Pariksha Adhyayan Class 9 Social Science प्रथम भाग भारत और समकालीन विश्व-1 खण्ड i: घटनाएँ और प्रक्रियाएँ

प्रथम भाग भारत और समकालीन विश्व-1
खण्ड i: घटनाएँ और प्रक्रियाएँ

अध्याय 1
फ्रांसीसी क्रान्ति
वस्तुनिष्ठ प्रश्न

.बहु-विकल्पीय प्रश्न

1. लुई सोलहवाँ किस वंश का राजा था ?
(i) रोमानोव
(ii) विंडसर
(iii) बूढे
(iv) हेप्सबर्ग।

2. फ्रांस की क्रान्ति कब आरम्भ हुई थी?
(i) सन् 1780 ई. में
(ii) सन् 1890 ई. में
(iin) सन् 1789 ई. में
(iv) सन् 1690 ई. में।

3. फ्रांस के विषय में,’टाइल’ क्या था?
(I)सेवा कर
(ii) प्रत्यक्ष कर
(iii) अप्रत्यक्ष कर
(iv) सीमा शुल्क।

4. किसका जैकोबिन क्लब से सम्बन्ध नहीं था ?
(i) नौकर
(ii) मुद्रक
(iii) कुलीन वर्ग
(iv) दिहाड़ी श्रमिक।

5. जैकोबिन क्लब का लीडर था-
(i) लॉक
(ii) थॉमस पियरे
(iii) रोबेस्य्यर
(iv) रूसो।

6. फ्रांस में स्त्रियों को वोट देने का अधिकार प्राप्त हुआ-
(i) 1946 में
(ii)1935 में
(iii) 1950 में
(iv) 1952 में।

7. वाटरलू का युद्ध कब हुआ था?
(i) 1850 ई. में
(ii) 1815 ई. में
(iii) 1790 ई. में
(iv) 1795 ई. में।

8. फ्रांसीसी उपनिवेशों से दास प्रथा का उन्मूलन कब हुआ?
(i) 1802 ई. में
(ii) 1810 ई. में
(iii) 1838 ई. में
(iv) 1848 ई. में।

उत्तर-1.(11), 2. (iii), 3. (ii), 4. (iii), 5. (iii), 6.00,7.(ii), 8.(iv),

रिक्त स्थानों की पूर्ति

1. फ्रांसीसी क्रान्ति को जन्म देने वाला प्रमुख फ्रांसीसी दार्शनिक ……… था।
2. फ्रांस की मुद्रा………गया जिसे 1794 में समाप्त कर दिया गया।
3. 1815 वाटरलू के युद्ध में………की हार हुई।
4. फ्रांस में 1791 में नवनिर्वाचित सभा के लिए………शब्द का प्रयोग किया गया।

5. टीपू सुल्तान और……… क्रान्तिकारी फ्रांस में उत्पन्न विचारों से प्रेरणा लेने वाले दो प्रमुख उदाहरण थे।

उत्तर-1. रूसो, 2. लिवे, 3. नेपोलियन बोनापार्ट,
4. नेशनल असेम्बली, 5. राजा मोहन राय।

.सत्य/असत्य

1. 1789 में पावरोटी के भाव बढ़ने से फ्रांस में जीविका संकट उत्पन्न हो गया था।
2. सोशल कांट्रेक्ट पुस्तक लॉक ने लिखी थी।
3. फ्रांस के सन्दर्भ में ‘टाइद’ चर्च द्वारा प्रतिपादित कर था।
4. फ्रांस के सन्दर्भ में कन्वेंशन’ एक विद्यालय था।
5. 21 जनवरी, 1793 को लुई सोलहवा को गिलोटिन पर चढ़ा दिया गया था।

उत्तर-1.सत्य, 2. असत्य, 3.सत्य,4.असत्य, 5. सत्य।

एक शब्द/वाक्य में उत्तर

1. बूढे राजवंश का लुई सोलहवाँ फ्रांस की राजगद्दी पर कब बैठा ?
2. ‘शक्ति विकेन्द्रीकरण’ का सिद्धान्त किसने प्रतिपादित किया ?
3.781 ई. से 1794 ई. तक फ्रांस में चलने वाली मुद्रा का क्या नाम था ?
4. किस वर्ष में नेपोलियन बोनापार्ट ने खुद को फ्रांस का सम्राट घोषित किया ?
5. लुई सोलहवें को मृत्यु दण्ड कब दिया गया?

