Pariksha Adhyayan Physics Class 9th अध्याय 2 पाठान्त प्रश्नोत्तर Sanskrit परीक्षा अध्ययन संस्कृत

2. पाठान्त प्रश्नोत्तर
2. पाठान्त प्रश्नोत्तर

अध्याय 2
पाठान्त प्रश्नोत्तर
एकपदेन उत्तरम्
निम्नलिखितानां प्रश्नानाम् उत्तराणि संस्कृतभाषायाम् एकपदेन लिखत-
(निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर संस्कृत भाषा में एक शब्द में लिखें-)
प्रश्न १. कवि: कां सम्बोधयति ?
(कवि किसको सम्बोधित कर रहा है ?)
उत्तर-वाणीम्। (सरस्वती को)।
प्रश्न २. कविः वाणी का वादयितुं प्रार्थयति ?
(कवि वाणी से किसको बजाने की प्रार्थना कर रहा है?)
उत्तर-वीणाम्। (वीणा को)।

प्रश्न ३. कीदृशीं वीणां निनादयितुं प्रार्थयति?
(कैसी वीणा को बजाने के लिए प्रार्थना कर रहा है ?)
उत्तर-नवीनाम्। (नई)।

प्रश्न ४. माता काम् आदिशत् ?
(माता ने किसको आदेश दिया ?)
उत्तर-पुत्रीम्। (पुत्री को)।

प्रश्न ५. स्वर्णकाकः कान् अखादत् ?
(सोने के कौवे ने किनको खाया ?)
उत्तर-तण्डुलान्। (चावलों को)।

प्रश्न ६. प्रासादः कीदृशः वर्तते ?
(महल कैसा है?”
उत्तर-स्वर्णमयः ( सोने का बना हुआ)।

प्रश्न ७. मल्लिका पूजार्थ सखीभिः सह कुत्र गच्छति स्म ?(मल्लिका पूजा के लिए सखियों के साथ कहाँ जा रही थी ?)
उत्तर-काशीविश्वनाथमन्दिरम्। ( काशीविश्वनाथ मन्दिर)।

प्रश्न ८. उमायाः पितामहेन कति सेटकमित दुग्धम् अपेक्ष्यते स्म?
(उमा के दादा जी को कितने लीटर दूध की आवश्यकता थी?)
उत्तर-त्रिशत सेटकमितम्। (तीन सौ लीटर)।

प्रश्न ९. कानि चन्दनस्य जिह्वालोलुपता वर्धन्ते स्म?
(कौन चन्दन की जीभ का लालच बढ़ा रहे थे।)
उत्तर-मोदकानि। (लड्डू)।

प्रश्न १०, नन्दिन्याः पादप्रहारैः कः रक्तरञ्जितः अभवत्?
(नन्दिनी के पैर के प्रहार से कौन लहुलुहान हो गया?)
उत्तर-चन्दनः। (चन्दन)।

प्रश्न ११. जीमूतवाहनः कस्य पुत्रः आसीत् ?
(जीमूतवाहन किसका पुत्र था ?)
उत्तर-जीमूतकेतोः। ( जीमूतकेतु का)।

प्रश्न १२. संसारेऽस्मिन् कः अनश्वर: भवति ?
(इस संसार में कौन नष्ट न होने वाला होता है ?)
उत्तर- परोपकारः। (परोपकार)।

प्रश्न १३. कल्पतरुः भुवि कानि अवर्षत् ?
(कल्पवृक्ष ने पृथ्वी पर किनकी वर्षा की?)
उत्तर-वसूनि। (धन की)।

प्रश्न १४. वित्ततः क्षीणः कीदृशः भवति ?
(धन से क्षीण कैसा होता है ?)
उत्तर-अक्षीणः। (क्षीण नहीं)।

प्रश्न १५. कुत्र दरिद्रता न भवेत् ?
(कहाँ दरिद्रता नहीं होनी चाहिए 7)
उत्तर-वचने। (बोलने में)

प्रश्न १६. वृक्षाः स्वयं कानि न खादन्ति ?
(वृक्ष स्वयं क्या नहीं खाते हैं ?)
उत्तर-फलानि। (फलों को)।

प्रश्न १७. पुरा का लघ्वी भवति ?
(पहले क्या छोटी होती है ?)
उत्तर-छाया। (छाया)।

प्रश्न १८. के मधुसंग्रहव्यग्राः अभवन् ?
(कौन फूलों के रस को इकट्ठा करने में लगे हुए थे ?)
उत्तर-मधुकराः। (भोर)।

