Pariksha Adhyayan Class 9 Social Science अध्याय 2 यूरोप में समाजवाद एवं रूसी क्रान्ति

अध्याय 2
यूरोप में समाजवाद एवं रूसी क्रान्ति

2. यूरोप में समाजवाद एवं रूसी क्रान्ति
2. यूरोप में समाजवाद एवं रूसी क्रान्ति

वस्तुनिष्ठ प्रश्न
.बहु-विकल्पीय प्रश्न

1.रोज की अधिकांश जनता 20वीं शताब्दी के आरम्भ में कार्य करती थी-
(i)कृषि वर्ग
(ii) खनन वर्ग
(iii) यातायात वर्ग
(iv) औद्योगिक क्षेत्र में।

2. खूनी रविवार की घटना कब हुई?
(1) 1890
(121905
(iii) 1910
(iv) 1917.

3. रूस की क्रान्ति कब हुई थी?
(i) 1920
(ii) 1917
(iii) 1915
(iv) 1910.

4. रूस में सामूहिकीकरण कार्यक्रम’ को प्रारम्भ किया-
(i) गैपान
(ii) लेनिन
(iii) स्तालिन
(iv) ट्राट्स्की।

5. रूस में जार द्वारा कब पद से त्याग-पत्र दिया गया?
(i) 2 मार्च, 1917
(ii) 1 अप्रैल, 1919
(iii) 3 मई, 1920
(iv) 4 मार्च, 1915.

6. रूस के विषय में, ‘शान्ति, भूमि एवं रोटी’ का नारा किसने दिया था ?
(i) प्लेटो
(ii) कार्ल मार्क्स
(iii) मॉन्टेस्क्यू
(iv)लेनिन।
7. रूसी सामाजिक लोकतान्त्रिक श्रमिक पार्टी का गठन कब हुआ था ?
(i) 1898
(ii) 1885
(iii) 1860
(iv) 1850.

उत्तर-1.(i), 2. (ii), 3. (ii), 4. (iii), 5. (i), 6. (iv),7.(i).

रिक्त स्थानों की पूर्ति

1.सन 1917 की सर्दियों में रूस की राजधानी..……..की हालत बहुत खराब थी।
2. प्रथम विश्वयुद्ध की शुरूआत……..में हुई।
3. रूस अनाज का एक बड़ा………..था।
4. सन्..………में समाजवादी क्रान्तिकारी पार्टी का गठन किया गया।
5. रूसी मजदूरों के लिए………..का साल बहुत बुरा रहा।
6. सन् 1914 में दो….…… गठबन्धनों के बीच युद्ध छिड़ गया।
7. कॉमिन्टन का गठन वर्ष ………में हुआ।

उत्तर-1. पेट्रोगाड, 2. 28 जुलाई, 1914, 3. निर्यातक,
4. 1900, 5. 1904, 6. यूरोपीय, 7. 1919.

सत्य/असत्य

1.ऑस्ट्रिया और स्पेन, कैथोलिक चर्च के समर्थक थे।

3.अप्रैल पीसिस’ का विचार लेनिन ने दिया था।

4.सन् 1914 में रूस और उसके पूरे साम्राज्य पर जार निकोलस II का शासन था।

5. फरवरी 1920 में राजशाही को गही से हटाने वाली क्रान्ति का झण्डा पेत्रोग्राद की जनता के हाथों में था।

उत्तर-1. सत्य, 2. असत्य, 3. सत्य, 4. सत्य, 5. असत्य।

एक शब्द/वाक्य में उत्तर

1.मेनशोविको का नेता कौन था ?
2.पीटर्सबर्ग का नाम बदलकर क्या कर दिया गया था ?
3. जार द्वारा कब पद त्याग दिया गया ?
4. वाल स्ट्रीट एक्सचेंज क्या था ?
5. रूस के विषय में ‘कुलक’ क्या था ?
6. किसके नेतृत्व में खूनी रविवार को मजदूरों का जुलूस विटर पैलेस पहुँचा ?