उत्तर-1.10 मई, 1774. 2. मॉन्टेस्क्यू, 3. लिने, 4.1804, 5.1793 में।

अति लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. ‘एस्टेट’ क्या था ?
प्रश्न फ्रांस के सन्दर्भ में टाइद क्या था?
उत्तर- कान्ति-पूर्व फ्रांसीसी समाज में सत्ता और सामाजिक हैसियत को अभिव्यक्त करने वाली श्रेणी।

प्रश्न 3. ‘कॉन्वेन्ट’ का क्या आशय है?
उत्तर- कॉन्वेन्ट धार्मिक जीवन को समर्पित समूह की इमारत।

प्रश्न 4. जेकोबिन क्लब के सदस्य कौन थे? इनका नेता कौन था?
उत्तर-जेकोबिन क्लब के सदस्य मुख्यत: समाज के कम समृद्ध हिस्से से आते थे। इनमें छोटे दुकानदार और कारीगर जैसे जूता बनाने वाले, पेस्ट्री बनाने वाले, घड़ीसाज, छपाई करने वाले और नौकर व दिहाड़ी मजदूर शामिल थे। उनका नेता मैक्समिलियन रोचेस्प्यर था।

प्रश्न 5: कांस की क्रान्ति ने विश्व को किन तीन सिद्धान्तों का सन्देश दिया ?
उत्तर-फ्रास को क्रान्ति ने विश्व को निम्नलिखित सिद्धान्तों का सन्देश दिया-स्वतन्त्रता, समानता तथा बन्धुत्व। इन सिद्धान्तों का प्रतिपादक रूसो था।

प्रश्न 6. फ्रांस की क्रान्ति कब आरम्भ हुई थी? इसके दो प्रभाव लिखिए।
उत्तर-फ्रांस की क्रान्ति 1789 ई. में आरम्भ हुई थी। फ्रांस की क्रान्ति ने सारे विश्व को झकझोर कर रख दिया था। विश्व अनेक भागों में इसका सीधा प्रभाव आगे आने वाले वर्षों में महसूस किया गया। यूरोप के सभी देशों में और दक्षिण व मध्य अमरीका में क्रान्तिकारी आन्दोलन इससे प्रेरित हुए।

प्रश्न 7. ‘सौं कुलाँत’ का अर्थ बताइए।
उत्तर-जैकोबिनो के एक बड़े वर्ग ने गोदी कामगारो की तरह धारीदार लम्बी पेर पहनने का निर्णय लिया। ऐसा उन्होंने समाज के फैशन परस्त वर्ग खासतौर से घुटने तक पहने जाने वाले ब्रीचेस (घुटन्ना) पहनने वाले कुलीनों से खुद को अलग करने के लिए किया। इसलिए जैकोबिनो को ‘सौं कुलाँत’ के नाम से जाना गया, जिसका अर्थ होता है-बिना घुटन्ने वाले।

प्रश्न 8.कां सीसी क्रान्ति को किन दार्शनिकों ने प्रभावित किया
उत्तर-फ्रांस की क्रान्ति को प्रभावित करने वाले प्रमुख दार्शनिक थे-वाल्टेयर, रूसो, मान्टेस्क्यू।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. ‘जीविका संकट’ प्राचीन राजतन्त्र के दौरान फ्रांस में काफी आम थे। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-फ्रांस की आबादी सन् 1715 में 2-3 करोड़ थी जो सन् 1789 में बढ़कर 2.8 करोड़ हो गई। परिणामस्वरूप अनाज उत्पादन की तुलना में उसकी माँग काफी तेजी से बढ़ी। अधिकांश लोगों के मुख्य खाद्य-पावरोटी की कीमत में तेजी से वृद्धि हुई। अधिकतर कामगार कारखानों में मजदूरी करते थे और उनकी मजदूरी मालिक तय करते थे। लेकिन मजदूरी महँगाई की दर से नहीं बढ़ रही थी। स्थितियाँ तब और बदतर हो जाती जब सूखे या ओले के प्रकोप से पैदावार गिर जाती। इससे रोजी-रोटी का संकट पैदा हो जाता था। ऐसे ‘जीविका संकट’ प्राचीन राजतन्त्र के दौरान फ्रांस में काफी आम थे।

प्रश्न 2. फ्रांस में लुई सोलहवें के समय में खजाना खाली होने के प्रमुख कारण बताइए।
उत्तर-फ्रांस में लुई सोलहवें के समय में खजाना खाली होने के प्रमुख कारण निम्नलिखित थे-
(1) राजा द्वारा शानो-शौकत पर खर्च अधिक करना।
(2) लम्बी अवधि तक युद्ध चलने से फ्रांस के संसाधन नष्ट हो गये।
(3) ब्रिटेन के युद्ध के चलते फ्रांस पर 10 अरब लिने का कर्ज और जुड़ गया क्योंकि 2 अरब लिने का कर्ज पहले से ही था।
(4) जिन्होंने सरकार को कर्ज दिया था वे अब 10 फीसदी ब्याज माँगने लगे।
(5) ब्रिटेन से 13 अमेरिकी उपनिवेश स्वतन्त्र कराने में सहायता दी।