प्रश्न १९. चटकः कया तृणशलाकादिकम् आददाति ?
(चिड़ा किससे घास तिनके आदि लाता है ?)
उत्तर-चञ्चवा। (चोंच से)।

प्रश्न २०. चटकः कस्य शाखायां नीडंरचयति ?
(चिड़ा किसकी शाखा में घोंसला बनाता है ?)
उत्तर-वद्रुमस्य। (वट वृक्ष की)।

प्रश्न २१, कः तन्द्रालुः भवति ।
(कौन आलसी होता है?)
उत्तर-बालः। (बच्चा)।

प्रश्न २२. वणिक्पुत्रस्य किं नाम आसीत् ?
(व्यापारी के पुत्र का क्या नाम था ?)
उत्तर-जीर्णधनः। (जीर्णधन)।

प्रश्न २३. तुला कैः भक्षिता आसीत् ?
(तराजू किनके द्वारा खा ली गई थी ?)
उत्तर-मूषकैः। (चूहों के द्वारा)।

प्रश्न २४. तुला कीदृशी आसीत् ?
(तराजू कैसी थी?
उत्तर-लौहघटिता। (लोहे की बनी)।

प्रश्न २५. विवदमानौ तौ द्वावपि कुत्र गतौ ?
(विवाद करते हुए वे दोनों कहाँ गए ?)
उत्तर-राजकुलम्। (राजदरबार)।

प्रश्न २६. कः बाल्ये विद्यां न अधीतवान् ?
(किसने बचपन में विद्या नहीं पढ़ी?)
उत्तर-तपोदत्तः। (तपोदत्त ने)।

प्रश्न २७. तपोदत्तः कया विद्याम् अवाप्तुं प्रवृत्तः अस्ति ?
(तपोदत्त किसके द्वारा विद्या प्राप्त करने के लिए लग जाता है ?)
उत्तर-तपश्चर्यया। (तपस्या के द्वारा)।

प्रश्न २८. मार्गभ्रान्तः सन्ध्यां कुत्र उपैति ?
(रास्ता भटका हुआ शाम को कहाँ आ जाता है ?)
उत्तर-गृहम्। (घर)।

प्रश्न २१. खगोत्तमः कीदृशीं गिरं व्याजहार ?
(पक्षीराज ने कैसी वाणी को कहा ?)
उत्तर-शुभाम्। (सुन्दर)।

प्रश्न ३०. जटायुः काभ्यां रावणस्य गात्रे व्रणं चकार ?
(जटायु ने किससे रावण के शरीर में घाव कर दिए?)
उत्तर-चरणाभ्याम्। (पंजों से)

प्रश्न ३१. आयतलोचना का आसीत् ?
(बड़ी-बड़ी आँखों वाली कौन थी ?)
उत्तर-सीता। (सीता)।

प्रश्न ३२. मानव: कुत्र सुरक्षितः तिष्ठति ?
(मनुष्य कहाँ सुरक्षित रहता है ?)
उत्तर-पर्यावरणकुक्षौ। ( पर्यावरण की गोद में)।

प्रश्न ३३. सुरक्षितं पर्यावरणं कुत्र उपलभ्यते स्म ?
(सुरक्षित पर्यावरण कहाँ पाया जाता था ?)
उत्तर-वने। (वन में।

प्रश्न ३४. अजातशिशुः कुत्र संरक्षितः तिष्ठति ?
(अजन्मा शिशु कहाँ सुरक्षित रहता है ?)
उत्तर-मातृगभें। (माता के गर्भ में)।

प्रश्न ३५. प्रकृति केषां संरक्षणाय यतते ?
( प्रकृति किनके संरक्षण के लिए प्रयास करती हैं।
उत्तर-सर्वप्राणिनाम्। (सभी प्राणियों के)।

प्रश्न ३६, अन्नस्य कीदृशः भाग: मन: ?
(अन्न का कैसा भाग मन है ?)
उत्तर-योऽणिष्ठः। (जो सर्वाधिक लघु भाग है)।

प्रश्न ३७. मध्यसानस्य दनः अणिष्ठः भागः किं भवति ?
(मथे जाते हुए दही का अति सूक्ष्म परिणाम क्या होता है ?)
उत्तर-सर्पिः। (घी)।

प्रश्न ३८. मनः कीदृशं भवति ?
(मन कैसा होता है ?)
उत्तर-अन्नमयम्। (अन्नमय)।
प्रश्न ३९. पाठेऽस्मिन् आरुणि: कम् उपदिशति ?
(इस पाठ में आरुणि किसको उपदेश देता है?)
उत्तर-श्वेतकेतुम्। (श्वेतकेतु को)।
पूर्णवाक्येन उत्तरम्
अधोलिखितानां प्रश्नानाम् उत्तराणि संस्कृतभाषया लिखत-
(नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर संस्कृत भाषा के द्वारा लिखो-)

