषण करने के लिए पर्याप्त मुद्रा नहीं होती। हैं, यह एक बड़ा सामाजिक अपशिष्ट है।
(5) बेरोजगारी से जनशक्ति संसाधन की बर्बादी होती है। युवकों में निराशा और हताशा की भावना होती
(6) शिक्षित लोगों के साथ, जो कार्य करने के इच्छुक हैं और सार्थक रोजगार प्राप्त करने में समर्थ नहीं

प्रश्न 6. शिक्षा एवं स्वास्थ्य का आर्थिक विकास में क्या योगदान है?
उत्तर-शिक्षा का योगदान-शिक्षा मानव के दृष्टिकोण को व्यापक बनाती है। शिक्षा के माध्यम से मनुष्य के नैतिक, बौद्धिक, मानसिक तथा शारीरिक गुणों का विकास किया जाता है। किसी भी अर्थव्यवस्था विकास में शिक्षा का उल्लेखनीय योगदान होता है। यद्यपि शिक्षा किसी स्थूल वस्तु का उत्पादन नहीं करती,
किन्तु यह लोगों को उत्पादन कार्य के लिए अधिक कुशल बनाती है। इससे लोगों के ज्ञान में वृद्धि होती है। जिससे उत्पादकता बढ़ती है। अतः शिक्षा पर निवेश से हमें उसी प्रकार के मूर्त आर्थिक परिणाम प्राप्त होते हैं जिस प्रकार एक कारखाने के निर्माण में निवेश करने से प्राप्त होते हैं। विभिन्न ग्रामीण समस्याओं के समाधान जनसंख्या वृद्धि दर को कम करने, रूढ़ियुक्त होने तथा विश्व को वैज्ञानिक एवं तार्किक दृष्टिकोण से देखने व समझने के लिए भी शिक्षा अनिवार्य है। अत: किसी भी समाज में व्यापक व सूक्ष्म आर्थिक परिवर्तन लाने का सर्वाधिक सशक्त माध्यम शिक्षा है। स्वास्थ्य का योगदान-स्वास्थ्य और व्यक्ति का विकास किसी भी राष्ट्र के सामाजिक एवं आर्थिक विकास का अभिन्न अंग होता है। स्वास्थ्य से मनुष्य की शारीरिक क्षमता का विकास होता है। स्वास्थ्य का सम्बन्ध मात्र रोग निवारण से न होकर शारीरिक एवं मानसिक सुख तथा कल्याण से है। देश की स्वस्थ जनसंख्या
ही उत्पादन कार्य में प्रभावकारी भूमिका निभा सकती है। व्यक्ति की कार्य करने की क्षमता एवं इच्छा पर स्वास्थ्य का प्रभाव पड़ता है और यह उत्पादकता को प्रभावित करती है। श्रमिक जब शारीरिक दृष्टि से कमजोर होगा या स्वस्थ नहीं होगा तब वह उत्पादन कार्य ठोक प्रकार से नहीं कर पायेगा और राष्ट्रीय उत्पादन पर बुरा प्रभाव पड़ेगा। इसलिए स्वास्थ्य सुविधाओं को अनिवार्य माना गया है।

प्रश्न 7. मानव पूंजी में निवेश आर्थिक संवृद्धि में किस प्रकार सहायक होता है ?
उत्तर-मानव पूंजी में निवेश (शिक्षा तथा स्वास्थ्य आदि के रूप में) आर्थिक संवृद्धि होता है। शिक्षा एक व्यक्ति के श्रम कौशल में वृद्धि करती है। उसकी अर्जन शक्ति में वृद्धि करती है। आर्थिक शक्ति में वृद्धि होने से उसकी आय में वृद्धि होती है। उसकी आय में वृद्धि होने से राष्ट्र की राष्ट्रीय आय में वृद्धि होती है जिसके परिणामस्वरूप आर्थिक संवृद्धि होती है। शिक्षित व्यक्ति को राष्ट्रीय आय में योगदान अशिक्षित व्यक्ति की अपेक्षा अधिक होता है। इसी प्रकार एक स्वस्थ व्यक्ति अधिक समय तक बिना बाधा के श्रम की पूर्ति कर सकता है। स्वास्थ्य और पोषण से मानव की शारीरिक क्षमताओं का विकास होता है। स्वास्थ्य का सम्बन्ध केवल रोग निवारण से नहीं, अपितु इससे अधिक है। स्वास्थ्य का सम्बन्ध शारीरिक एवं मानसिक सुख और कल्याण से है। स्वस्थ
व्यक्ति शारीरिक दृष्टि से पूर्णतया कार्य करने योग्य होता है। वह रोगी पुरुष की अपेक्षा अच्छा कार्य कर सकता है और अधिक आय का अर्जन कर सकता है। प्रशिक्षण से भी श्रमिक की कार्यकुशलता तथा उत्पादकता में वृद्धि होती है। शिक्षा पर व्यय करना ऐसा ही है, जैसा कि उद्यमी द्वारा पूँजीगत वस्तुओं पर निवेश करना। पूँजीगत वस्तुएँ दीर्घ समयावधि निवेश हैं। ये वस्तुएँ संगठन की वित्तीय स्वास्थ्य की पुष्टि एवं लाभ क्षमता में वृद्धि करती हैं। एक उद्यम की आधारभूत संरचना उसकी पूँजीगत सम्पत्ति पर निर्भर करती है। इसी प्रकार स्वस्थ एवं शिक्षित अम-शक्ति देश की उत्पादकता को बढ़ाती है एवं भविष्य की खुशहाली में वृद्धि करती है। शिक्षित, प्रशिक्षित, कुशल एवं शिक्षित लोग इंजीनियर, डॉक्टर, टेक्नीशियन्स, चार्टर्ड एकाउन्टेण्ट आदि के रूप में कार्य करते हैं। शिक्षा से प्राप्त योग्यता उत्पादकता एवं आय कमाने की क्षमता बढ़ती है। इस प्रकार स्पष्ट है कि केवल स्वस्थ एवं शिक्षित व्यक्ति ही आर्थिक संवृद्धि में योगदान कर सकते हैं और यह वृद्धि मानव कल्याण को बढ़ाती है। संक्षेप में, हम कह सकते हैं कि मानव पूंजी में निवेश आर्थिक संवृद्धि में सहायक होता है जैसा कि भारत के सन्दर्भ में अग्न तालिका से स्पष्ट है-

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