प्रश्न 3. जैकोबिन्स कौन थे? इन्होंने देश में किस प्रकार आतंक फैलाया?
उत्तर-फ्रांस की विधानसभा में जैकोबिन्स तथा जेरोंदिस्ट नामक दो प्रमुख राजनीतिक दल थे। इनमें जैकोबिन्स अत्यधिक शक्तिशाली एवं कूटनीतिज थे, उन्होंने फ्रांस में आतंकवादी शासन की स्थापना कर दी। इनके दल के सदस्य मध्यम वर्ग के थे। इनके प्रमुख नेता दाते, रोब्सपियरे तथा दारा आदि थे। इस दल का कार्यालय पेरिस में था। अपने शत्रुओं के प्रति ये बड़ी कठोरता से व्यवहार करते थे। थोड़ा-सा सन्देह होने पर वे अपने विरोधियों को फाँसी पर चढ़ा देते थे।

प्रश्न 4.फ्रांस में 14 जुलाई का क्या महत्व है ?
उत्तर-4 जुलाई, 1789 ई. को फ्रांसीसी जनता ने वास्तील की जेल पर आक्रमण कर दिया। इस जेल को राजा के अत्याचार का प्रतीक समझा जाता था। लगभग एक घण्टे तक भीड़ घेरा डाले खड़ी रही। अन्त में क्रान्तिकारियों ने जेल के फाटक को तोड़कर राजनीतिक बन्दियों को मुक्त करा दिया। इस कारण ही 14 जुलाई को फ़ॉस में राष्ट्रीय पर्व के रूप में मनाया जाता है।

प्रश्न 5. रूसो के विषय में आप क्या जानते हैं ? इसका फ्रांस की राज्य क्रान्ति में क्या योगदान था?
उत्तर-रूसो उस युग का महान् लेखक था। वह समाज का संगठन नवीन ढंग से करना चाहता था। उसने ही सर्वप्रथम लोक प्रभुत्व तथा लोकतन्त्र का समर्थन जोरदार शब्दों में किया। उसका कथन था “मानव इस दुनिया में स्वतन्त्र उत्पन्न हुआ है परन्तु सर्वत्र वह जंजीरों से जकड़ा हुआ है।” एक अन्य स्थल पर कहा था कि “कोई भी राजनीतिक पद्धति, जो जनता के सहयोग पर आधारित न हो, सफल नहीं हो सकती।” उन्होंने सामाजिक समझौते के सिद्धान्त का प्रतिपादन बड़े प्रभावशाली ढंग से किया। वह व्यक्तिगत स्वतन्त्रता और समानता का भी समर्थक था। रूसो के विचारों ने फ्रांस की जनता को अत्यधिक प्रभावित किया।

प्रश्न 6. माण्टेस्क्यू के विषय में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर-माण्टेस्क्यू अपने युग का एक महान दार्शनिक, विचारक तथा लेखक था। उसका जन्म 1689 ई. में फ्रांस के एक उच्च परिवार में हुआ था। उसने राजा के अधिकारों के दैवी सिद्धान्त की कटु आलोचना की तथा इस बात पर जोर दिया कि एक आदर्श राज्य में शासन की तीनों शक्तियों या अंगों को एक-दूसरे से अलग होना चाहिए। माण्टेस्क्यू ने (द स्पिरिट ऑफ द लॉज) नामक रचना में सरकार के अन्दर विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच सत्ता विभाजन की बात कही। जब संयुक्त राज्य अमेरिका में 13 उपनिवेशों ने ब्रिटेन से खुद को आजाद घोषित कर दिया तो वहाँ इसी मॉडल की सरकार बनी।

प्रश्न 7. ‘डिरेक्ट्री शासित फ्रांस’ पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
उत्तर-जैकोबिन सरकार ने पतन के बाद मध्य वर्ग के सम्मन्न तबके के पास सत्ता आ गई। नए संविधान के अन्तर्गत सम्पत्तिहीन तबके को मताधिकार से वंचित कर दिया गया। इस संविधान के अन्तर्गत दो चुनी गई विधान परिषदों का प्रावधान था। इन परिषदों ने पाँच सदस्यों वाली एक कार्यपालिका ‘डिरेक्ट्रो’ को नियुक्त किया। इस प्रावधान के द्वारा जैकोबिनों के शासनकाल वाली एक व्यक्ति केन्द्रित कार्यपालिका से बचने की कोशिश की गई। लेकिन डिरेक्टरों का झगड़ा अक्सर विधान परिषदों से होता था और तब परिषद् उन्हें बर्खास्त करने की कोशिश करती थी। डिरेक्ट्री की राजनीतिक अस्थिरता ने सैनिक तानाशाह-नेपोलियन बोनापार्ट-के उदय का मार्ग प्रशस्त कर दिया था।