प्रश्न १. कविः वाणी किं कथयति ?
(कवि सरस्वती से क्या कह रहा है ?)
उत्तर-कविः वार्णी नवीनां वीणां वादयितुं ललितनीतिलीनां च मृदुं गीतिं गातुं कथयति ।
(कवि सरस्वती से नयी वीणा को बजाने के लिए और सुन्दर नीति से परिपूर्ण मधुर गीत को गाने के
लिए कह रहा है।)

प्रश्न २. वसन्ते किं भवति ?
(वसन्त में क्या होता है ?)
उत्तर-वसन्ते मधुरमञ्जरीपिञ्जरीभूतमाला: सरसा: रसाला: लसन्ति ललित-कोकिलाकाकलीनां च
कलापा: विलसन्ति।
(वसन्त में मधुर मञ्जरियों से पीले हुए रसीले आम के वृक्षों की पंक्तियाँ सुशोभित हो रही हैं और सुन्दर
कोयलों के समूह का कूजन अच्छा लगता है।)

प्रश्न ३. निर्धनायाः वृद्धायाः दुहिता कीदृशी आसीत् ?
(निर्धन वृद्धा की पुत्री कैसी थी ?)
उत्तर-निर्धनाया:
वृद्धाया: दुहिता विनम्रा मनोहरा च आसीत्।
(निर्धन वृद्धा की पुत्री विनम्न और सुन्दर थी।)

प्रश्न ४, बालिकया पूर्व कीदृशः काकः न दृष्टः आसीत् ?
(बालिका के द्वारा पहले कैसा कौवा नहीं देखा गया था)
उत्तर-बालिकया पूर्व स्वर्णपक्षो रजतचञ्चु; स्वर्णकाक : न दृष्टः आसीत्।
(बालिका के द्वारा पहले सोने के पंख और चाँदी की चाँच वाला सोने का कौवा नहीं देखा गया था।

प्रश्न ५. निर्धनाया: दुहिता मञ्जूषायां कानि अपश्यत् ?
(निर्धन की पुत्री ने सन्दूक में क्या देखा?)
उत्तर-निर्धनाया दुहिता मञ्जूषायां महार्हाणि हीरकाणि अपश्यत्।
(निर्धन की पुत्री ने सन्दूक में बहुमूल्य हीरे देखे।)

प्रश्न ६. बालिका किं दृष्ट्वा आश्चर्यचकिता जाता ?
(बालिका क्या देखकर आश्चर्यचकित हो गई ?)
उत्तर-बालिका स्वर्णमयं प्रासादं दृष्ट्वा आश्चर्यचकिता जाता।(बालिका सोने के बने महल को देखकर आश्चर्यचकित हो गई।

प्रश्न ७. मल्लिका चन्दनश्च मासपर्यन्तं धेनोः सेवां कथम् अकुरुताम् ?
(मल्लिका और चन्दन ने महीने भर तक गाय की सेवा कैसे की?)
उत्तर-मल्लिका चन्दनश्च मासपर्यन्तं धेनुं घासादिकं गुडादिकं च भोजयतः। कदाचित् विषाणयो: तैल
लेपयत: तिलकं धारयतः, रात्रौ नीराजनेनापि तोषयतः।
(मल्लिका और चन्दन महीने भर तक गाय को घास और गुड़ आदि खिलाते हैं। कभी सींगों पर तेल
लेपते हैं, तिलक लगाते हैं, रात में आरती से भी सन्तुष्ट करते हैं।)

प्रश्न ८.कालः कस्य रसं पिबति?
(समय किसका रस पीता है ?)
उत्तर-काल: आदानस्य प्रदानस्य कर्त्तव्यस्य च क्षिप्रम् अक्रियमाणस्य कर्मण: रसं पिबति ।
(समय आदान, प्रदान और करने योग्य कार्य यदि तुरन्त नहीं किये जाते तो उसका रस पी जाता है।)

प्रश्न ९. घटमूल्यार्थं यदा मल्लिका स्वाभूषणं दातुं प्रयतते तदा कुम्भकार: किं वदति ?
(घड़े के मूल्य के लिए जब मल्लिका अपने आभूषण देने का प्रयास करती तब कुम्हार क्या कहता है 7)
उत्तर-कुम्भकारः वदति-पुत्रिके! नाहं पापकर्म करोमि। कथमपि नेच्छामि त्वाम् आभूषणविहीना
कर्तुम्। नयतु यथाभिलषितान् घटान्। दुग्धं विक्रीय एव घटमूल्यं ददातु।
(कुम्हार कहता है-पुत्री ! मैं पाप का काम नहीं कर सकता। तुमको आभूषण से रहित नहीं करना
चाहता। जितने चाहती हो घड़े ले जाओ। दूध बेचकर ही घड़ों का मूल्य दे देना।)