उत्तर-1, एलेक्जेंडर कॅरेस्की, 2, पेटोगाड, 3. 2 मार्च, 1917, 4. शेयर बाजार, 5. धनी किसान,6. पादरी गैपौन।

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. ड्यूमा पर टिप्पणी कीजिए।
उत्तर-रूसी संसद का विधानमण्डल ‘ड्यूमा’ के नाम से जाना जाता था। 1905 की क्रान्ति के दौरान जार ने एक निर्वाचित परामर्शदाता संसद या ड्यूमा के गठन पर अपनी सहमति दी थी।

प्रश्न 2. 1900 से 1930 के बीच रूस में महिला कामगार की स्थिति क्या थी?
उत्तर-1900 से 1930 के बीच महिला कामगार-फैक्ट्री मजदूरों में औरतों की संख्या 31 प्रतिशत थी लेकिन उन्हें पुरुष मजदूरों के मुकाबले कम वेतन मिलता था। पुरुषों की तनख्वाह के मुकाबले आधे से तीन-चौथाई तक वेतन मिलता था। सन् 1917 में बहुत सारे कारखाने में हड़ताल का नेतृत्व महिलाओं ने किया था। महिला कामगार, अक्सर अपने पुरुष सहकर्मियों को प्रेरित करती रहती थीं।

प्रश्न 3. कार्ल मार्क्स का ‘पूँजीवाद’ पर क्या विचार था ?
उत्तर-कार्ल मार्क्स का विचार था कि औद्योगिक समाज ‘पूँजीवादी’ समाज है। फैक्ट्रियों में लगी पूँजी पर पूँजीपतियों का स्वामित्व है और पूँजीपतियों का मुनाफा मजदूरों की मेहनत से पैदा होता है।

प्रश्न 4. कोऑपरेटिव क्या था ?
उत्तर-कोऑपरेटिव ऐसे लोगों के समूह थे जो मिलकर चीजें बनाते थे और मुनाफे को प्रत्येक सदस्य द्वारा किए गए काम के हिसाब से आपस में बाँट लेते थे।

प्रश्न 5. ‘द्वितीय इण्टरनेशनल’ क्या था?
उत्तर-1817 का दशक आते-आते समाजवादी विचार पूरे यूरोप में फैल चुके थे। अपने प्रयासों में समन्वय लाने के लिए समाजवादियों ने द्वितीय इण्टरनेशनल के नाम से एक अन्तर्राष्ट्रीय संस्था बनाई थी।

प्रश्न 6. लेबर पार्टी का गठन कब और कहाँ हुआ था ?
उत्तर-1905 में ब्रिटेन के समाजवादियों और ट्रेड यूनियन आन्दोलनकारियों ने लेबर पार्टी के नाम से अपनी एक अलग पार्टी बना ली थी।

प्रश्न 7. खूनी रविवार की घटना क्या थी?
उत्तर-22 जनवरी, 1905 ई. में रविवार के दिन फादर गैपान के नेतृत्व में रूसी क्रान्तिकारियों ने एक जुलूस निकाला था। जार के सैनिकों ने जुलूस के प्रदर्शनकारियों पर गोलियाँ चलायीं जिससे अनेक क्रान्तिकारी घायल हुए तथा मारे गये। इस कारण ही यह घटना खूनी रविवार के नाम से प्रसिद्ध है।