प्रश्न8.कास में दास प्रथा का उन्मूलन कब और किस प्रकार हुआ?
उत्तर-सन्-1794 के कन्वेंशन ने फ्रांसीसी उपनिवेशों में सभी दासों की मुक्ति का कानून पारित किया। पर यह कानून एक छोटी-सी अवधि तक ही लागू रहा। दस वर्ष बाद नेपोलियन ने दास-प्रथा पुन: शुरू कर दी। बागान-मालिकों को अपने आर्थिक हित साधने के लिए अफ्रीकी नीग्रो लोगों को गुलाम बनाने की स्वतन्त्रता मिल गयी। फ्रांसीसी उपनिवेशों से अन्तिम रूप से दास प्रथा का उन्मूलन 1848 में किया गया।

प्रश्न 9. फ्रांसीसी क्रान्ति की विरासत क्या है ? भारत के दो नेताओं के नाम लिखिए जिन्होंने इस क्रान्ति के आदर्शों को स्वीकार किया।
उत्तर- फ्रांसीसी क्रान्ति की सबसे महत्वपूर्ण विरासत स्वतन्त्रता और जनवादी अधिकारों के विचार थे। ये विचार उन्नीसवीं सदी में फ्रांस से निकलकर बाकी यूरोप में फैले और इनके कारण वहाँ सामन्ती व्यवस्था का अन्त हुआ। औपनिवेशिक समाजों ने सम्प्रभु राष्ट्र-राज्य की स्थापना के अपने आन्दोलनों में दासता से मुक्ति के विचार को नयी परिभाषा दी। टीपू सुल्तान और राजा राममोहन राय क्रान्तिकारी फ्रांस में उत्पन्न विचारों से प्रेरणा लेने वाले दो प्रमुख उदाहरण थे।

प्रश्न 10. फ्रांसीसी समाज के किन तबकों को क्रान्ति का फायदा मिला ? कौन-से समूह सत्ता छोड़ने के लिए मजबूर हो गए ? क्रान्ति के नतीजों से समाज के किन समूहों को निराशा हुई होगी?
उत्तर-फ्रांसीसी समाज के किन तबकों को क्रान्ति का फायदा मिला ?- इस क्रान्ति से किसानों तथा मजदूरों का शोषण समाप्त हो गया। मजदूर को उचित मजदूरी मिलने लगी। किसान करों के बोझ से मुक्त हो गये। साथ ही वकील, डॉक्टर, शिक्षक, लेखक, व्यापारी तथा दुकानदारों की सामाजिक तथा राजनीतिक क्षेत्रों में प्रतिष्ठा बढ़ी तथा उनके विकास के लिए वातावरण का निर्माण हुआ। राज्य के महत्वपूर्ण पदों तथा राजनीति पर इस वर्ग का प्रभुत्व स्थापित हो गया।
कौन-से समूह छत्ता छोड़ने के लिए मजबूर हो गए ?-लुई 16वें के शासनकाल में फ्रांस के सामन्ती वर्ग तथा चर्च के अधिकारियों को कुछ विशेष अधिकार प्राप्त थे। इन अधिकारों के माध्यम से वे जनता का शोषण करते थे। उच्च सरकारी नौकरियों पर सामन्ती वर्ग का अधिकार था। चर्च के अधिकारी शासन में हस्तक्षेप करते थे। इस क्रान्ति के कारण सभी विशेषाधिकार समाप्त हो गये। क्रान्ति के नतीजों से समाज के किन समूहों को निराशा हुई होगी ?-इस क्रान्ति के कारण पादरी वर्ग, कुलीन वर्ग-वथा राजतन्त्र समर्थकों व महिलाओं को निराशा हुई होगी।