प्रश्न १०. मासपर्यन्तं धेनोः अदोहनस्य किं कारणमासीत् ?
(महीने भर तक गाय के दोहन न करने का क्या कारण था ?)
उत्तर-मासपर्यन्तं धेनो: अदोहनस्य कारणं मासान्ते अधिकाधिकं दुग्धं प्राप्तिः आसीत्।था।)
(महीने भर तक गाय के दोहन न करने का कारण महीने के अन्त में अधिक-से-अधिक दूध प्राप्ति

प्रश्न ११. कञ्चनपुर नाम नगरं कुत्र विभाति स्म ?
(कंचनपुर नामक नगर कहाँ सुशोभित होता था ?)
उत्तर-कञ्चनपुरं नाम नगरं हिमालयपर्वतस्य शिखरे विभातिस्म।
(कंचनपुर नामक नगर हिमालय पर्वत की चोटी पर सुशोभित होता था।)

प्रश्न- १२. जीमूतवाहनः कीदृशः आसीत् ( जीमूतवाहन कैसा था ?”उतर-जीमूतवाहन : महान् दानवीरः सर्वभूतानुकम्पी च आसीत्।(जीमूतवाहन महान् दानवीर और सभी प्राणियों पर कृपा करने वाला था।)

प्रश्न १३, जीमूतवाहन: कल्पतरूम् उपगम्य किम् उवाच ?
(जीमूतवाहन कल्पवृक्ष के पास पहुंचकर क्या बोला?)
उत्तर-जीमूतवाहन: कल्पतरुम् उपगम्य उवाच-“देव। त्वया अस्मत्पूर्वेषाम् अभीष्टाः कामाः पूरिताः,तन्ममैक कामं पूरय। यथा पृथिवीम् अदरिद्राम् पश्यामि, तथा करोतु देव” इति ।(जीमूतवाहन कल्पवृक्ष के पास जाकर बोला-“हे देव! आपके द्वारा हमारे पूर्वजों की मनचाही इच्छाओंको पूरा किया गया है, तो मेरी भी एक इच्छा को पूरा कर दीजिए जिससे इस संसार को निर्धनता रहित देखसर्वं, हे देव! वैसा कुछ कीजिए।”)

प्रश्न १४. यत्लेन किं रक्षेत् वित्तं वृत्तं वा ?
(प्रयत्नपूर्वक किसकी रक्षा करनी चाहिए धन की या चरित्रकी?)उत्तर-यत्नेन वृत्तं रक्षेत्।(प्रयत्नपूर्वक चरित्र की रक्षा करनी चाहिए।)

प्रशन १५. जन्तवः केन तुष्यन्ति ?
(प्राणी किस विधि से प्रसन्न होते हैं 7)
उत्तर-जन्तवः प्रियवाक्यप्रदानेन तुष्यन्ति।
(प्राणी मीठी वाणी बोलने से प्रसन्न होते हैं।)

प्रश्न १६, सज्जनानां मैत्री कीदृशी भवति ?
(सज्जनों की मित्रता कैसी होती है।)उत्तर-सज्जनानां मैत्री पुरा लघ्वी बुद्धिमती च पश्चात् भवति।(सज्जनों की मित्रता पहले छोटी और बाद में बढ़ने वाली होती है।)

प्रश्न १७. सरोवराणां हानिः कदा भवति ?
(सरोवरों की हानि कब होती है।)उत्तर-सरोवराणां हानिः मरालैः सह वियोगेन भवति।(सरोवरों की हानि हंसों के साथ वियोग से होती है।)

प्रश्न १८. बालः कदा क्रीडितुं अगच्छत् ?
(बालक कब खेलने के लिए चला गया?)
उत्तर-बालः पाठशालागमनवेलायां क्रीडितुं अगच्छत्।
(बालक विद्यालय जाने के समय खेलने के लिए चलागया।)

प्रश्न १९. बालस्य मित्राणि किमर्थ त्वरमाणा अभवन् ?
(बालक के मित्र किसलिए जल्दी में थे?)
उत्तर-बालस्य मित्राणि विद्यालयगमनाय त्वरमाणा अभवन्।
(बालक के मित्र विद्यालय जाने के लिए जल्दी में थे।)