प्रश्न8.पहला विश्व युद्ध किसे कहा जाता है ?
उत्तर-1914 में दो यूरोपीय गठबन्धनों के बीच युद्ध छिड़ गया। एक ओर जर्मनी, ऑस्ट्रिया और तुर्की (केन्द्रीय शक्तियाँ) थे तो दूसरी ओर फ्रांस, ब्रिटेन व रूस (बाद में इटली और रूमानिया भी इसमें शामिल हो गए) थे। इसी युद्ध को पहला विश्व युद्ध कहा जाता है।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. निम्नलिखित के बारे में संक्षेप में लिखिए-
(1) उदारवादी, (2) स्तालिन का सामूहिकीकरण कार्यक्रम।
उत्तर-(1) उदारवादी-समाज परिवर्तन के समर्थकों में एक समूह उदारवादियों का था। उदारवादी ऐसा राष्ट्र चाहते थे जिसमें सभी धर्मों को बराबर सम्मान और जगह मिले। उदारवादी समूह वंश-आधारित शासकों की अनियन्त्रित सत्ता के भी विरोधी थे। वे सरकार के समक्ष व्यक्ति मात्र के अधिकारों की रक्षा के पक्षधर थे। उनका कहना था कि सरकार को किसी के अधिकारों का हनन करने या उन्हें छीनने का अधिकार नहीं दिया जाना चाहिए। यह समूह प्रतिनिधित्व पर आधारित एक ऐसी निर्वाचित सरकार के पक्ष में था जो
शासकों और अफसरों के प्रभाव से मुक्त और सुप्रशिक्षित न्यायपालिका द्वारा स्थापित किए गए कानूनों के अनुसार शासन-कार्य चलाए। पर यह समूह ‘लोकतन्त्रवादी’ नहीं था। ये लोग सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार यानी सभी नागरिकों को वोट का अधिकार देने के पक्ष में नहीं थे। उनका मानना था कि वोट का अधिकार केवल सम्पत्तिधारियों को ही मिलना चाहिए।
(2) स्तालिन का सामूहिकीकरण कार्यक्रम-नियोजित अर्थव्यवस्था का शुरूआती दौर खेती के सामूहिकीकरण से पैदा हुई तबाही से जुड़ा हुआ था। इसी के बाद स्तालिन का सामूहिकीकरण कार्यक्रम शुरू हुआ। 1929 से पार्टी ने सभी किसानों को सामूहिक खेतों (कोलखोज) में कार्य करने का आदेश जारी कर दिया। ज्यादातर जमीन और साजो-सामान सामूहिक खेतों के स्वामित्व में सौंप दिए गए। सभी किसान सामूहिक खेतों पर कार्य करते थे और कोलखोज के मुनाफे को सभी किसानों के बीच बाँट दिया जाता था। सामूहिकीकरण का विरोध करने वालों को सख्त सजा दी जाती थी।