प्रश्न 11. नेपालीन के उदय को कैसे समझा जा सकता है ?
उत्तर- नेपोलियन का उदय
1795 में राजतन्त्र के समर्थक तथा असन्तुष्ट गणतन्त्रवादियों ने संगठित होकर कन्वेन्शन पर आक्रमण कर दिया। कन्वेन्शन की रक्षा का भार नेपोलियन पर डाला गया। इस समय से ही वह फ्रांस की राज्यक्रान्ति के मंच पर चमका। कन्वेन्शन ने इससे प्रसन्न होकर उसे फ्रांस की सेना का प्रधान सेनापति नियुक्त कर दिया। इस प्रकार फ्रांस की क्रान्तिकारी सेना की बागडोर अब उसके हाथ में आ गयी और वह फ्रांस का सबसे शक्तिशाली व्यक्ति बन गया। 1804 में नेपोलियन बोनापार्ट ने खुद को फ्रांस का सम्राट घोषित कर दिया। उसने पड़ोस के यूरोपीय देशों की विजय यात्रा शुरू की। पुराने राजवंशों को हय कर उसने नए साम्राज्य बनाए और उनकी बागडोर अपने खानदान के लोगों के हाथ में दे दी। नेपोलियन खुद को यूरोप के आधुनिकीकरण का अग्रदूत – मानता था। उसने निजी सम्पत्ति की सुरक्षा के कानून बनाए और दशमलव पद्धति पर आधारित नाप-तौल की एक समान प्रणाली चलायी।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.फ्रांस की क्रान्ति की शुरुआत किन परिस्थितियों में हुई
उत्तर-फ्रांस की क्रान्ति के प्रमुख कारण निम्नलिखित थे-
(1) अत्याचारी तथा निरंकुश राजतन्त्र-फ्रांस राज्य शासन का अध्यक्ष राजा होता था जो पूर्णतया निरंकुश तथा अत्याचारी होता था। क्रान्ति के समय फ्रांस का शासक लुई सोलहवाँ था जो जिद्दी, निरंकुश तथा राज्य कार्यों के प्रति उदासीन रहने वाला था। वह विलासी भी था।
(2) शोचनीय आर्थिक दशा-लुई सोलहवें को धन की अधिक आवश्यकता होती थी क्योंकि उसका जीवन विलासिता में डूबा रहता था। उसके राजमहल में हजारों अधिकारी थे जो कुछ नहीं करते थे परन्तु राजकोष से उन्हें धन प्राप्त होता था। शासक वर्ग जनता की आर्थिक कठिनाइयों की उपेक्षा करता था जिससे उनमें रोष की भावना दिन-प्रतिदिन बढ़ती गयी।
(3) दोषपूर्ण शासन-व्यवस्था-फ्रांस की शासन व्यवस्था निरंकुश होने के साथ-साथ दोषपूर्ण भी थी। राज्य के सभी प्रकार के कानून एक-दूसरे के विरोधी थे। राज्य के उच्च पदों की नीलामी होती थी फिर राजा के कृपापात्रों को नियुक्त किया जाता था।
(4) कृषकों की दयनीय दशा-अठारहवीं शताब्दी में ऋषि वाया में इस प्रकार परिवर्तन आए कि जिससे किसानों की दशा पहले से भी अधिक दयनीय हो गयी। नपा करी का अत्यधिक भार लाद दिया गया तथा उन्हें बेगार भी करनी पड़ती थी। वे जंगल मे जलाने के लिए न ईथन ला सकते थे श्रीरका घास के मैदानों में चरा सकते थे।
(5) नगर के मजदूर तथा दस्तकार-कृषकों की तरह फ्रांस के नगरों में निवास करने वाले मजदूरी की दशा भी अत्यन्त हीन थी। उन्हें अत्यन्त हीन प्राणी समझा जाता था। बिना अपने मालिक की इच्छा के किसी अन्य के यहाँ नौकरी नहीं कर सकते थे। हर मजदूर को काम अड़ने पर अपने मालिक से चरित्र प्रमाणपत्र नेता पड़ता था, जो पजदूर प्रमाणपत्र नहीं लेते थे उन्हें बन्दी बना दिया जाता था। इस प्रकार के गीपण तथा अन्याय के कारणों से शोषित मजदूर गुप्त संगठन बनाकर हड़ताल तथा विद्रोह करने लगे थे।
(6) बुद्धिजीवियों और क्रान्तिकारियों के विचार-किसी भी क्रान्ति को जन्म देने में बुद्धिजीवियों तथा क्रान्तिकारियों का विशेष योगदान होता है। अठारहवीं शताब्दी में फ्रांस में अनेक क्रान्तिकारी टया विचारड हुए जिन्होंने जनता का उचित ढंग से मार्गदर्शन कर उन्हें उनके अधिकारों का ज्ञान कराया तथा हानि की बाणा दी।
(7) तात्कालिक कारण-अमरीका के स्वतन्त्रता संग्राम में भाग लेन से काम की अर्थिक दशा बाट खराब हो गयी थी। सन् 1788 में भारी अकाल पड़ा। सरकार पर ऋण का भारी बोझ बढ़ गाया। कोप सात हो गया। राजा ने समस्या को सुलझाने के लिए संसद का सत्र बुलाया। फ्रांस में संसट दी थी, किंतु सदा सत्र कभी नहीं बुलाया जाता था। किन्तु अब राजा को विवश होकर उसका सत्र बुलाना पड़ा काम की समस्ट
स्टेट्स जनरल कहलाती थी। मई, सन् 1789 में संसद का सत्र आरम्भ हुआ। प्रारम्भ में ही राजा तथा संसद के बीच झगड़ा हो गया इन्हीं परिस्थितियों में पेरिस (फ्रांस की राजधानी) की जनता ने बास्तील (वैग्याइल) नाम के पुराने औलखान पर धावा बोल दिया। रक्षा करने वाले सैनिकों की हत्या कर दी और कैदियों को मुक्त दिया। इस प्रकार काति
आरम्भ पाई।