प्रश्न २०. मधुकरः बालकस्य आह्वान केन कारणेन तिरस्कृतवान् ?
(भौर ने बालक के बुलावे को किसलिए नहीं माना ?)
उत्तर-मधुकर: मधुसंग्रहव्यग्रः आसीत् अतः सः बालकस्य आह्वानं तिरस्कृतवान्।
(भौरा फूलों के रस को इकट्ठा करने में लगा था इसलिए उसने बालक के बुलावे को नहीं माना।)

प्रश्न २१. बालकः चटकाय क्रीडनार्थ कीदृशं लोभं दत्तवान्
(बालक ने चिड़े को खेलने के लिए किस प्रकार का लालच दिया ?)उत्तर-बालक: चटकायक्रीडनार्थस्वादुभक्ष्यकवलानां लोभं दत्तवान्।(बालक ने चिड़े को खेलने के लिए स्वादिष्ट खाने के ग्रासका लालच दिया।)

प्रश्न २२. देशान्तरं गन्तुमिच्छन् वणिक्पुत्रः किं व्यचिन्तयत्
(दूसरे देश जाने की इच्छा करते हुए व्यापारी के पुत्र ने क्या सोचा ?)

उत्तर-देशान्तरं गन्तुमिच्छन् वणिवपुत्र: व्यचिन्तयत्-यत्र देशे अथवा स्थाने स्ववीर्यतः भोगा: भुक्ताः
तस्मिन् विभवहीन: य: वसेत् स पुरुषाधमः।
(दूसरे देश जाने की इच्छा करते हुए व्यापारी के पुत्र ने सोचा-जिस देश या स्थान पर अपने पराक्रम
से ऐश्वर्यों का भोग किया गया हो, उसी स्थान पर जो मनुष्य धनहीन होकर रहता है तो वह निर्लज्ज होता है।)

प्रश्न २३. स्वतुला याचमानं जीर्णधनं श्रेष्ठी किम् अकथयत् ?
(अपनी तराजू मांगने वाले जीर्णधन से सेठ ने क्या कहा?)
उत्तर-स्वतुलां याचमानं जीर्णधनं श्रेष्ठी अकथयत्-“भोः ! नास्ति सा, त्वदीया तुला मूषकैर्भक्षिताइति।
(अपनी तराजू मांगने वाले जीर्णधन से सेठ ने कहा-“अरे ! वह तुम्हारी तराजू नहीं है, चूहों के द्वारा
खा ली गई है।)

प्रश्न २४. धर्माधिकारिभिः जीर्णधनश्रेष्ठिनौ कथं तोषितवन्तः?(न्यायकर्ताओं के द्वारा जीर्णधन और सेठ को कैसे सन्तुष्ट किया ?)

उत्तर-धर्माधिकारिभिः जीर्णधनश्रेष्ठिनौ परस्परं संबोध्य तुला-शिशु-प्रदानेन तोषितवन्तः।
(न्यायकर्ताओं के द्वारा जीर्णधन और सेठ को आपस में समझा-बुझाकर तराजू और बच्चा दिलवाकर
सन्तुष्ट किया।)

प्रश्न २५. अनधीत: तपोदत्तः कैः गर्हितोऽभवत् ?
(न पढ़ा हुआ तपोदत्त किनके द्वारा अपमानित हुआ ?)
उत्तर-अनधीत: तपोदत्तः सर्वैः कुटुम्बिभिः मित्रैः ज्ञातिजनैश्च गर्हितोऽभवत्।
(न पढ़ा हुआ तपोदत्त सभी कुटुम्बियों, मित्रों और बन्धु-बान्धवों के द्वारा अपमानित हुआ।)

प्रश्न २६. तपोदत्तः केन प्रकारेण विद्यामवाप्तुं प्रवृत्तोऽभवत्
(तपोदत्त किस प्रकार से विद्या प्राप्त करने के लिए तैयार हुआ?)
उत्तर-तपोदत्तः तपश्चर्यया विद्यामवाप्तुं प्रवृत्तोऽभवत्।
(तपोदत्त तपस्या के द्वारा विद्या प्राप्त करने के लिए तैयार हुआ।)

प्रश्न २७. तपोदत्तः पुरुषस्य कां चेष्टां दृष्ट्वा अहसत् ?
(तपोदत्त पुरुष के किस प्रयास को देखकर हँसा ?)
उत्तर-तपोदत्तः पुरुषस्य सिकताभिः सेतुनिर्माण-प्रयासं दृष्ट्वा अहसत्।केबालूके द्वारा पुल निर्माण के प्रयास को देखकर हँसा।)