प्रश्न 8. 1917 में जार का शासन क्यों खत्म हो गया ?
अथवा
पेट्रोगाड में फरवरी कान्ति पर टिप्पणी कीजिए।
उत्तर-फरवरी की क्रान्ति 12 मार्च, 1917 की मानी जाती है, क्योंकि पुराने रूसी पंचांग के अनुसार उस दिन को तारीख 27 फरवरी थी। फरवरी क्रान्ति का प्रारम्भ निम्नलिखित प्रकार से हुआ-
(1)7 मार्च, 1917 के दिन भूखे-प्यासे और शीत से कँपकँपाते निर्धन श्रमिकों ने पेट्रोगाड की सड़कों पर जुलूस निकाला। सड़कों के किनारे के होटलों में घुसकर भोजन किया तथा बाहर निकलकर रोटी के नारे लगाते हुए सड़कों पर घूमने लगे। जार के अधिकारियों ने सैनिकों को गोली चलाने की आज्ञा दी, परन्तु सैनिकों ने नंगे-भूखे मजदूरों पर गोली चलाने से इन्कार कर दिया। इस प्रकार क्रान्ति का सूत्रपात सेना के असहयोग से आरम्भ हो गया।
(2) दूसरे दिन 8 मार्च, 1917 को पेट्रोगाड में नगर के कारखाने में काम करने वाले लगभग एक लाख श्रमिकों ने हड़ताल कर दी तथा सड़कों पर नारे लगाते निकले “रोटी दो, युद्ध बन्द करो, अत्याचारी शासन का अन्त हो।” जार द्वारा मार्च में ही ड्यूमा को भंग कर दिया गया तथा सैनिक मजदूर आन्दोलनकारियों से जा मिले। 13 मार्च को रूस की राजधानी पर मजदूरों ने अधिकार कर लिया। 15 मार्च को जार ने अपना सिंहासन त्याग दिया। इस प्रकार रूस से निरंकुश राजतन्त्र का अन्त हो गया तथा गणतन्त्र की स्थापना की घोषणा की गयी।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. रूस के सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक हालात 1905 से पहले कैसे थे?
उत्तर-1905 से पूर्व रूस की सामाजिक तथा आर्थिक स्थिति-रूस के जार शासक अत्यन्त भ्रष्ट तथा निरंकुश थे। जारों के शासनकाल में रूस का सामाज दो मुख्य वर्गों में विभाजित था-कुलीन और जनसाधारण। कुलीन वर्ग में बड़े-बड़े जमींदार और राजकीय अधिकारी सम्मिलित थे। वे धन सम्पन्न होने के कारण बड़ी शान से जीवन-यापन करते थे। उन्हें सभी विशेषाधिकार प्राप्त थे। राज्य के सभी सैनिक तथा असैनिक पदों पर उनकी नियुक्ति होती थी। वे कर भार से भी मुक्त थे। कुलीन वर्ग जनसाधारण वर्ग को हीन दृष्टि से देखता था। किसानों की तरह रूस में श्रमिकों की दशा भी अत्यन्त शोचनीय थी। रूस के पूँजीपति उनका व्यापार शोषण करते थे। कारखानों में उनके साथ बुरा व्यवहार होता था। उन्हें अत्यन्त अल्प वेतन दिया जाता था। मजदूर एक होकर आन्दोलन न करें इसके लिए 1900 ई. में हड़ताल करने व संघ बनाने पर रोक लगा दी गयी।
रूस की राजनीतिक स्थिति-1905 से पहले रूस की राजनीतिक स्थिति चिन्ताजनक थी। रूस के जार पूर्णतया निरंकुश शासक थे। वे अपनी परामर्शदात्री सभाओं के परामर्श की उपेक्षा करते थे। वे अपने गुप्तचरों तथा राजकीय अधिकारों को विशेष महत्व देते थे तथा उनकी सलाह से कार्य करते थे। इसके अतिरिक्त शासन पर भ्रष्ट जींदारों, शाही परिवार के लोगों अमीरों तथा सैनिक अधिकारियों का भी प्रभुत्व था। सामन्त तथा अमीर जनता पर घोर अत्याचार करते थे। शासकों तथा शासितों के मध्य गहरा अन्तर था तथा जन असन्तोष की पूर्णतया उपेक्षा की जाती थी।