प्रश्न2.फ्रांस के लिए फ्रांसीसी क्रान्ति के क्या परिणाम हुए ?
अथवा
फ्रसि की शान्ति के परिणामों की विवेचना कीजिए।
उत्तर- फ्रांस की क्रान्ति के अनेक महत्वपूर्ण परिणाम निकले, जिसका विवरण निम्नलिखित है-
(1) सामन्तवाद का अन्त-क्रान्ति के परिणामस्वरूप फ्रांस में सामन्तवाद समाप्त हो गया। सामन्ती शासन के प्राय: सभी नियमों को रद्द कर दिया गया। चर्च की भूमि को मध्यम वर्ग नै खरीद लिया। सामन्ती, जागीरदारों तथा उच्च पादरियों के सभी प्रकार के विशेषाधिकारों को समाप्त कर दिया गया।
(2) शासन व्यवस्था सुधार-राष्ट्रीय सभा ने देश की शासन व्यवस्था में सुधार किया। उसने उच्च कानूनों का निर्माण किया गया। पदों के लिए योग्यता के आधार पर चुनाव करने की प्रथा को आरम्भ किया। फ्रांस में सबके लिए एक से
(3) निरंकुश राजतन्त्र की समाप्ति-दस क्रान्ति ने निरंकुश राजतन्त्र को सदैव के लिए समाप्त कर दिया। लुई सोलहवें तथा उसकी रानी को उनके कुकृत्यों के दण्डस्वरूप फाँसी दे दी गयी।
(4) नवीन अर्थतन्त्रीय व्यवस्था की स्थापना-फ्रांस की क्रान्ति का एक स्थायी परिणाम यह निकला कि वहाँ सामन्ती प्रणाली का उन्मूलन कर उसके स्थान पर एक नवीन अर्थतन्त्रीय प्रणाली पूँजीवाद की स्थापना
(5) समानता और स्वतन्त्रता के विचारों का प्रमार-फ्रांस की क्रान्ति ने फ्रांस के अतिरिक्त यूरोप के अन्य देशों में भी समानता और स्वतन्त्रता के विचारों का प्रसार किया। यूरोप के विभिन्न देशों में स्वतन्त्रता, समानता तथा भ्रातृत्व के आदर्श वहाँ के क्रान्तिकारियों को प्रेरित करते रहे।
(6) फ्रांस का एक राष्ट्र के साप य उदय-उस क्रान्ति ने फ्रांस की एक गौरवशाली राष्ट्र का काम दिया। प्रभुसत्ता अव फ्रांस की जनता में निहित हो गयी।
(7) मताधिकार का विस्तार-इस क्रान्ति को सफल बनाने में नगर के निर्थन मजदूरों और किसानों का सर्वाधिक योगदान रहा था। अत: उनके बलिदानों के प्रतिफल में उनके लिए बयस्क मताधिकार की घोषणा की गयी। 1792 ई. में प्रथम बार फ्रांस के इतिहास में निर्धन वर्ग के मजदूरी और किसानों को राजनीतिक अधिकार प्रदान किये गये।
(8) गणतन्त्रीय आदशों की स्थापना-फ्रांस की क्रान्ति ने गणतन्त्रीय आदर्शों की स्थापना की। इसने यह सिद्धान्त प्रतिपादित किया कि “जनता के ऊपर कोई शासन नहीं हो सकता, केवल एक गणतन्त्र होगा जिसकी सरकार जनता से प्रभुसत्ता अधिकार प्राप्त करेगी।”