प्रश्न २८. जटायुः रावणं किं कथयति ?
(जटायु रावण से क्या कहता है ?)
उत्तर-जटायुः रावणं कथयति-“अहं वृद्धः तथापि मे कुशली वैदेहीम् आदाय न गमिष्यसि।” इति।
(जटायु रावण से कहता है-“मैं बूढ़ा हूँ फिर भी मेरे जीवित रहते सीता को लेकर नहीं जा सकते।”)

प्रश्न २९. क्रोधवशात् रावणः किं कर्तुम् उद्यतः अभवत् ?
(क्रोध के कारण रावण क्या करने के लिए तैयार हो गया ?)
उत्तर-क्रोधवशात् रावण: जटायु खड्गप्रहारेण हन्तुम् उद्यतः अभवत्।
(क्रोध के कारण रावण जटायु को तलवार के प्रहार से मारने के लिए तैयार हो गया।)

प्रश्न ३०. पतगेश्वरः रावणस्य कीदृशं चापं सशरं बभञ्ज ?
(जटायु ने रावण के कैसे धनुष को बाणों सहित तोड़ डाला?)
उत्तर-पतगेश्वर : रावणस्य मुक्तामणिविभूषितं चापं सशरं बभञ्ज।(जटायु ने रावण के मोतियों और मणियों से सुशोभित धनुष को बाणों सहित तोड़ डाला।)
(तपोदत्त पुरुष

प्रश्न ३१. स्वार्थान्ध: मानवः किं करोति ?
(स्वार्थ में अन्धा मनुष्य क्या करता है ?)
उत्तर-स्वार्थान्ध: मानवः अद्य पर्यावरणं नाशयति।(स्वार्थ में अन्धा मनुष्य आज पर्यावरण का नाश कर रहा है।)

प्रश्न ३२. पर्यावरणे विकृते जाते किं भवति?
(पर्यावरण में विकार होने से क्या होता है ?)उत्तर-पर्यावरणे विकृते जाते विविधा रोगा भीषणसमस्याश्च जायन्ते।
(पर्यावरण में विकार होने से विभिन्न रोग और भीषण समस्या उत्पन्न होती है।)

प्रश्न ३३. अस्माभिः पर्यावरणस्य रक्षा कथं करणीया?
(हमारे द्वारा पर्यावरण की रक्षा कैसे करनी चाहिए?)
उत्तर-अस्माभिः प्रकृतिः रक्षणीया तेन च पर्यावरणस्य रक्षा भविष्यति।(हमारे द्वारा प्रकृति की रक्षा करनी चाहिए और उससे पर्यावरण की रक्षा होगी।)

प्रश्न ३४. लोकरक्षा कथं संभवति?
(संसार की रक्षा कैसे सम्भव होती है ?)
उत्तर-लोकरक्षा प्रकृतिरक्षयैव संभवति ।(संसार की रक्षा प्रकृति की रक्षा के द्वारा ही सम्भव होती है।)

प्रश्न ३५. श्वेतकेतुः सर्वप्रथमम् आरुणिं कस्य स्वरूपस्य विषये पृच्छति ?(श्वेतकेतु सर्वप्रथम आरुणि से किसके विषय में पूछता है?)
उत्तर-श्वेतकेतुः सर्वप्रथमम् आरुणि मनस: विषये पृच्छति।
(श्वेतकेतु सर्वप्रथम आरुणि से मन के विषय में पूछता है।)

प्रश्न ३६. आरुणि: प्राणस्वरूपं कथं निरूपयति?
(आरुणि प्राण का स्वरूप कैसे निर्धारित करता है ?)
उत्तर-आरुणिः प्राणस्वरूपं निरूपयति यत् पीतानाम् अपां योऽणिष्ठः स प्राण: इति ।
(आरुणि प्राण का स्वरूप निर्धारित करता है कि पीये गए जल का जो सर्वाधिक लघु भाग है, वह प्राणहै।)

प्रश्न ३७. मानवानां चेतांसि कीदृशानि भवन्ति ?
(मनुष्यों के मन कैसे होते हैं ?)
उत्तर-मानवानां चेतांसि ते यादृशानि अन्नादिकं गृह्णन्ति तादृशानि भवन्ति ।
(मनुष्यों के मन, वे जैसा अन्न आदि खाते हैं, वैसे होते हैं।)

प्रश्न-निर्माणम्

स्थूलपदान्यधिकृत्य प्रश्ननिर्माणं कुरुत-
(मोटे अक्षरों के आधार पर प्रश्ननिर्माण करो-)
ग्रामे निर्धना स्त्री अवसत्।
(गाँव में निर्धन महिला रहती थी।)
प्रश्ननिर्माणम्-ग्रामे का अवसत् ?
(गाँव में कौन रहती थी?)