प्रश्न 2.1917 से पहले स्कस की कामकाजी आबादी यूरोप के बाकी देशों के मुकाबले किन-किन स्तरों पर भिन्न थी?
उत्तर-1917 से पहले रूस की कामकाजी आबादी यूरोप के बाकी देशों के मुकाबले निम्न स्तरों पर भिन्न थी-
(1) रूसी साम्राज्य की लगभग 85 प्रतिशत जनता आजीविका के लिए खेती पर निर्भर थी। यूरोप के बाकी देशों में खेती पर आश्रित जनसंख्या का प्रतिशत इतना नहीं था। उदाहरण के तौर पर, फ्रांस और जर्मनी में खेती पर निर्भर आबादी 40-50 प्रतिशत से ज्यादा नहीं थी। रूसी साम्राज्य के किसान अपनी जरूरतों के साथ-साथ बाजार के लिए भी पैदावार करते थे।
(2) मजदूरों की तरह किसान भी बँटे हुए थे। यहाँ की स्थिति फ्रांस जैसी नहीं थी। मिसाल के तौर पर, फ्रांसीसी क्रान्ति के दौरान ब्रिटनी के किसान न केवल नवाबों का सम्मान करते थे बल्कि नवाबों को बचाने के लिए बाकायदा लड़ाइयाँ भी लड़ीं। इसके विपरीत, रूस के किसान चाहते थे कि नवाबों की जमीन छीनकर किसानों के बीच बाँट दी जाए। बहुधा वह लगान भी नहीं चुकाते थे।
(3) रूसी किसान यूरोप के बाकी किसानों के मुकाबले एक और लिहाज से भी भिन थे। यहाँ कि किसान समय-समय पर सारी जमीन को अपने कम्यून (मीर) को सौंप देते थे और फिर कम्यून ही प्रत्येक परिवार की जरूरत के हिसाब से किसनों को जमीन बाँटता था।
(4) रूस के अपने उद्योग तो वैसे भी बहुत कम थे, अब तो बाहर से मिलने वाली आपूर्ति भी बन्द हो गई क्योंकि बाल्टिक समुद्र में जिस रास्ते से विदेशी औद्योगिक सामान आते थे उस पर जर्मनी का कब्जा हो चुका था। यूरोप के बाकी देशों के मुकाबले रूस के औद्योगिक उपकरण ज्यादा तेजी से बेकार होने लगे थे। 1916 तक रेलवे लाइनें टूटने लगी। अच्छी सेहत वाले मर्दो को युद्ध में झोंक दिया गया। देशभर में मजदूरों की कमी पड़ने लगी और जरूरी सामान बनाने वाली छोटी-छोटी वर्कशॉप ठप्प होने लगी।

प्रश्न 3. रूसी राज्य-क्रान्ति 1917 के पूर्व रूस की दशा कैसी थी? सविस्तार समझाइए।
अथवा
रूस में क्रान्ति से पूर्व किस प्रकार की अर्थव्यवस्था थी?
उत्तर-1917 ई. की क्रान्ति के पूर्व रूस की सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक तथा धार्मिक दशा निम्नलिखित थी-
(1) सामाजिक दशा-रूस विभिन्न जातियों का निवास स्थल था। रूसी, पोल, फिन, आर्मीनियन आदि विभिन्न जातियाँ यहाँ निवास करती थीं। इन जातियों में असन्तोष की भावना थी। मुख्यतया रूसी समाज दो वर्गों में विभाजित था जिनमें पर्याप्त विषमता थी। रूस का प्रथम वर्ग विशेष अधिकारों से युक्त तथा सम्पन वर्ग था जो करों से मुक्त था तथा राजकीय उच्च पदों का अधिकारी था। द्वितीय वर्ग अधिकारहीन वर्ग था जिसमें निर्धन, मजदूर, किसान तथा अर्ध-दास थे। इस वर्ग के पास कोई अधिकार नहीं थे। यह वर्ग अत्यन्त दयनीय जीवन व्यतीत कर रहा था।
(2) राजनीतिक दशा-क्रान्ति से पूर्व रूस की राजनीतिक दशा अत्यन्त शोचनीय थी। रूस के शासक जार निरंकुशता के पोषक थे। वे दैवी अधिकार के सिद्धान्त में आस्था रखते थे। रूस में नाम के लिए एक संसद थी, जो ड्यूमा कहलाती थी, परन्तु व्यवहार में यह शक्तिहीन थी। वास्तविक सत्ता का उपयोग जार ही करता था। शासन की आलोचना करने वालों को दण्डित किया जाता था। रूस में सामन्ती प्रथा का भी प्रचलन था। सामन्तों को राज्य से विशेष अधिकार प्रदान किये गये थे। वे स्वेच्छाचारी शासन में ही आस्था रखते थे।
(3) आर्थिक दशा-प्रथम विश्व युद्ध ने रूस की आर्थिक दशा को अत्यधिक शोचनीय बना दिया था। युद्ध के कारण बाल्टिक सागर एवं काले सागर के बन्द हो जाने से रूस पश्चिमी संसार से पृथक् हो गया जिससे उसके व्यापार को गहरा आघात लगा। जार एलक्जेण्डर के काल में रूस में औद्योगीकरण की गति तीव्र हो गयी थी जिससे पूँजीवाद को विशेष प्रोत्साहन मिला था। पूँजीवाद के कारण श्रमिकों की दशा अत्यधिक शोचनीय हो गयी थी, क्योंकि उनसे काम अधिक लिया जाता था परन्तु मजदूरी कम दी जाती थी। मजदूरों के समान ही किसानों की दशा भी अत्यन्त शोचनीय थी। किसानों पर अनेक प्रतिबन्ध लगा दिये गये थे, परिणामस्वरूप अनेक बार कृषक विद्रोह भी हुए।
(4) धार्मिक दशा-रूस में अधिकतर जनता ईसाई धर्म को मानने वाली थी तथा राज्य और चर्च में गहरा सम्बन्ध था। चर्च को राज्य की ओर से मान्यता प्रदान की गयी थी तथा उसके खर्चे के लिये रूसी जनता पर अनेक अनिवार्य कर भी लगा दिये गये थे। पादरियों का दृष्टिकोण संकीर्ण तथा अन्धविश्वासों पर आधारित था। वे राजा के दैवी अधिकार के सिद्धान्त को मान्यता देते थे तथा जनता से कहते थे कि राजा पृथ्वी पर ईश्वर का प्रतिनिधि है, अत: उसका विरोध करना ईश्वर का विरोध है।