प्रश्न 3. फ्रांस में जून 1793 ई. से जुलाई 1794 ई. के मध्य काल को ‘आतंक का राज्य’ के नाम से क्यों जाना जाता है?
अथवा
1793 से 1794 के समय को ‘आतंक का साम्राज्य’ कहा जाता है। स्पष्ट करें। रोव्सपियर द्वारा लागू किए गए कुछ कानूनों पर भी प्रकाश डालिए।
उत्तर-सन् 1793 से 1794 तक के काल को आतंक का युग कहा जाता है। रोव्सपियर ने नियन्त्रण एवं दण्ड की सख्त नीति अपनाई। उसके अनुसार गणतन्त्र के जो भी शत्रु थे-कुलीन एवं पादरी, अन्य राजनीतिक दलों के सदस्य, उसकी कार्यशैली से असहमति रखने वाले पार्टी सदस्य उन सभी को गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया गया और क्रान्तिकारी न्यायालय द्वारा उन पर मुकदमा चलाया गया। यदि न्यायालय उन्हें दोषी पाता तो गिलोटिन पर चढ़ाकर उनका सिर कलम कर दिया जाता था। गिलोटिन दो खम्भों के बीच लटकते आरे वाली मशीन थी जिस पर रखकर अपराधी का सिर धड़ से अलग कर दिया जाता था। रोब्सपियर सरकार ने कानून बनाकर मजदूरी एवं कीमतों की अधिकतम सीमा तय कर दी। गोश्त एवं पावरोटी की राशनिंग कर दी गई। किसानों को अपना उत्पादन शहरों में ले जाकर सरकार द्वारा निर्धारित कीमत पर बेचने के लिए मजबूर किया गया। अपेक्षाकृत महँगे सफेद आटे के प्रयोग पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया। सभी नागरिकों के लिए साबुत गेहूँ से बनी और बराबरी का प्रतीक मानी जाने वाली, ‘समता रोटी खाना आवश्यक
कर दिया। बोलचाल और सम्बोधन में भी बराबरी का आचार-व्यवहार लागू करने की कोशिश की गई। चर्चा को बन्द कर दिया गया और उनके भवनों को बैरक या दफ्तर बना दिया गया।
रोब्सपियर ने अपनी नीतियों को इतनी सख्ती से लागू किया कि उसके समर्थक भी त्राहि-त्राहि करने लगे। अंतत: जुलाई 1794 में न्यायालय द्वारा उसे दोषी ठहराया गया और गिरफ्तार कर दूसरे दिन ही गिलोटिन पर चढ़ा दिया गया।

प्रश्न 4. ओलम्प दे गूज द्वारा तैयार किए गए घोषणा-पत्र में उल्लिखित मूलभूत अधिकारों का वर्णन कीजिए।
उत्तर-ओलम्प दे गूज के घोषणा-पत्र में उल्लिखित मूलभूत अधिकार
(1) औरत का जन्म लेना स्वतन्त्र है और उसे पुरुष के समान अधिकार प्राप्त हैं।
(2) सभी राजनीतिक संगठनों का लक्ष्य पुरुष एवं महिला के नैसर्गिक अधिकारों को संरक्षित करना है। ये अधिकार निम्न है-स्वतन्त्रता, सम्पत्ति, सुरक्षा और सबसे बढ़कर शोषण के प्रतिरोध का अधिकार।
(3) समग्र सम्प्रभुता का स्रोत राष्ट्र में निहित है जो पुरुषों एवं महिलाओं के संघ के अतिरिक्त कुछ नहीं है।
(4) कानून सामान्य इच्छा की अभिव्यक्ति होनी चाहिए। सभी महिला एवं पुरुष नागरिकों का या तो व्यक्तिगत रूप से या अपने प्रतिनिधियों के माध्यम से विधि निर्माण में दखल होना चाहिए। यह सभी के लिए समान होना चाहिए। सभी महिला पुरुष नागरिक अपनी योग्यता एवं प्रतिभा के बल पर समान रूप से एवं बिना किसी भेदभाव के हर तरह के सम्मान व सार्वजनिक पद के हकदार हैं।
(5) कोई भी महिला अपवाद नहीं है। वह विधिसम्मत प्रक्रिया द्वारा अपराधी ठहरायी जा सकती है, गिरफ्तार और नजरबन्द की जा सकती है। पुरुषों की तरह महिलाएँ भी इस कठोर कानून का पालन करने के लिए बाध्य हैं।