२. स्वर्णकाकं निवारयन्ती बालिका प्रार्थयत्।
(सोने के कौवे को दूर करती हुई बालिका ने प्रार्थना की।)
प्रश्ननिर्माणम्-कं निवारयन्ती बालिका प्रार्थयत् ?
(किसको रोकते हुई बालिका ने प्रार्थना की?)

३. लुब्धा वृद्धा स्वर्णकाकस्य रहस्यम् जातवती।
(लालची वृद्धा सोने के कौवे के रहस्य को जान गई।)
प्रश्ननिर्माणम्-लुब्धा वृद्धा कस्य रहस्यम् ज्ञातवती ?
(लालची वृद्धा किसके रहस्य को जान गई?)

४. मल्लिका सखिभिः सह धर्मयात्रायै गच्छति स्म।
(मल्लिका सखियों के साथ धार्मिक यात्रा के लिए जा रही थी।)प्रश्ननिर्माणम्-मल्लिका काभिः सह धर्मयात्रायै गच्छति स्म ?(मल्लिका किनके साथ धार्मिक यात्रा के लिए जा रही थी ?)

५. चन्दन: दुग्धदोहनं कृत्वा एव स्वप्रातराशस्य प्रबन्धम् अकरोत् ।(चन्दन ने दूध का दोहन करके ही अपने सुबहे के नास्ते का प्रबन्ध किया।)
प्रश्ननिर्माणम्-चन्दन: दुग्धदोहनं कृत्वा एव कस्य प्रबन्धम् अकरोत् ?
(चन्दन ने दूध का दोहन करके ही किसका प्रबन्ध किया?)

६. मोदकानि पूजानिमित्तानि रचितानि आसन्।
(लड्डू पूजा के लिए बनाये गए थे।)
प्रश्नानिर्माणम्-कानि पूजानिमित्तानि रचितानि आसन् ?
(क्या पूजा के लिए बनाये गए थे?)

७ कल्पतरुः पृथिव्यां धनानि अवर्षत्।
(कल्पवृक्ष ने पृथ्वी पर धन की वर्षा की।)
प्रश्ननिर्माणम्-कल्पतरु: कुत्र धनानि अवर्षत् ?
(कल्पवृक्ष ने कहाँ धन की वर्षा की?)

८. धनवृष्ट्या कोऽपि दरिद्र : नातिष्ठत्।
(धनवर्षा से कोई भी निर्धन नहीं रहा।)
प्रश्ननिर्माणम्-कथं कोऽपि दरिद्रः नातिष्ठत् ?
(कैसे कोई भी निर्धन नहीं रहा?)

९. स: कल्पतरवे न्यवेदयत्।
(उसने कल्पवृक्ष से निवेदन किया।)
प्रश्ननिर्माणम्-स: कस्मै न्यवेदयत् ?
(उसने किससे निवेदन किया ?)

१०. धर्मसर्वस्वं श्रुत्वा अवधार्यताम्।
(धर्म का सार सुनकर धारण करना चाहिए।)
प्रश्ननिर्माणम्-किं श्रुत्वा अवधार्यताम् ?
(क्या सुनकर धारण करना चाहिए?)

११. वृक्षा: फलं न खादन्ति।
(वृक्ष फल नहीं खाते हैं।)
प्रश्ननिर्माणम्-के फलं न खादन्ति ?
(कौन फल नहीं खाते हैं ?)

१२. खलानाम् मैत्री आरम्भगुर्वी भवति ।
(दुशों की मित्रता प्रारम्भ में बहने वाली होती है।)
प्रश्ननिर्माणम्-केषाम् मैत्री आरम्भगुर्वी भवति ?
(किनकी मित्रता प्रारम्भ में बड़ने वाली होती है।)

१३. स्वादूनि भक्ष्यकवलानि ते दास्यामि।
(स्वादिष्ट खाने के लिए पास तुम्हें देता है।)
प्रश्ननिर्माणम्-कीदशानि भक्ष्यकवलानि ते दास्यामि ?
(कैसे खाने के ग्रास तुम्हें दूंगा)

१४ चटक: स्वकर्मणि व्यय: आसीत्।
(चिड़ा अपने कर्म में लगा हुआ था।)
प्रश्ननिर्माणम्-चटकः कस्मिन् व्ययः आसीत् ?
(चिड़ा किसमें लगा हुआ था ?)

१५. कुक्कुरः मानुषाणां मित्रम् अस्ति।
(कुत्ता मनुष्यों का मित्र है।)
प्रश्ननिर्माणम्-कुक्कुरः केषां मित्रम् अस्ति ?
(कुत्ता किसका मित्र है?)