प्रश्न 4. रूसी क्रान्ति के कारणों का उल्लेख कीजिए।
अथवा
1917 ई. की रूसी क्रान्ति के सामाजिक एवं आर्थिक कारणों को लिखिए।
अथवा
“1917 की रूसी क्रान्ति जार निकोलस द्वितीय के अत्याचारों का परिणाम थी।” इस कथन की व्याख्या करते हुए क्रान्ति के कारण बताइए।
उत्तर-रूसी क्रान्ति के निम्नलिखित कारण थे-
(1) निरंकुश राजतन्त्र-रूस में निरंकुश राजतन्त्र था। राज्य के शासक को जार कहा जाता था जो अपने को ईश्वर का प्रतिनिधि कहता था। जार निरंकुशता को बनाये रखना अपना कर्त्तव्य समझता था। उसे मुख्यतया कुलीन वर्ग, सेना, नौकरशाही तथा पादियों का ही समर्थन प्राप्त था। रूस की शेष जनता उसके विरुद्ध थी, अत: वह निरंकुश राजतन्त्र को समाप्त करना चाहती थी।
(2) कुलीन वर्ग की स्वार्थपरता और विलासिता-फ्रांस के समान ही रूस में भी कुलीन वर्ग विशेषाधिकार प्राप्त वर्ग था। इस वर्ग के लोग जार की छत्रछाया में रहकर अपनी जागीरों में मनमानी करते थे। वे फ्रांस के कुलीन वर्ग के समान रूस की जनता का शोषण करते थे तथा भोग-विलास का जीवन व्यतीत करते थे।
(3) अल्पसंख्यक जातियों का विद्रोह-रूस में पाल, यहूदी तथा फिन नामक अल्पसंख्यक जातियाँ निवास करती थी। जार इन जातियों का रूसीकरण करना चाहता था। इन जातियों को रूसी भाषा पढ़ने के लिए बाध्य किया गया तथा उच्च पदों पर केवल रूसियों को ही नियुक्त किया गया था। परिणामस्वरूप अल्पसंख्यक जातियाँ जार के निरंकुश शासन की विरोधी हो गयीं।
(4) कृषकों की दयनीय दशा-क्रान्ति से पूर्व रूस एक कृषि प्रधान देश था, परन्तु किसानों की दशा अत्यन्त शोचनीय थी। उन पर अनेक प्रतिबन्ध लगे हुए थे तथा अनेक करों ने उनकी स्थिति को पूर्णतया निर्धन बना दिया था। कृषकों की दयनीय दशा ने उन्हें क्रान्ति की प्रेरणा दी।
(5) श्रमिकों की दयनीय दशा-औद्योगिक क्रान्ति के परिणामस्वरूप रूस में अनेक उद्योगों को स्थापना हो गयी थी। विभिन्न उद्योगों में धन लगाकर पूँजीपति अधिक-से-अधिक धन कमाने की चेष्टा कर रहे थे। अधिक-से-अधिक धन कमाने की धुन में वे श्रमिकों का अधिक-से-अधिक शोषण भी करने का प्रयास करते थे। श्रमिकों को जो वेतन दिया जाता था वह बहुत कम होता था, अत: अपनी हीन दशा को ठीक करने के लिए जब उन्होंने 1900 ई. में श्रमिक संघ बनाने का प्रयास किया तो जार सरकार ने रोक दिया। परिणामस्वरूप श्रमिक-वर्ग जार विरोधी हो गया।
(6) प्रथम विश्व युद्ध में भाग लेना-रूस का जार साम्राज्यवादी प्रवृत्ति का था, अत: उसने रूस को प्रथम विश्व युद्ध में उलझा दिया था। युद्ध स्थल पर रूसी सेनाएँ बुरी तरह पराजित हुई तथा लगभग 6,00,000 सैनिक युद्ध में मारे गये। इस युद्ध ने रूस की आर्थिक दशा को भी शोचनीय बना दिया। सैनिक क्षति तथा आर्थिक संकट के कारण रूसी जनता रूसी सरकार के विरूद्ध भड़क उठी।