प्रश्न 5. उनीसवीं और बीसवीं सदी की दुनिया के लिए फ्रांसीसी क्रान्ति कौन-सी विरासत छोड़ गई?
उत्तर- उन्लोमा और भोसली पदी को दुनिया के लिए फ्रांसीसी काति ने निम्न विरासत फोड़ी-
(1)समाचता का सिद्धान फ्रांसीसी जाति का महत्वपूर्ण सिद्धान्त समानता का सिद्धान्त था जोकि जम्नीसवी व चीसवी सदी के सभी लोकताकि राष्ट्रों द्वारा अपनाया गया। इस प्रकार इस क्रान्ति द्वारा स्थापित सयाक्ता का आदर्श वर्तमान के समस्त लोकतान्त्रिक संविधानों का मूल आधार है।
(2) लोकतच की स्थापना फ्रांसीसी प्राप्ति ने राजतन्त्र की कमजोरियों और कमियों को विश्व सयक्ष उजागर कर दिया। फ्रांसीसी क्रान्ति द्वारा स्थापित लोकतान्त्रिक विचारों ने बुद्धिजीवी वर्ग को आन्दोलित कर दिया जिसके परिणामस्वरूप उन्नीसवी व बीसवी सदी में संसार के अनेक राष्ट्रों में लोकतान्त्रिक सरकारों
(3) स्वतन्मयता की धारणा स्वतन्त्रता का विचार फ्रांसीसी क्रान्ति का एक मूल सिद्धान्त था। उन्होंने इसे मानव का प्राकृतिक अधिकार माना। अर्थात् इस क्रान्ति ने विश्व के लोगों में स्वतन्त्रता की भावना कूट-फूर कर भर दो और तत्पश्चात् जनता को अपनी प्रभुसत्ता का ज्ञान हुआ। संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा पोषित मान। अधिकारों में भी इसे मानव का नैसर्गिक अधिकार माना गया।
(4) बन्धुत्व के विचार-इस क्रान्ति ने बभुत्व के विचार को विश्व में फैलाया। इस प्रकार यह एक ऐसी क्रान्ति थी जिसने आजादी, समानता और भाईचारे जैसे विचारों को अपनाया।
उन्नीसवीं व बीसवीं सदी के प्रत्येक राष्ट्र के लोगों के लिए ये विचार आधारभूत सिद्धान्त बन गए।

प्रश्न 6.उन जनवादी अधिकारों की सूची बनाएँ जो हमें मिले हुए हैं और जिनका उद्गम फ्रांसीसी क्रान्ति में है।
उत्तर-उन जनवादी अधिकारों की सूची जिनका उद्गम फ्रांसीसी क्रान्ति से हुआ, निम्न है-
(1) मनुष्य स्वतन्त्र पैदा होता है, स्वतन्त्र रहता है और उनके अधिकार समान होते हैं।
(2) हर राजनीतिक संगठन का लक्ष्य मानव के नैसर्गिक एवं अहरणीय अधिकारों को संरक्षित रखना है। ये अधिकार है-स्वतन्त्रता, सम्पत्ति, सुरक्षा एवं शोषण के प्रतिरोध का अधिकार।
(3) सम्पूर्ण सम्पभुता का सोत राज्य में निहित है, कोई भी समूह या व्यक्ति ऐसा अनाधिकार प्रयोग नहीं करेगा जिसे जनता की सत्ता की स्वीकृति न मिली हो।
(4) स्वतन्त्रता का आशय ऐसे कार्य करने की शक्ति से है जो औरों के लिए हानिकारक न हो।
(5) कानून सामान्य इच्छा की अभिव्यक्ति है। कानून की नजर में सभी नागरिक समान हैं।
(6) कानूनी प्रक्रिया के बाहर किसी भी व्यक्ति को न तो दोषी ठहराया जा सकता है और न ही गिरफ्तार या नजरबन्द किया जा सकता है।
(7) प्रत्येक नागरिक बोलने, लिखने और छापने के लिए आजाद है।
(8) सम्पत्ति का अधिकार एक पावन एवं अनुलंघनीय अधिकार है, अत: किसी भी व्यक्ति को इससे
वंचित जारी किया जा सकता है।

प्रश्न 7.क्या आप इस तर्क से सहमत हैं कि सार्वभौमिक अधिकारों के संदेश में विभिन्न अंतर्विरोध थे?
उत्तर-सार्वभौमिक अधिकारों के घोषणा पत्र में विभिन्न अंतर्विरोध थे जैसे-
(1) शिक्षा के अधिकार को कोई महत्व नहीं दिया गया।
(2) व्यापार और कार्य की स्वतन्त्रता का कोई उल्लेख नहीं था।
(3) निर्वाचक बनने के लिए सम्पत्ति का होना आवश्यक था। इस प्रकार नागरिकों को समानता के अधिकार से वंचित रखा गया तथा पुराने विशेषाधिकारों के स्थान पर नवीन विशेषाधिकार स्थापित किये गये।
(4) हेजन के अनुसार, “मानव अधिकारों की घोषणा केवल कुछ सिद्धान्तों की सूची थी, उन सिद्धान्तों का साक्षात्कार नहीं। अर्थात् वह अधिकारों की घोषणा थी, अधिकारों की गारन्टी नहीं।”
(5) विधायिका को कार्यपालिका से पूर्णतया पृथक् कर दिया गया था।

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