१६. जीर्णधनः विभवक्षयात् देशान्तरं गन्तुमिच्छन् व्यचिन्तयत्।(जीर्णधन ने धन के अभाव के कारण दूसरे देश जाने की इच्छा करते हुए सोचा।)प्रश्ननिर्माणम्-कः विभवक्षयात् देशान्तरं गन्तुमिच्छन् व्यचिन्तयत् ? (किसने धन के अभाव के कारण दूसरे देश जाने की इच्छा करते हुए सोचा ?)

१७. श्रेष्ठिन: शिशुः स्नानोपकरणमादाय अभ्यागतेन सह प्रस्थितः।
(सेठ का बच्चा स्नान की सामग्री हाथ में लेकर अतिथि के साथ चल दिया।)प्रश्ननिर्माणम्-श्रेष्ठिनः शिशुः स्नानोपकरणमादाय केन सह प्रस्थितः?(सेठ का बच्चा स्नान की सामग्री हाथ में लेकर किसके साथ चल दिया?)

१८. तपोदत्तः तपश्चर्यया विद्यामवाप्तुं प्रवृत्तोऽस्ति।
(तपोदत्त तपस्या के द्वारा विद्या प्राप्त करने के लिए तैयार था।)प्रश्ननिर्माणम्-तपोदत्तः कथं/कया विद्यामवाप्तुं प्रवृत्तोऽस्ति ?(तपोदत्त कैसे/किसके द्वारा विद्या प्राप्त करने के लिए तैयार था ?)

१९. तपोदत्तः कुटुम्बिभिः मित्रैः गर्हितः अभवत्।
(तपोदत्त कुटुम्बियों, मित्रों के द्वारा अपमानित हुआ।)
प्रश्ननिर्माणम्-कः कुटुम्बिभिः मित्रैः गर्हितः अभवत् ?
(कौन कुटुम्बियों मित्रों के द्वारा अपमानित हुआ?)

२०. पुरुषः नद्यां सिकताभिः सेतुं निर्मातुं प्रयतते।
(पुरुष नदी पर बालू से पुल निर्माण का प्रयास करता है।)
प्रश्ननिर्माणम्-पुरुषः कुत्र सिकताभिः सेतुं निर्मातुं प्रयतते ?
(पुरुष कहाँ बालू से पुल निर्माण का प्रयास करता है ?)

२१. तपोदत्त: विद्याध्ययनाय गुरुकुलम् अगच्छत्।
(तपोदत्त विद्याध्ययन के लिए गुरुकुल गया।)
प्रश्ननिर्माणम्-तपोदत्तः किमर्थ गुरुकुलम् अगच्छत् ?
(तपोदत्त किसलिए गुरुकुल गया ?)

२२. वनवृक्षाः निर्विवेकं छिद्यन्ते।
(वन के वृक्ष बिना सोचे-समझे काटे जा रहे हैं।)
प्रश्ननिर्माणम्-के निर्विवेकं छिद्यन्ते ?
(कौन बिना सोचे-समझे काटे जा रहे हैं ?)

२३. (वृक्षकर्तनात् शुद्धवायु: न प्राप्यते।
(पेड़ों के काटने से शुद्ध वायु नहीं प्राप्त होती है।)
प्रश्ननिर्माणम्-कस्मात् शुद्धवायु: न प्राप्यते ?
(किससे शुद्ध वायु नहीं प्राप्त होती है ?)

२४. पर्यावरणरक्षणं धर्मस्य अङ्गम् अस्ति।
(पर्यावरण की रक्षा धर्म का अंग है।)
प्रश्ननिर्माणम्-पर्यावरण की रक्षा कस्य अङ्गम् अस्ति ?
(पर्यावरण की रक्षा किसका अंग है?)

२५. मध्यमानस्य दन: अणिमा ऊर्ध्वं समुदीषति ।
(मथे जाते हुए दही का अति सूक्ष्म परिणाम ऊपर उठ जाता है।)प्रश्ननिर्माणम्-कीदृशस्य दनः अणिमा ऊर्ध्वं समुदीषति ?
(कैसे दही का अति सूक्ष्म परिणाम ऊपर उठ जाता है ?)

२६. आरुणिम् उपगम्य श्वेतकेतुः अभिवादयति।
(आरुणि के समीप जाकर श्वेतकेतु प्रणाम करता है।)
प्रश्ननिर्माणम्-आरुणिम् उपगम्य कः अभिवादयति ? (आरुणि के समीप जाकर कौन प्रणाम करता है

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