प्रश्न 7. बोल्शेविकों ने अक्टूबर क्रान्ति के फौरन बाद कौन-कौन से प्रमुख परिवर्तन किए ?
उत्तर-अक्टूबर क्रान्ति के बाद बोल्शेविकों ने निम्नलिखित प्रमुख परिवर्तन किए-
(1) बोल्शेविक निजी सम्पत्ति की व्यवस्था के पूरी तरह खिलाफ थे। ज्यादातर उद्योगों और बैंकों का नवम्बर 1917 में ही राष्ट्रीयकरण किया जा चुका था।
(2) बोल्शेविकों ने जमीन को सामाजिक सम्पत्ति घोषित कर दिया। किसानों को सामन्तों की जमीन पर कब्जा करने की खुली छूट दे दी गई।
(3) शहरों में बोल्शेविकों ने मकान मालिकों के लिए पर्याप्त हिस्सा छोड़कर उनके बड़े मकानों के छोटे-छोटे हिस्से कर दिए ताकि बेघर या जरूरतमंद लोगों को भी रहने की जगह दी जा सके।
(4) उन्होंने अभिजात्य वर्ग द्वारा पुरानी पदवियों के उपयोग पर रोक लगा दी। परिवर्तन को स्पष्ट रूप से सामने लाने के लिए सेना और सरकारी अफसरों की वर्दियाँ बदल दी गई। इसके लिए 1918 में एक परिधान प्रतियोगिता आयोजित की गई जिसमें सोवियत टोपी (बुदियोनोव्का) का चुनाव किया गया।
(5) बोल्शेविक पार्टी का नाम बदलकर रूसी कम्युनिस्ट पार्टी (बोल्शेविक) रख दिया गया। नवम्बर 1917 में बोल्योविकों ने संविधान सभा के लिए चुनाव कराए लेकिन इन चुनावों में उन्हें बहुमत नहीं मिल पाया।
(6) मार्च 1918 में अन्य राजनीतिक सहयोगियों की असहमति के बावजूद बोल्शेविक ने ब्रेस्ट लिटोक्क में जर्मनी से सन्धि कर ली।
(7) गुप्तचर पुलिस (जिसे पहले चेका और बाद में ओजीपीयू तथा एनकेबीडो का नाम दिया गया) बोल्योविकों की आलोचना करने वालों को दण्डित करती थी।

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